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tariquesayeedusm3699
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Tarique S. Usmani

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Tarique S. Usmani

ज़ब्त-ए-ग़म पर ज़वाल क्यों आया 
शिद्दतों में उबाल क्यों आया,

गुल से खिलवाड़ कर रही थी हवा 
दिल को तेरा ख्याल क्यों आया...।

©Tarique S. Usmani #HappyRoseDay
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Tarique S. Usmani

लोगों को बताया जाता है कि वे अपने 
नैन-नक्श, गोरे रंग और लंबे कद की 
वजह से खूबसूरत दिखते हैं। 
हालाँकि हर वो इंसान खूबसूरत है जो 
नरम मिजाज़ मेहरबान और खूबसूरत 
मुस्कुराहट का मालिक है .!!

©Tarique S. Usmani #HappyRoseDay
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Tarique S. Usmani

orange string love light आपको सिर्फ़ 10% खुशियां बाहरी हालात 
से मिलती हैं। बाकी आपको नब्बे फीसदी 
ख़ुशियां आपके अंदरूनी खयालात और 
जज्बातों से मिलती हैं। मतलब यह है की 
खुश रहने के लिए दुनिया को बदलने के 
बजाय अपने अंदर की दुनिया को बदलना 
ज़रूरी है ।

©Tarique S. Usmani #lovelight

12 Love

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Tarique S. Usmani

sunset nature जल्द मेरा पसंदीदा मौसम आ जाएगा। जब शाख़ो 
से पत्ते मुंह के बल गिरेंगे। हर दरख़्त हल्क़ा महसूस 
करेंगे, तमाम सूखे पत्ते ज़मीन पे गर्म हवाओं से 
फिसलते हुए एक किनारे पर सिमट जायेंगे।
जब सूखी टहनियों के पार भी सूखी टहनियां दिखेंगी।
जब आस पास खुला सा लगेगा मानो हर दरख़्त 
बोझ से आज़ाद हुआ हो। जब चट चट करती हुई 
डालियाँ टूट के दरख़्त के पैरों पर गिरेंगी। जब कोई 
डाली किसी वज़न से झुकेगी नही।
जब परिदों की आवाज़ें साफ़ सुनाई देंगी, जब हर 
जगह से नमी दूर होगी।
ख़िज़ां की वो दोपहर और उसकी वीरानी मुझे सुकून 
देगी। ज़िन्दगी भर ढकने से अजब वहशत रही है जब 
हर चीज़ सीने पे चढ़ी आती है फिर वो खुद पे पड़ी 
चादर से लेकर आस पास बिखरी हुई चीज़े क्यों न हो 
एक वहशत सी होने लगती है।
अब मुझे प्रकृति से लेकर इंसान तक और इंसान से 
लेकर उसके ज़हन तक कोई ओट नही चाहिए। 
अब मुझे लफ़्ज़ों के गहरे अर्थ, और हर कारगुज़ारियों 
के गहरे मायने नही चाहिए।

©Tarique S. Usmani #sunsetnature
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Tarique S. Usmani

Red sands and spectacular sandstone rock formations कई दर्द में तुमसे मिला भी एक दर्द था जैसे समंदर
 के भीतर एक समंदर था। जिसका ओर छोर मुमकिन 
न था। कोई थाह न पाये इतना गहरा, कोई राज़ खुल 
न पाए इतना गहरा।
जहां तक नज़र न पहुंचे उतना वसीह, जहां तक कोई कश्ती न पहुंचे ऐसा गिरदाब।
कई बेचैनियों में तुमसे मिली बेचैनी भी थी, जैसे 
तन्हाइयो के कमरे में बैठी एक अलग तन्हाई जैसे 
चीख़ती आवाज़ों के बीच सिसकियों की खाई, जैसे रंगीनयो के बीच एक शाम मुरझाई,
तुमसे मिले वादों में एक वादा ऐसा भी था, जैसे हजरत 
ईसा का फिर से लौटना, जैसे भूली बात का फिर से 
याद होना, जैसे धुँधली तस्वीरों का फिर से साफ होना।

