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मै लिखती इसलिए नहीं हूं कि मुझे खुदा शौहरत से नवाजे मै लिखती इसलिए हूं की मै किसी अजनबी के दिल की खुशी गम , दर्द , नाराज़गी, ख़ामोशी को अपने दिल कि खुशी गम , दर्द , नाराज़गी, ख़ामोशी से मिला पाऊ उसके हर से अपने अश्को को मिला सकु । फिर वो अश्को गम के हो या खुशियों के ।