मंज़िल तो मेरे अपने इरादों के साथ है रहबर मिले न अब कोई नक़्श-ए-क़दम मिले मंज़िल तो मेरे अपने इरादों के साथ है रहबर मिले न अब कोई नक़्श-ए-क़दम मिले