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कुमार संदीप

साहित्य सेवक,पाठक, विद्यार्थी

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कुमार संदीप

स्वास्थ्य बेहतर हो तो हर कठिन कार्य सरल प्रतीत होता है स्वास्थ्य अकुशल रहने पर हर आसान कार्य कठिन। #health

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कुमार संदीप

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कुमार संदीप

इस कथन से यही अभिप्राय है कि हमें बीती बातों को भूलकर कुछ बेहतर करने का प्रयास करना चाहिए।बीती बातों को याद करने से क्या फायदा।कुछ अलग करने की सोचनी चाहिए।बीती बातें जो बीत चुकी हैं उसके विषय में आज सोचकर अपने कल को बर्बाद नहीं करना चाहिए।आज कुछ बेहतर करना चाहिए जिनसे हमारा कल बेहतरीन हो।
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कुमार संदीप

महँगे चॉकलेट्स 
अपने बच्चों को खरीदने की बजाए
हमें उन बच्चों के चेहरों पर मुस्कान लानी चाहिए
जिनके हिस्से में हर पल हर क्षण दुख ही दुख है
जो भूल गए हैं हँसना
वक्त ने छीन ली है उनके हिस्से की ख़ुशी
हाँ हमें उन बेसहारे बच्चों का
सहारा बनने का यथासंभव प्रयास करना चाहिए
हमें न केवल ख़ुद की 
ख़ुशियों की परवाह करनी चाहिए
अपितु उन बेसहारे बच्चों के चेहरे की
मुस्कान बननी चाहिए
हाँ चॉकलेट्स डे के दिन ही
सही आज एक चॉकलेट्स उनके नाम
कर दीजिए जिनके हिस्से में
गम ही गम है..
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कुमार संदीप

प्रेमिका को पुष्प अर्पित करने की बजाए प्रेमिका को ख़ुश करने की बजाए जाकर उनका हृदयतल से शुक्रिया अदा करना चाहिए जिसने हमें जन्म दिया संस्कार दिए।उस माता-पिता के हम ऋणी है।हमें सर्वदा उनको ख़ुश रखने का प्रयास करना चाहिए।
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कुमार संदीप

#पेड़

पेड़ की पत्तियाँ करती है
पेड़ से कुछ सवाल
स्वार्थी इंसान तुम्हें असमय
ही काल के गाल तक पहुंचा
देते हैं फिर तू इतना दयावान
क्यूं है ?
इंसान तो आँखों के रहते 
अंधे हैं तू मत कर परोपकार 
पेड़ ने मुस्कुरा कर रहा
इंसान है अनजान 
मुझ बिन क्या बच पाएगी
स्वार्थी इंसानों की जान
छोड पत्ती तू इन बातों को
और मेरे साथ तू भी मुस्कुरा
ज़िंदगी जी भर जब तक 
साँस शेष है तन में।।

✍️कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित #tree
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कुमार संदीप

खुशी के पल में न सही पर दुख की घड़ी में अपनों का साथ अवश्य निभाएं।तकलीफ़ से मुँह मोड़कर पीछा छुड़ा कर खुद के स्वार्थ में लीन रहना इंसानियत नहीं है।
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कुमार संदीप

बेवक्त मिली तकलीफों से घबरा तू रुक मत!
दुख की घड़ी में हाथ पे हाथ रख तू रो मत!
जरा देख सूर्य की लालिमा को खुद जल कर 
रौशनी जहां को देता है कुछ सीख और तू थक मत!
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कुमार संदीप

नववर्ष में चलो हम
आज ले संकल्प कि
हम मुरझाए चेहरे पर
मुस्कान लाएंगे,हाँ हम
बेसहारों का सहारा बनेंगे
हाँ इस वर्ष हम कुछ अलग करेंगे।

वक्त ने बेवक्त जिन्हें दी
है दुख अपार,चलो आज
हम उन्हें अपने हिस्से की
कुछ खुशियाँ अर्पित करें
हाँ चलो हम उन बेसहारों का
सहारा बनें,इस वर्ष कुछ अलग करें।

नववर्ष का आना खुशियों की
सौगात है,पर जरा सोचिए
उन बेसहारों के विषय में
जिनका हर दिन रो रोकर
है गुजरात, चलो इस वर्ष
हम नववर्ष उनके साथ मनाएं।

नववर्ष हम कुछ इस तरह मनाएं
चलो आज हम उनका घर रौशन
करें,जिनके हिस्से में ईश्वर ने दी
है केवल अँधियारे ही अँधियारे
चलो हम अपने हिस्से की खुशियाँ
उन निर्धनों को अर्पित करें।

©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित #Happy_new_year_2020
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कुमार संदीप

दिसंबर आपका शुक्रिया करुं या आपके प्रति खेद प्रकट करुँ।आपने इस वर्ष कईयों को दुख दिए तो कईयों के दामन में असीमित खुशीयाँ दी।अलविदा

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