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कवि अनूप दीक्षित राही

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कवि अनूप दीक्षित राही

मेरी ज़िन्दगी क्या इक खुली किताब है।
कहीं गमों के हैं सिलसिले कहीं जानलेवा अजाब है।।
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क्या हश्र है लिखा क्या अंजाम है मेरा।
कहीं टूटी हुई उम्मीद है कहीं अधूरा सा ख्वाब है।।
¤¤¤
कहीं शाम का कहर है कहीं सूना सा सहर है।
कहीं चेहरे पर है चेहरा कहीं चढ़ा हुआ नकाब है।।
¤¤¤
कहीं नजरों का है धोखा कहीं दिल की है तसल्ली।
कहीं मौत भी है मुश्किल कहीं जीना ख़राब है।।
¤¤¤
कहीं मै खुद ही हूँ आईने मे कहीं बाहर है अक्स मेरा।
कहीं छुपा हुआ है चेहरा कहीं बेनकाब है।।
¤¤¤
कहीं दर्द है हमसे जिन्दा कहीं मै खुद ही दर्द हूँ।
कहीं बेबसी सवाल है कहीं बेकली जवाब है।।
¤¤¤
अनूप दीक्षित" राही
उन्नाव उ0प्र0 My Life Is An Open Book

My Life Is An Open Book #कविता

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कवि अनूप दीक्षित राही

जो बिगड़ जाये ऐसा मुकद्दर नही हूँ मै।
मै सिकंदर हूँ किसी से कमतर नहीं हूँ मै।।
-
अनूप दीक्षित"राही
उन्नाव उ0प्र0 सिकन्दर

सिकन्दर

4 Love

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कवि अनूप दीक्षित राही

जिसे मैने  चाहा वो मेरा हमसफर न हुआ।
मगर मै उसके ख्यालों से बेखबर न हुआ।।
*
हुआ हूँ इस कदर पागल तेरी जुदाई मे।      
ये मेरा दिल बेचैन कभी इस कदर न हुआ।।
*
तमाम फूल मुन्तज़िर रहे मेरे हरदम।।         
तुम्हारे बाद कोई काबिल-ए-नजर न हुआ।।
*
भुलाना तो लाख चाहा मैने तुझको याद से।   
तुम्हारे याद से दिल कभी इधर-उधर न हुआ
*
ये भरम पाल बैठा कि अपनाहै इस जहाँ मे।
तलाश जिसकी रही वो अपना उमर भर न   हुआ
*
अनूप दीक्षित" राही
उन्नाव उत्तर प्रदेश ख्याल

ख्याल

9 Love

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कवि अनूप दीक्षित राही

 हमे कदम - कदम पर गहरी खाईयाँ मिली।
जब भी मिला हमे कुछ बस तनहाईयाँ मिली।।
-
मिलने की उनसे आरजू बस आरजू ही रह गयी।
हाँ अगर कुछ भी तो फकत रुसवाईयाँ मिली।।
-
सोंचता हूँ गर छोड़ दूँ उनके यादों का पीछा।
तो मेरे अक्स पर उनकी ही परछाईयाँ मिली।।

हमे कदम - कदम पर गहरी खाईयाँ मिली। जब भी मिला हमे कुछ बस तनहाईयाँ मिली।। - मिलने की उनसे आरजू बस आरजू ही रह गयी। हाँ अगर कुछ भी तो फकत रुसवाईयाँ मिली।। - सोंचता हूँ गर छोड़ दूँ उनके यादों का पीछा। तो मेरे अक्स पर उनकी ही परछाईयाँ मिली।। #कविता #nojotophoto

7 Love

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कवि अनूप दीक्षित राही

खामशी

खामशी #कविता

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