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रामकंवार पारासरिया

A writer of Rajasthani, Now writing a rajasthani book "बाड़की"। & hindi book "पूनम - बुक ऑफ़ माय लव"। A blogger 🏠 from ➡ मीरा नगरी मेड़ता सिटी, नागौर, राजस्थान Living in Ajmer 8⃣6⃣9⃣6⃣1⃣7⃣0⃣6⃣6⃣4⃣ On fb/writer.parasriya On insta/writer_rp_choudhary On Twitter/Rparasriya Stenographer I love writing. Love music वक्त की आहट समझों, इसे बर्बाद मत करो ।

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रामकंवार पारासरिया

कोई रूठे तो उसे मनाना अच्छा है,
इश्क़ में धोखा खाने से बदनाम होना अच्छा है।

©रामकंवार पारासरिया #Love #इश्क़ #प्रेम #धोखा 

#love  Sonali  Paul Amit Dey अशोक कृष्ण शास्त्री NOJOTO EVENT JAIPUR Pallavi Mishra

#Love #इश्क़ #प्रेम #धोखा #Love Sonali Paul Amit Dey अशोक कृष्ण शास्त्री NOJOTO EVENT JAIPUR Pallavi Mishra #शायरी

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रामकंवार पारासरिया

क्या जिओगी मेरे साथ जीवन सादा,
क्या बनोगी तुम ओ प्रिय मेरी राधा।

मुझे पूरा करने के लिए क्या बनोगी मेरा आधा,
पूछ रहा हूँ प्रेम से प्रिय क्या बनोगी मेरी राधा।

जो मुझे मिले श्रेष्ठ वो बनोगे इनाम,
मेरे लिए क्या तुम बनोंगे श्याम।

मेरा स्वर्ग, क्या मेरे लिए आओगें देव धाम,
प्रिय, क्या मेरे तुम बनोंगे घनश्याम।

©रामकंवार पारासरिया #radha #shyam #nojoto #राधाकृष्ण #प्रेम #लव #मीरा #कृष्ण_प्रेम
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रामकंवार पारासरिया

पिता 
मेरा 'डर' नहीं 'साहस' "पिता" है,
मेरी 'खामोशी' नहीं 'बोल' "पिता" है,
मैं मेरा 'रूप' हूँ मेरा 'श्रंगार' "पिता" है,
मैं जो 'पवन' हूं मेरा 'वेग' "पिता" है,
मैं जो तेज वेग की 'नदी' हूं,
मेरे वेग को अपने अंदर समां ने वाला 'समंदर' "पिता" है,
मैं जो पूरा 'जंगल' हूं,
मेरे 'राजा' "पिता" है,
अपनी पहचान 'छुपाकर' मुझे मैं बनाता है,
दरअसल वही तो 'पिता' होता है,
मां ने नौ महीने मुझे पेट में रखकर दर्द सहा,
पिता अपनी पूरी जिंदगी मुझे अच्छा इंसान बनाने में लगा रहा,
मेरे लिए समशीर का काम किया,
जब जब डर ने मुझे बदनाम किया,
मेरी फूटी किस्मत को चमकाने वाला वो सिक्का है,
बस यही "पारासरिया" और उसके "पिता" का किस्सा है। पिता पिता 
मेरा 'डर' नहीं 'साहस' "पिता" है,
मेरी 'खामोशी' नहीं 'बोल' "पिता" है,
मैं मेरा 'रूप' हूँ मेरा 'श्रंगार' "पिता" है,
मैं जो 'पवन' हूं मेरा 'वेग' "पिता" है,
मैं जो तेज वेग की 'नदी' हूं,
मेरे वेग को अपने अंदर समां ने वाला 'समंदर' "पिता" है,
मैं जो पूरा 'जंगल' हूं,

पिता पिता मेरा 'डर' नहीं 'साहस' "पिता" है, मेरी 'खामोशी' नहीं 'बोल' "पिता" है, मैं मेरा 'रूप' हूँ मेरा 'श्रंगार' "पिता" है, मैं जो 'पवन' हूं मेरा 'वेग' "पिता" है, मैं जो तेज वेग की 'नदी' हूं, मेरे वेग को अपने अंदर समां ने वाला 'समंदर' "पिता" है, मैं जो पूरा 'जंगल' हूं,

