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harishchander7038
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हर्ष चौधरी

रोज़ की मुश्किलें आख़िर क्यों ज़िन्दगी का हिस्सा बन गई हैं । एक कोशिश आपके उन जबाबों को देने की। आप इंस्टा से भी मुझ से जुड़ सकते है। insta Id @Journey_with_tarot , Whatsapp No. 7302115569

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हर्ष चौधरी

White दुआ है कि ये बोझ न हो

बोझ है तो ये  फिर न हो,

©हर्ष चौधरी
  #SAD

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हर्ष चौधरी

White दुआ है कि ये बोझ न हो

बोझ है तो ये  फिर न हो,

©हर्ष चौधरी
  #SAD

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हर्ष चौधरी

White यार बणाउणें सोखे ने पर यार मणाउणे ओखे ने
जे माही रब बन रूस जावे फेर हर थां ते तोखे ने,


फ़कीर  हक़ीम सब दे  पावें जतन लख कर लवो
ऐह रोग अवला ला बैठे साह जिंद दे लेणे ओखे ने,

©हर्ष चौधरी
  #SAD

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हर्ष चौधरी

Men walking on dark street सितारों से गुफ़्तगू अब आम हो गई
जब से मेरे ख़्वाबों की शाम हो गई,

उनका कहना कुछ दिनों की बात है
मेरी हसरतें तो मानों बदनाम हो गई,

कोई पर्दा  तो नहीं था जो उठ गया
हकीकत  देख जिंदगी आम हो गई,

बहारों ने रुख अपना बदल सा लिया
बड़ी जल्दी जिंदगी की शाम हो गई,

भरी महफ़िल में मैने वजूद खो दिया
ये महफ़िल किसी और के नाम हो गई,

बस एक ख़्याल

©हर्ष चौधरी
  #Emotional

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हर्ष चौधरी

Men walking on dark street वो आज रेत की तरह मानो हाथ से सरकता गया
मैं जिंदगी की उलझनों में और भी उलझता गया,

ख़्वाहिश उम्र भर की चंद लम्हों में सिमटती गई
मैं तन्हा था सफ़र में  वो फिर तन्हा करता गया,

तुम दरिया की रवानी का न सबब पूछो मुझसे
आँख से दरिया निकला फिर स्याही बनता गया ,

बहकी हुई शामों से फिर रूबरू शायद न हो पाऊँ
मेरे अंदर का जलजला आज फिर मचलता गया,

आ बैठ पास मेरे तुझे फिर से जीने की वजह दे दूँ
क्यों आज मैं तेरी इस बेरुखी को फिर सुनता गया,

एक ख़्याल भर

©हर्ष चौधरी
  #Emotional

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हर्ष चौधरी

Village Life जुदाई का दर्द किसे जीने देता है

रोज़ मिलने की आस में तुझ से जुदा होता हूँ,

©हर्ष चौधरी
  #villagelife

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हर्ष चौधरी

बस एक ही कसक क्यों मुट्ठी से रेत का सरक जाना
जितना भी  जतन कर लो ख़्वाब का माटी हो जाना

कुछ निशा छोड़ आया है कोई अपने कदमों के चलते
चली है क्यों  आँधियाँ और उन निशा  का मिट जाना,

टूट कर मुरझा  रहा है कोई जो डाली पर खिलता था 
बहके हुए कदमों की कसक और मेरा माटी हो जाना,

अरमाँ मचलते हैं अब राख होने को क्या हो जाऊं मैं
क़लम से स्याही का मिलना और मेरा राख हो जाना

©हर्ष चौधरी
  #snowpark

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हर्ष चौधरी

Village Life बहुत कुछ खामोश हो रहा दरमियाँ में शायद 
एक कसक जो अश्क़ कहते गए और मैं भी


न आँखों को सकूँ न दिल को मेरे करार आया
ये आख़िर क्यों बेघर हुए हैं घर से और मैं भी,


डूबती हुई किश्तियों से साहिल का न पूछो तुम
भरी हुई है कसक इनमे डूब रहीं हैं और मैं भी,


मेरी आँखों में सुलगती हुई चिंगारी की वजह है
मेरे भीतर कुछ जल रहा सुलग रहा और मैं भी,

©हर्ष चौधरी
  #villagelife

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हर्ष चौधरी

Village Life बहुत कुछ खामोश हो रहा दरमियाँ में शायद 
एक कसक जो अश्क़ कहते गए और मैं भी


न आँखों को सकूँ न दिल को मेरे करार आया
ये आख़िर क्यों बेघर हुए हैं घर से और मैं भी,


डूबती हुई किश्तियों से साहिल का न पूछो तुम
भरी हुई है कसक इनमे डूब रहीं हैं और मैं भी,


मेरी आँखों में सुलगती हुई चिंगारी की वजह है
मेरे भीतर कुछ जल रहा सुलग रहा और मैं भी,

©हर्ष चौधरी
  #villagelife

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हर्ष चौधरी

Village Life बहुत कुछ खामोश हो रहा दरमियाँ में शायद 
एक कसक जो अश्क़ कहते गए और मैं भी


न आँखों को सकूँ न दिल को मेरे करार आया
ये आख़िर क्यों बेघर हुए हैं घर से और मैं भी,


डूबती हुई किश्तियों से साहिल का न पूछो तुम
भरी हुई है कसक इनमे दुब रहा हूँ और मैं भी,


मेरी आँखों में सुलगती हुई चिंगारी की वजह है
मेरे भीतर कुछ जल रहा सुलग रहा और मैं भी,

©हर्ष चौधरी
  #villagelife

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