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nojotouser5291214563
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Deeksha shah

progressive writer.

http://deekshashah.blogspot.com/

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Deeksha shah

कहां से शुरू करूं मुझे नही पता। 
मैं अभी इतना रू रही हूं फिर भी लिख रही हूं। 
मुझे खुद पे तरस आता है। 
ऐसा नही है की मैने खुद को इतना अकेला महसूस पहले कभी नही किया हो। 
फिर भी...
कभी कभी लगता है सब खोखला हो गया है अंदर से फिर भी ये दर्द खत्म क्यों नही होता। 
ऐसा लगता है में रोज़ मर रही हूं।
 ऐसा लगता है मेरी आत्मा कब की मर चुकी है बस हर सुबह अपनी लाश को जिस्म के कपड़े पहनाकर अपने किरदार का अभिनय करना होता है। 
मेरे साथ इतनी तकलीफ क्यों है। 
मैं सोचना क्यों बंद नही कर सकती। 
फिर जो सोचा है उसे बोल देना या लिख देना इतना जरूरी क्यों होता है। 
i miss you चाचा। 
अतीत की हर एक चीज क्यों याद रह जाती है। 
क्यों मुझे सब कुछ याद है। 
क्यों सब यादें मीट नही जाती। 
क्यों आप वापस नही आ जाते। 
क्यों क्यूं क्यों?
ऐसा लगता है कल ही तो मेने आपसे बात की थी। 
काश मुझे पता होता वो हमारे आखरी बातचीत है। 
पता नही इससे कुछ बदलता भी या नही।
 जब भी मैं कहीं भी travelling करती हूं। 
हर बार लगता है आप मुझे मिल जायेंगे। 
हर बार लगता है मैं आपको जिद करके घर वापस ले जाऊंगी। 
हर सफर यही उम्मीद में मैं तय करती हूं और हर बार निराश क्यों लौटना पढ़ता है। 
काश मैं इस दिल का सब दर्द लिख पाती। 
जितना ये दिल अंदर से चीख रहा है मैं उतना बाहर से भी चीख पाती। 
आज एक साल हो गया हैं(28-08-2021)। 
आज घर में सब उदास होंगे।
 मेरी आंखों के सामने सबके आंसू वाली सूरत है जब आप चले गए थे।
 घर में हर कोई अपना कोना तलाश कर रो रहा था।
 मुझे नही पता आप कितने दुखी थे जो अपने सबको पीछे छोड़ दिया। 
क्या आपको अपने बच्चों की याद नही आती क्या आपको मेरी याद नही आती।
 हर बार लगता है काश मैं आपको रोक पाती काश मैं सब कुछ सही कर पाती।

©Deeksha shah
  #Parchhai saddest side of my life.😓

#Parchhai saddest side of my life.😓 #Life

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Deeksha shah

प्रीतम की मैं अमृता, साहिर को चाह कर भी।
इमरोज़ का सा प्यार ढूंढ रही हूं।।

©Deeksha shah
  #DiyaSalaai  अमृता प्रीतम

#DiyaSalaai अमृता प्रीतम

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Deeksha shah

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Deeksha shah

बहुत दिनों से जहन में बहुत तूफान मचा पड़ा है।
पर मैं खुद को ये सब लिखने से रोक रही हूं।
हर बार जब भी दिल भारी हो जाता है।
खुद को कुछ और कामों में उलझने की कोशिश कर रही हूं।
हर वक्त लग रहा है मैं अब रो दूंगी।
फिर लंबी सांसे ले कर अपने आप को सामान्य दिखाने की कोशिश कर रही हूं।
बहुत बार आंखों में आए आसूं मैं बहने से रोक ले रही हूं।
पता नही मुझे लिखना क्या है।
बस इतना पता है। दिल पर कोई पत्थर पढ़ गया है।
सांस लेना मुश्किल सा लगने लगा है।
anxiety सा है शायद ये।
पता नही किस चीज से तसली मिलेगी ।
लिख देने से या रो लेने से
या फिर मुझे अकेले में लिख कर रो लेना चाहिए।
 पता नही क्या मसला है मेरे साथ
जो लिखना है जो दिल में है वो लिख क्यूं नही पाती
पता नही किस चीज की कमी है
शब्दों की हिम्मत की?
शायद क्वी कागज की है
इस notepad पे मैं लिख नही पा रही हूं।
शायद मुझे इस दर्द को कुछ वक्त और इसे ही झेलना है।
मेरे पास अकेले में इतना वक्त होता है।
फिर भी मैं उस अकेलेपन का इंतजार करती हूं।
जिसमे मैं अपने दिल की बातें लिख सकूं।
उम्मीद ही कर सकती हूं वो वक्त आ ही जायेगा।
शायद एक और वजह हो सकती है मेरे ना लिखने की 
क्योंकि मैं वो बदल नही सकती बस लिख सकती हूं।

