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shivendrapatel5873
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एक शख्स

मैं आइना एक टूटा हुआ,तू ख्वाब एक बिखरा हुआ।

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एक शख्स

आखिर क्यूं इतना लगाव तुम्हें मेरी यातना में है,
बस विरह,वेदना,वियोग,विलाप मेरी दास्तां में है।

असंभव सी उम्मीदें हैं जो टूटना ही नहीं चाहती,
सिर्फ तड़पती,कलपती इक पुकार मेरी आत्मा में है।

वो जितना दूर है, तुम उतने ही मेरे पास हो,
सिर्फ इतना ही अंतर तुम में और आसमां में है।

 उसे अलौकिक कहते है और तुम लौकिक हो,
 सिर्फ इतना ही अंतर तुम में और परमात्मा में है।

मैं तुम्हारी तस्वीर को शर्ट के खलीसे में रखता हूं,
बस इतनी ही दूरी मेरी आत्मा और परमात्मा में है।

©एक शख्स
  #delusion
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एक शख्स



यह जो स्याह वीरान 
अकेली रातों का मंजर है 
यहां सिर्फ ख्वाबों का खंजर है

बाहर तो सब कुछ
छलावा है, दिखावा है
सच तो सिर्फ आंखों के अंदर है

अपने आंसू सहेज रखना
जीवन में आगे का ये रस्ता
सिर्फ बंजर ही बंजर है

©एक शख्स
  #humantouch
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एक शख्स

ये तो सच है कि मुझे तुझसे मुहब्बत थी
पत्थर टूट गया मगर आइना नही टूटा

©एक शख्स
  #humantouch
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एक शख्स

अंततः तय है सबकुछ 
आदि में ख़ाक हो जाना
यही तो नियम है बंधु...
एक दिन सब कुछ ही
राख राख  हो जाना

©एक शख्स
  #TechnologyDay
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एक शख्स

जिसे सुनकर ये मजमा झूम उठता है,
दरअसल वो मेरी 
सबसे उदास कविता है।

©एक शख्स
  #RABINDRANATHTAGORE
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एक शख्स

प्रिये,
तुमपर लिखी मेरी सारी कविताएं
तुम्हारे जाने के बाद से उदास बैठी हैं।
तुम्हारी याद आने पर उन्हे पढ़ने के 
उद्देश्य से जब भी डायरी खोलता हूँ
तो वे पन्ने के कोनों में किसी मुरझाये
फूल की तरह या किसी उदास बच्चे की तरह,
घुटने से सिर टिकाये बैठी रहती हैं
नीरस,बेजान,नाराज़ या मुरझायी हुई सी....!
प्रिये,
मुझे याद है,जब तुम इन्हे अपने होठों
से गुनगुनाया करती थी,तो ये तुम्हारी 
साँसों के स्पर्श मात्र से ही जीवंत हो 
उठती थी।
ये बहती थीं,दरिया की तरह,हवाओं की तरह
या यों कहें कि रगों में लहू की तरह,
ये उछलकूद करती थीं,मेमने की तरह,
लहरों की तरह या यों कहें कि 
तीव्र गति वाली धड़कनों कि तरह।
प्रिये,
मुझे लगता है अब तुम्हे आने में जरा भी देर 
नहीं करनी चाहिए अन्यथा ये तुम्हारी 'प्रिय' कविताएं
इन्ही पन्नों में घुटकर मर जाएंगी।
प्रिये,
तुम शिकायत करती रहती हो कि अब तुमपर मै कविताएं क्यूं नहीं लिखता?
प्रिये
"बस इसी डर से कि ये कविताएं भी.......!"
                          -  तुम्हारा शिवेन्द्र

©शिवेन्द्र पटेल #ValentineDay
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एक शख्स

मैं अपनी हलचल को खुद ही भांप रहा हूँ
वो मेरे सामने खड़ी है और मैं कांप रहा हूँ

उसे है कि मेरा नाम भी नही मालूम है
और मैं उसके नाम की माला जाप रहा हूँ

बावजूद इसके इजहार करने की जिद है मुझे
यानि कि अपनी कब्र  मैं खुद नाप रहा हूँ

©शिवेन्द्र पटेल #proposeday
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एक शख्स

एक हसीन चेहरा जब ख्वाब हो जाता है,
चाँद  गुलाबी  होकर गुलाब  हो जाता है।

टूटता है  ख़्वाब  जब इंतज़ार में  फ़क़त,
इश्क में अश्क़ घुलकर शराब हो जाता है।

©शिवेन्द्र पटेल #Rose #roseday
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एक शख्स

हो मुमकिन गर,उन लम्हों को मै,
सीने से अपने कसकर थाम लूँ ।
काश जीवंत हो जाएँ वो ख्वाबीदा लम्हे,
जो एक बार भी मै उनका नाम लूँ।

आग लगे जीवन की स्याह,इन रातों में।
है यहाँ कहाँ किसी को चाह,इन रातों में।
काश तेरी खुलती पलकों से मै सहर चुराऊं
और इन झुकती पलकों से सिन्दूरी शाम लूँ ।

हो मुमकिन गर, तो तोड़ दूँ बंधन सारे
इन ख्वाबों को चुन चुन जिसने बाँध रखे।
काश कि तू चार कदम बस आगे आये
मूंदकर आँखे दौड़ मै हाथ तेरा थाम लूँ।

हो ये साबित कि दुनिया इक मायाजाल है,
काश मेरे सपनों को सच ठहराया जाए।
काश तू मेरे ख्वाबों से अब जाग उठे
जो एक बार भी मै तेरा नाम लूँ।

हो मुमकिन गर,उन लम्हों को मै,
सीने से अपने कसकर थाम लूँ ।

©शिवेन्द्र पटेल #loV€fOR€v€R

loV€fOR€v€R #कविता

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एक शख्स

उसे अलौकिक कहते हैं और तुम लौकिक हो,
केवल इतना ही अंतर है तुम में और परमात्मा में।

मैं तुम्हारी तस्वीर को शर्ट के खलीसे में रखता हूं,
 बस..इतनी ही दूरी है परमात्मा और मेरी आत्मा में।

©शिवेन्द्र पटेल #Walk
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