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रामकंवार पारासरिया

*देश की असली आजादी तो क्रांति के आई थी* 

तेरी दर्द भरी कहानी में मैं कैसे शामिल हो जाऊं, 
बहरूपिए हो तुम मैं कैसे शामिल हो जाउ,
मैं कैसे भूलूं शहीदों की चीखों को,
मैं कैसे भूलूं 23 साल के नौजवानों को,
सूली आज भी मुझे वह दिख रही है,
मेरी आंखो के सामने वह टिक रही है,
अरे क्या करते हो तुम भारत पाकिस्तान का बंटवारा,
जरा उन जवानों को भी याद कर लो जिन्होंने अपना जीवन इन दोनों मुल्कों पर वारा।
मैं गांधी जी का बन जाऊं पुजारी,
लेकिन बंटवारे के वक्त क्या उन्हें याद नहीं आई हमारी,
वतन बंट रहा था तुम मौन थे,
अब पूछ रहे हो कि नाथूराम गोडसे कौन थे,
बंग भंग हुआ तब भी तुम ना समझे,
दिल का टुकड़ा छीन ले गया जिन्ना तब भी तुम ना संभले,
अच्छा हुआ गांधीजी तुम को गोडसे ने मार दिया,
जब जिन्ना की बातों में आकर हिंदुस्तान और पाकिस्तान को अलग किया,
मेरी नजर में हिंदुस्तान का आज हर एक युवा मौन है,
जरा पूछो उन फांसी पर लटके हुए जवानों से कि वह कौन है,
मुझे आज भी याद है जो कत्लेआम हुआ,
हिंदुस्तान जब पाकिस्तान के रूप में बर्बाद हुआ,
हां तुम थे अहिंसा के पुजारी मैं भी बन जाऊं,
पर मैं उस आजाद को कैसे भूल जाऊं,
आजाद था, आजाद है,आजाद रहेगा,इस वचन को मैं कैसे झुटलाऊँ,
जलियां की वह आग आज भी सीने में चिंगारी बन कर बैठी है,
सभी अपनी अपनी राजनीति में लगे हुए हैं कौन कहता है कि देश मेरी माटी,
अरे पूछो उन माताओं को जिन्होंने अपने सीने पर पत्थर रख दिया,
अपने आंख के तारे को देश के लिए न्योछावर कर दिया,
पूछो उस पिता से जिसके सामने भगत सिंह ने बंदूक के बोई थी,
क्या उस रात उस पिता की आंखें चैन से सोई थी,
इंकलाब की वह बोली घर-घर में गूंज उठी थी,
तुम्हारी अहिंसा की उस टोली में कितनी चीखें रोज उठी,
तुम सही हो यह "पारासरिया" मानता है,
व्यक्तिगत तौर पर नहीं पर इतिहास के जरिये उनको जानता है,
तुमने अपने तरीके में शांति अपनाई थी,
लेकिन देश की असली आजादी तो क्रांति से आई थी,
देश की असली आजादी तो क्रांति के आई थी। *देश की असली आजादी तो क्रांति के आई थी* 

तेरी दर्द भरी कहानी में मैं कैसे शामिल हो जाऊं, बहरूपिए हो तुम मैं कैसे शामिल हो जाउ,
मैं कैसे भूलूं शहीदों की चीखों को,
मैं कैसे भूलूं 23 साल के नौजवानों को,
सूली आज भी मुझे वह दिख रही है,
मेरी आंखो के सामने वह टिक रही है,
अरे क्या करते हो तुम भारत पाकिस्तान का बंटवारा,

*देश की असली आजादी तो क्रांति के आई थी* तेरी दर्द भरी कहानी में मैं कैसे शामिल हो जाऊं, बहरूपिए हो तुम मैं कैसे शामिल हो जाउ, मैं कैसे भूलूं शहीदों की चीखों को, मैं कैसे भूलूं 23 साल के नौजवानों को, सूली आज भी मुझे वह दिख रही है, मेरी आंखो के सामने वह टिक रही है, अरे क्या करते हो तुम भारत पाकिस्तान का बंटवारा, #Poetry #shahiddiwas

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रामकंवार पारासरिया

अनकही कहानी लिखने की सोची,
पर क्या करूँ दिल ए ख्वाहिश रहे गई ओछी। अनकही कहानी लिखने की सोची,
पर क्या करूँ दिल ए ख्वाहिश रहे गई ओछी।
#love #nojoto

अनकही कहानी लिखने की सोची, पर क्या करूँ दिल ए ख्वाहिश रहे गई ओछी। #Love #Nojoto #Poetry