©Deeksha shah
  #lonelynight
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Deeksha shah

रो दूंगी तो लगता है 
तुम्हे भूलने का पहला कदम होगा वो
एक वक्त के बाद आंसुओं के साथ 
तुम्हारा नाम भी धूल जायेगा
शायद वो नाम पूरा नही मिटेगा
इसलिए और ज्यादा भीतर चुबता जायेगा।
तुम्हे तड़प बनाना ये नही चाहा कभी
कभी नही चाहा तुम्हारे लिए रोना होगा।
रोना ही होता तो हजारों और लोग काफी थे
तुम्हे जिंदगी में आने ही नही दिया होता।
जो सपने तुम्हारे साथ जीने को सोचे थे
उन्हे बुनती ही नही रहने देती कहीं कोन में पढ़े
जो वक्त तुम्हारे इंतजार में बैचेन पढ़ी रहती थी
उसे लगा देती किसी जरूरत के काम में
या लेटी रहती पंखे को ताकते हुए
और वक्त को हाथों से फिसलने देती
कुछ भी करती कामकाजी या फिजुल
पर में यूं बेचैन न रहती।

©Deeksha shah
  #lonely

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Deeksha shah

यह एहसास भी जाने कितने हैं
 जो कभी पुराने या फिर कम नहीं पड़ते 
तुमने जो सोचा भी नहीं है वह सब कुछ हो चुका है 
तुम्हें नहीं पता कुछ भी क्योंकि वह बस मैंने जिया है
 तुम नहीं सोचते इतनी गहराई से 
शायद सोचते होंगे पर शब्द नहीं मिलते होंगे 
हां प्यार का इजहार करने के लिए तुम्हारे शब्दों की जरूरत है 
क्योंकि मैं हर बार एहसास पढ़ना नहीं चाहती
मुझे शब्दों की जरूरत पड़ती है
कि तुम जो महसूस करते हो मुझसे कह भी सको
शायद इसीलिए मैं इतनी विचलित हूं 
मुझे तुम शून्य में भी छू लो तो भी मैं पूर्ण हो जाऊं।

©Deeksha shah
  #nightshayari
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Deeksha shah

उसे चाहना सोचना बस में होता तो यूं मैं लिख नही रही होती।
 हर बार, हर आदत में, हर नई शुरुवात में हजारों बार उसी गलती को उसी के लिए दोहराती हूं। 
हर हर्फ बोलने से पहले उसके शब्द याद आ जाते हैं। 
उसके हिस्से की बातें भी खुद से करके में कभी थकती ही नही हूं। 
शायद उसके हर जवाब में मैं ही थी, इसलिए उसका हर जवाब मुझे पहले से मालूम होता है।
उसकी हर cheese line उस समय में बचकानी कहती थी। 
अब अकेले बैठ कर उन्ही बातों को खुद में हजारों बार जीती हूं। 
उससे भले ही हर बार बोला हो तुम्हारी किसी भी बात पे भरोसा नही होता,
 पर उसकी बातें जहन से जाती भी नही। 
सोचती हूं तुझे, फिर खुद को झंझोर कर वापस ले आती हूं। 
जानती हूं सब पीछे छूट गया, सब धूल गया है वक्त की बारिश में। 
कभी सोचती हूं इसमें भीग कर रो लूं जी भर के  
पर जाने क्यों दिल भर जाता है पर आंखें नही भरती।

©Deeksha shah
  #sadquote कुछ उसकी बातें खुद से।

#sadquote कुछ उसकी बातें खुद से। #Poetry

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Deeksha shah

Ijazat song..❤️

Ijazat song..❤️ #Love

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Deeksha shah

my first Poet Conference.  neha singh Nadeem Haidar Gazala shekh PB

my first Poet Conference. neha singh Nadeem Haidar Gazala shekh PB

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Deeksha shah

Chal wahan jate hain

Chal wahan jate hain

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