आसमां छूने की तमन्ना नहीं,मैं तो सिर्फ दिल तक पहुँचना चाहती हूँ। कुछ अपनी रही अधूरी कहानी को, बस लिखकर पूरा करना चाहती हूँ। इश्क़ का दस्तूर तो हो चुका,अब तो सिर्फ उसे मुकम्मल करना चाहती हूँ। होने को तो सब देख लिया, अब तो कुछ अलग देखना चाहती हूँ। पहचान उसकी, संग अपने करके, उसका भी एक नाम करना चाहती हूँ। आसमां छूने की तमन्ना नहीं,मैं तो सिर्फ दिल तक पहुँचना चाहती हूँ। By:- Akshita Jangid (Poetess) #NojotoQuote आसमां छूने की तमन्ना नहीं,मैं तो सिर्फ दिल तक पहुँचना चाहती हूँ। कुछ अपनी रही अधूरी कहानी को, बस लिखकर पूरा करना चाहती हूँ। इश्क़ का दस्तूर तो हो चुका,अब तो सिर्फ उसे मुकम्मल करना चाहती हूँ।