1 Love

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रामकंवार पारासरिया

रंगों की बहार,
होली का त्यौहार,
खुशियां हो अपार,
हल्का कर लो मन का भार,
गले मिलो और कहो हैप्पी होली मेरे यार। रंगों की बहार,
होली का त्यौहार,
खुशियां हो अपार,
हल्का कर लो मन का भार,
गले मिलो और कहो हैप्पी होली मेरे यार।
#happy_holi #nojoto

रंगों की बहार, होली का त्यौहार, खुशियां हो अपार, हल्का कर लो मन का भार, गले मिलो और कहो हैप्पी होली मेरे यार। #Happy_holi #Nojoto #Poetry

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रामकंवार पारासरिया

अशोक अपने घर पर एक कुर्सी पर बैठा था तभी अचानक एक औरत ( 18 वर्ष की लड़की गुलाबी रंग की मखमली साड़ी पहने हुए थी ) आई। अशोक कुर्सी से खड़ा हुआ और कहा तुम? अचानक अशोक पर चिल्लाई । अशोक कुछ कहता उससे पहले उस औरत ने अशोक के गाल पर जोर से एक चमाट मार दिया और कहा- " खुश तो बहुत हुए होंगे तुम"। अब अशोक कुछ कहे उससे पहले ही वह अशोक के घर से बाहर चली गई।…............................! अशोक अपने घर पर एक कुर्सी पर बैठा था तभी अचानक एक औरत ( 18 वर्ष की लड़की गुलाबी रंग की मखमली साड़ी पहने हुए थी ) आई। अशोक कुर्सी से खड़ा हुआ और कहा तुम? अचानक अशोक पर चिल्लाई । अशोक कुछ कहता उससे पहले उस औरत ने अशोक के गाल पर जोर से एक चमाट मार दिया और कहा- " खुश तो बहुत हुए होंगे तुम"। अब अशोक कुछ कहे उससे पहले ही वह अशोक के घर से बाहर चली गई।…............................!#love #nojoto #ishq #mylove

अशोक अपने घर पर एक कुर्सी पर बैठा था तभी अचानक एक औरत ( 18 वर्ष की लड़की गुलाबी रंग की मखमली साड़ी पहने हुए थी ) आई। अशोक कुर्सी से खड़ा हुआ और कहा तुम? अचानक अशोक पर चिल्लाई । अशोक कुछ कहता उससे पहले उस औरत ने अशोक के गाल पर जोर से एक चमाट मार दिया और कहा- " खुश तो बहुत हुए होंगे तुम"। अब अशोक कुछ कहे उससे पहले ही वह अशोक के घर से बाहर चली गई।…............................!#Love #Nojoto #ishq #mylove #Books

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रामकंवार पारासरिया

प्रीतम जे थे जानियो संदेशो म्हारो,
प्रीतम तो आप देश में म्हारे पधारो। प्रीतम जे थे जानियो संदेशो म्हारो,
प्रीतम तो आप देश में म्हारे पधारो।
जे थे - जो आपने
जानियो- पढ़ा 
म्हारो- मेरा

प्रीतम जे थे जानियो संदेशो म्हारो, प्रीतम तो आप देश में म्हारे पधारो। जे थे - जो आपने जानियो- पढ़ा म्हारो- मेरा #Poetry

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रामकंवार पारासरिया

मिट्टी तेरी बदल रही है,
हवा भी अब संभल रही है,
आंसू के तलब है जिंदगी तेरी,
पोंछ अश्कों को और देख माया बदल गई तेरी। मिट्टी तेरी बदल रही है,
हवा भी अब संभल रही है,
आंसू के तलब है जिंदगी तेरी,
पोंछ अश्कों को और देख माया बदल गई तेरी।
#nojoto #love #shayrivala #pyar

मिट्टी तेरी बदल रही है, हवा भी अब संभल रही है, आंसू के तलब है जिंदगी तेरी, पोंछ अश्कों को और देख माया बदल गई तेरी। #Nojoto #Love #shayrivala #Pyar

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रामकंवार पारासरिया

प्रीतम तेरी प्रीत में पतली पड़गी जिया सुखी घास,
प्रीतम तेरी प्रीत में रोज लगाऊं नित नई आस।। प्रीतम तेरी प्रीत में पतली पड़गी जिया सुखी घास,
प्रीतम तेरी प्रीत में रोज लगाऊं नित नई आस।।
#love #nojoto #life #dil

प्रीतम तेरी प्रीत में पतली पड़गी जिया सुखी घास, प्रीतम तेरी प्रीत में रोज लगाऊं नित नई आस।। #Love #Nojoto #Life #Dil #Poetry

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