कुंडली हमने अपनी जिंदगी लिख दी जिनके नाम काज परे वे ही नहीं आए अपने काम काम आए अपने काम दिखाए दिन में तारे टूट गए भ्रम जाल होश ने होश संभारे अंतिम क्षण तक साथ निभाया है बस गम ने उसको मन का मीत इसलिए माना हमने पथिक kundli