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बचपन की सैर चलो आज बचपन की सैर कर आते हैं, कुछ बह

बचपन की सैर

चलो आज बचपन की सैर कर आते हैं,
कुछ बहुत खास पलों को फिर जी आते हैं,
माँ कहती है,सबकी लाड़ली थी मैं,
कुछ तस्वीरों में ये बात साफ झलकती है,
ज़्यादा तो कुछ याद नहीं मुझें,
पर पापा हर फ़ोटो के पीछे की कहानी हँसकर बताते है,
कुछ यादें माँ-पापा की फिर से चहक उठती हैं,
अरे यादें तो क्या,
उन्हें तो मेरी हर एक ड्रेस के बारे में भी अभी तक पता है,
कि ये कहाँ से ली थी,कब पहनाई थी,
उस ज़मानें में कैमरे वाला फोन नहीं हुआ करता था,
फिर भी कैमरे वाले को कभी भी बुलाकर फोटोशूट करवाया जाता था,
शायद सबकी चहेती थी,बिन बोले ही सब हो जाता था...

©अर्पिता #बचपन की सैर
बचपन की सैर

चलो आज बचपन की सैर कर आते हैं,
कुछ बहुत खास पलों को फिर जी आते हैं,
माँ कहती है,सबकी लाड़ली थी मैं,
कुछ तस्वीरों में ये बात साफ झलकती है,
ज़्यादा तो कुछ याद नहीं मुझें,
पर पापा हर फ़ोटो के पीछे की कहानी हँसकर बताते है,
कुछ यादें माँ-पापा की फिर से चहक उठती हैं,
अरे यादें तो क्या,
उन्हें तो मेरी हर एक ड्रेस के बारे में भी अभी तक पता है,
कि ये कहाँ से ली थी,कब पहनाई थी,
उस ज़मानें में कैमरे वाला फोन नहीं हुआ करता था,
फिर भी कैमरे वाले को कभी भी बुलाकर फोटोशूट करवाया जाता था,
शायद सबकी चहेती थी,बिन बोले ही सब हो जाता था...

©अर्पिता #बचपन की सैर