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kumardivyanshush4801
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Kumar Divyanshu Shekhar

जी..!बिहार से हैं लिखने की कोशिश करते हैं फिलहाल पढ़ रहे हैं insta:@_shekhardivya409

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Kumar Divyanshu Shekhar

अब दरमियाँ कोई भी शिकायत नहीं बची
यानी करीब आने की सूरत नहीं बची।

अब और कोई सदमा नहीं झेल सकता मैं
अब और मेरी आँखों में हैरत नहीं बची।

―अक्स समस्तीपुरी भैया
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अब दरमियाँ कोई भी शिकायत नहीं बची यानी करीब आने की सूरत नहीं बची। अब और कोई सदमा नहीं झेल सकता मैं अब और मेरी आँखों में हैरत नहीं बची। ―अक्स समस्तीपुरी भैया ______________________________

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Kumar Divyanshu Shekhar

हो सकता है
स्वप्न-जगत को ज़्यादा ज़रूरत होगी
तुम्हारी कविताओं की।
शायद वहाँ
कोई बच्चा कर रहा होगा इंतज़ार
तुम्हारी कविताओं का
स्कूल से भागकर
पटरी किनारे
कमर पर हाथ धरे।
                           (अनुशीर्षक पढ़ें)

©Kumar Divyanshu Shekhar (१)
कुछ कविताएँ नींद में बुनी जाती हैं।
उनका अस्तित्व आँखों के सोए रहने में है।
उनकी पूर्णता
हमारी सतही दुनिया से निरपेक्ष
सपनों की दुनिया में बने रहने में है
तभी तो आँखों के खुलते ही 
भाप हो जाती हैं वो

(१) कुछ कविताएँ नींद में बुनी जाती हैं। उनका अस्तित्व आँखों के सोए रहने में है। उनकी पूर्णता हमारी सतही दुनिया से निरपेक्ष सपनों की दुनिया में बने रहने में है तभी तो आँखों के खुलते ही भाप हो जाती हैं वो #Poetry #Art #Life #Hindi #writing #writer #literature #nojotohindi

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Kumar Divyanshu Shekhar

मैं लिखता हूँ
क्योंकि
मैं सोचता हूँ अच्छा है लिखा जाए।

किसी की बातों की यादों के चरखे में
सूत-सा कतने से अच्छा है लिखा जाए।

किसी और के कंधे पर रोते वादों के
आँसू पोछने की ख़्वाहिश रखने से अच्छा है लिखा जाए।

संबंधों की दरक चुकी पुरानी बाल्टी में
टेप साटने से अच्छा है लिखा जाए।
                                                       (पूरी रचना अनुशीर्षक में..)

©Kumar Divyanshu Shekhar (१)
मैं लिख रहा हूँ
क्योंकि
मैं लिखता हूँ।

मैं लिखता हूँ जब
मैं बहुत ख़ुश होता हूँ
गाँव के अंतिम छोर पर खड़े

(१) मैं लिख रहा हूँ क्योंकि मैं लिखता हूँ। मैं लिखता हूँ जब मैं बहुत ख़ुश होता हूँ गाँव के अंतिम छोर पर खड़े #Poetry #Life #Hindi #poem #kavita #nojotohindi #MeriKavita

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Kumar Divyanshu Shekhar

कोशिश बहुत की लिखूँ मुक्कमल
इस साल बह्र मैं सीख ना पाया।
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koshish bahut ki likhun mukkamal
Is saal bahr main seekh na paya.
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©Kumar Divyanshu Shekhar #अलविदा #2020 #welcome2020 #HappyNewYear2020 #sher #Bahr #nojoto #nojotohindi 

#ColdMoon
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Kumar Divyanshu Shekhar

चलते रहना नियम है प्रकृति का
और व्यर्थ है रुककर इंतज़ार करना भी
क्योंकि
अलग रास्तों पर चलने वाले 
कभी हमसफ़र नहीं हो सकते।
                              (read caption..)

