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कृष्ण की कलम से

I love to express my feelings in words with my poems

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कृष्ण की कलम से

 #कृष्ण_की_कलम_से
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कृष्ण की कलम से

हर शाम मै थोड़ा-थोड़ा मरता हूँ,
हर सुबह जीने की खातिर,
@कृष्ण की कलम से कृष्ण की कलम से

कृष्ण की कलम से

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कृष्ण की कलम से

ख्याल तेरा है जब भी आता,
हम अपना हर एक गम भूल जाते,
वो तेरी यादें वो तेरी बातें 
तुझ संग बीती वो मुलाकातें
मेरी रातों का है चैन तुझसे,
तुझसे ही दिन में सुकून पाते,
ख्याल तेरा है जब भी आता,
हम अपना हर एक गम भूल जाते,
वो तेरा लड़ना और वो झगड़ना,
हर बात पे तेरा मुझसे अकड़ना,
गुस्से से तेरा वो लाल होना,
दिल ही दिल में बवाल होना,
फिर तेरा मुझसे वो रूठ जाना,
करके जतन फिर तुझको मनाना,
जब जाती थी तू मेरी जान मान,
आकाश से चाँद तक तोड़ लाते,
ख्याल तेरा है जब भी आता,
हम अपना हर एक गम भूल जाते,
@कृष्ण की कलम से #कृष्ण_की_कलम_से
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कृष्ण की कलम से

ख्याल तेरा है जब भी आता, हम अपना हर एक गम भूल जाते, वो तेरी यादें वो तेरी बातें तुझ संग बीती वो मुलाकातें मेरी रातों का है चैन तुझसे, तुझसे ही दिन में सुकून पाते, ख्याल तेरा है जब भी आता, हम अपना हर एक गम भूल जाते,

ख्याल तेरा है जब भी आता, हम अपना हर एक गम भूल जाते, वो तेरी यादें वो तेरी बातें तुझ संग बीती वो मुलाकातें मेरी रातों का है चैन तुझसे, तुझसे ही दिन में सुकून पाते, ख्याल तेरा है जब भी आता, हम अपना हर एक गम भूल जाते,

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कृष्ण की कलम से

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कृष्ण की कलम से

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कृष्ण की कलम से

-----राही-----
चल रहा है राही, शहर-शहर और गाँव-गाँव।
मंजिल उसकी अपनी है, अपना है ठहराव।।
चलता है थकता है,
रूकता है फिर चलता है,
कर लेता आराम दो पल का,
मिल जाती जहाँ छाव,
चल रहा है राही, शहर-शहर और गाँव-गाँव।
मंजिल उसकी अपनी है, अपना है ठहराव।।
कभी कच्ची सड़कें चलता है,
कभी पक्की सड़कें चलता है,
गिरता है उठता है,
लड़खड़ता है संभलता है,
हो चाहे जैसे हालात,
साथ न छोड़े पाँव,
चल रहा है राही, शहर-शहर और गाँव-गाँव।
मंजिल उसकी अपनी है, अपना है ठहराव।।
कभी नदियाँ मिलती कभी सागर मिलते,
झील ताल महासागर मिलते,
कभी तैर कर करते पार,
कभी मिल जाती नाँव,
चल रहा है राही, शहर-शहर और गाँव-गाँव।
मंजिल उसकी अपनी है, अपना है ठहराव।।
@कृष्ण

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