©Tarique S. Usmani #Sands

12 Love

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Tarique S. Usmani

कई बार दर्द को दर्द नही लिखा जाता...
कई बार मुस्कुराने को मुस्कुराना नही कहते
कई बार ठहरे हुए की कलाई को पकड़ना 
साथ चलने का इशारा नही होता।

कई बार बातों का आगाज़ उस बात का सिरा 
नही होता। कई बार चलते हुए जाना कहीं 
पहुँचने के लिए नही होता, कई बार लिखते 
रहना किसी को याद करने जैसा नही होता।

बहुत कुछ है जो पत्तो और टहनियों की आड़ 
में छुपा है, बहुत बार पतझड़ो मे जो ज़ाहिर हो 
जाता है उसे ज़ाहिर होने में अपनी मर्ज़ी नही होती। 
बहुत कुछ है जो कहते है चलो अब मैं चलता हूँ 
घर में कोई इंतिज़ार में होगा। शायद कमरे की 
दीवारें, एक मेज़ और कुछ किताबें। 
पहेली सी ज़िंदगीं के भंवर में हम ख़ुद फंस से 
जाते है कि खिलता है फूल तो ज़हन कहता है 
शाख़ें ख़ूब लगती है, और पहाड़ो पर बैठकर 
अपने कमरे की दीवारों के जाले छुड़ाता हूँ,
जो मेरी कैफियत के मुखालिफ़ है।

©Tarique S. Usmani #Path

15 Love

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Tarique S. Usmani

यादें थी, 
ढल गई
जैसे शाम ढलती है
सफ़र में रुकना भी 
एक नया सफ़र शुरू करना होता है
यादों से निकल कर
यादों तक पहुंचने का सफ़र

©Tarique S. Usmani #atthetop

10 Love

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Tarique S. Usmani

दुख दर्द का, तकलीफ़ का सामां न हुआ कर
ऐ जान-ए-वफ़ा हम से गुरेज़ां न हुआ कर


मुम्किन ही नहीं है की तुझे छोड़ के जाएं
हम रूठ भी जाएं तो परेशान न हुआ कर


मैं तेरी ही तस्वीर बनाता हूँ ग़ज़ल में
पढ़ कर मिरे अशआर तू हैरान न हुआ कर


तू हम से ख़फ़ा होता है, बन आती है जां पर
है तुझ को क़सम रब की मेरी जान, न हुआ कर

©Tarique S. Usmani
  #mobileaddict

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Tarique S. Usmani

मुझे पूरा यकीन है कोई मिसिंग टुकड़ा है मेरा 
तुम्हारे पास शायद उघड़े पज़ल का कोई हिस्सा 
कि हर बार, हर जन्म मेरी मुहब्बत मुझे वो एक 
टुकड़ा लौटाती है जिसकी तलाश में किसी 
चकरघिन्नी की तरह पूरी दुनिया में सदियो से 
भटक रहा हुँ मैं। 

मेरे पैरों में इतनी आवारगी इसलिए बसी है कि मेरी 
रूह के टुकड़े पूरी दुनिया में बिखरे पड़े हैं। अम्मी 
अकसर कहती थीं तेरी ऐड़ी का तिल तुझे कही 
ठहरने नहीं देगा, उनहे क्या पता कि ऐड़ी का 
तिल तो हम फिर भी सम्हाल लें, लेकिन सीने में 
जो दिल है, उसका क्या करें ।

©Tarique S. Usmani #Ride

12 Love

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Tarique S. Usmani

मेरा हाल उस कैदी जैसा है जिसे ऐन 
फ़रार के वक्त याद आया कि मेरा तो 
कोई मुंतज़िर ही नहीं।

©Tarique S. Usmani #swiftbird

16 Love

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