©Kumar Divyanshu Shekhar यूँ ही अचानक
साल भर बाद
मेरे पते पर
तुम्हारा खत पहुँचना
जैसे सोती रात में
नीरव खड़े तालाब में
हवा को चीरता गिर आया हो
कोई उल्का पिंड।

यूँ ही अचानक साल भर बाद मेरे पते पर तुम्हारा खत पहुँचना जैसे सोती रात में नीरव खड़े तालाब में हवा को चीरता गिर आया हो कोई उल्का पिंड। #Poetry #Hindi #poem #nojotohindi #हमसफ़र #urdu #Hopeless #ख़त #साँसें 

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Kumar Divyanshu Shekhar

मैंने पढ़ा
फिर सोचा
उसे लिखा
और आखिर में बोला।

लेकिन जैसा पढ़ा
वैसा सोच नहीं पाया
जैसा सोचा
वैसा लिख नहीं पाया
और जैसा लिखा
वैसा बोल नहीं पाया।

मुझे ज्ञात हुआ
'अभिव्यक्ति' संसार की सबसे कठिन प्रक्रिया है।

©Kumar Divyanshu Shekhar #अभिव्यक्ति #kavita #Poetry #Hindi #urdu #Life #Nojoto #nojotohindi 

#walkingalone
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Kumar Divyanshu Shekhar

वक़्त की चाल देख रिश्ते बनाते हैं लोग
आज बस मेरी अच्छाइयाँ गिनाते हैं लोग।

मेरे हिस्से की रोटी पे पल जवान हुए हैं
मेरे घर का खाना अब बुरा बताते हैं लोग।

उनको कमरा दे रात ओसारे में बिताई है
आज तिमंज़िला अपना दिखाते हैं लोग।

तैर कर पार किया है दुखों का समंदर
मेरी खुशियों की नाव पे चढ़े जाते हैं लोग।

यूँ ही नहीं होना होता है खुदगर्ज़ यहाँ
ऊँगली थमाओ माथे पे चढ़े जाते हैं लोग।

हाँ, जन्नत की हक़ीक़त हमें भी मालूम है
बहलाने दीजिये, दिल बहलाते हैं लोग।

―कुमार दिव्यांशु शेखर #ghazal #बेबह्र #Hindi #urdu #Poetry #Nojoto #nojotohindi #Life
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Kumar Divyanshu Shekhar

जो हाथ प्रेम कविताओं पर तालियाँ बजाते हैं
वो नहीं काँपते एक प्रेमी का गुप्तांग काटते

हमारा समाज 'किया गया प्रेम' नहीं चाहता
उसे पसंद आता है 'लिखा हुआ प्रेम'..

―कुमार दिव्यांशु शेखर #Society #Fake #Narrow #Poetry #Hindi #Nojoto #nojotohindi #microtale
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Kumar Divyanshu Shekhar

एक बच्ची है
छोटे भाई को फुसलाती है
ताकि वो ले आये कुछ रसगुल्ले
बाज़ार से लौटते हुए,
रसगुल्ले उसे बेहद पसंद हैं।

फुसलाने में थोड़ी ऊँची हैं
उसकी आवाज़ की तरंगें
ताकि वो पहुँच जाए
दूसरे कमरे में तैयार होते
पिताजी के कानों तक।

भाई को बिठाया जाता है
पिताजी के आगे,
मोटरसाइकिल की सबसे सुरक्षित सीट पर।
बच्ची भागती है
छत की ओर
और निहारती है कोने से, देर तक
दूर जाती मोटरसाइकिल को
इस उम्मीद में कि
तरंगे पहुँच गई होंगी पिताजी के कानों तक।

―कुमार दिव्यांशु शेखर #Poetry #Hindi #girl #Life  #equality #Nojoto #nojotohindi
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Kumar Divyanshu Shekhar

कुछ कहना है
शब्द कंठ की मांसपेशियों में उलझ जा रहे हैं।
.
कुछ देखना है
नज़ारे भूत हो चुके हैं।
.
कुछ सुनना है
आवाज़ें आभासी हो चुकी हैं।
.
कुछ पढ़ना है
स्याही भाप बन चुकी है।
.
कुछ लिखना है
कलम का रिसाव सूख गया है।
.
कुछ और सोचना है
माथा बंद पड़ा है।
.
मुस्कुराना है
होंठ रूठे बैठे हैं।
.
रोना है
आँसू सफर पूरा नहीं कर रहे।
.
एक तस्वीर है
अवचेतन मन में धँसे जाती है।
.
एक सपना है
जो टूट चुका है।
.
एक सपना है
जो तोड़ना चाहता हूँ
नींद खुल नहीं रही...
.
©®कुमार दिव्यांशु शेखर #SushantSinghRajput #Dream #Nojoto #nojotohindi
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