अपनी कलम से अपने कलाम लिखता हूँ। ब्लॉग्स पढ़ने वालों को सलाम लिखता हूँ। मीर, ग़ालिब के शहर से हूँ, मैं भी शेर कहता हूँ। हिन्दुस्तान के दिल दिल्ली मे रहता हूँ। उम्र छोटी है, तज़ुर्बा बड़ा है। जनाब वक़ील हूँ, अदालत में रहता हूँ। अदाकारी भी की, निज़ामत भी की, किताबों के साथ आँखे भी पढ़कर आया हूँ। मेरे सरकार दिल्ली यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट पढ़कर आया हूँ। कबूतरों ने नोकरी छोड़ दी, सब ने चिट्ठी लिखनी पढ़नी छोड़ दी,इसलिए दोस्त में आपसे मिलने अब online आया हूँ। (यूसुफ देहलवी)
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