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balwantmehta6993
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Balwant Mehta

youtube.com/@Baateinbalwantki

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Balwant Mehta

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset  रुकती नहीं जिंदगी किसी के लिए,
हर मोड़ पे एक नया सफर होता है।
कभी हँसी में खो जाती है,
तो कभी आँसुओं से भरी होती है।

रुकना तो जैसे इसकी आदत नहीं,
चलती रहती है, चाहे जितनी मुश्किल घड़ी हो।
हर साँस में एक नया एहसास देती है,
हर दर्द को सहने का हुनर सिखाती है।

जिंदगी की यही तो खासियत है,
रुक कर कभी किसी के लिए ठहरती नहीं।
बस चलती रहती है अपने रास्ते,
हर किसी को अपने रंग में ढालती है।

©Balwant Mehta #SunSet
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Balwant Mehta

रुकती नहीं जिंदगी किसी के लिए,
हर मोड़ पे एक नया सफर होता है।
कभी हँसी में खो जाती है,
तो कभी आँसुओं से भरी होती है।

रुकना तो जैसे इसकी आदत नहीं,
चलती रहती है, चाहे जितनी मुश्किल घड़ी हो।
हर साँस में एक नया एहसास देती है,
हर दर्द को सहने का हुनर सिखाती है।

जिंदगी की यही तो खासियत है,
रुक कर कभी किसी के लिए ठहरती नहीं।
बस चलती रहती है अपने रास्ते,
हर किसी को अपने रंग में ढालती है।

©Balwant Mehta #Life
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Balwant Mehta

रुकती नहीं जिंदगी किसी के लिए,
हर मोड़ पे एक नया सफर होता है।
कभी हँसी में खो जाती है,
तो कभी आँसुओं से भरी होती है।

रुकना तो जैसे इसकी आदत नहीं,
चलती रहती है, चाहे जितनी मुश्किल घड़ी हो।
हर साँस में एक नया एहसास देती है,
हर दर्द को सहने का हुनर सिखाती है।

जिंदगी की यही तो खासियत है,
रुक कर कभी किसी के लिए ठहरती नहीं।
बस चलती रहती है अपने रास्ते,
हर किसी को अपने रंग में ढालती है।

©Balwant Mehta #stilllife
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Balwant Mehta

वजह सुनाऊं जिससे रुख़ मोड़ गई चाहत,
हर लफ्ज़ में छुपी है दिल की वह शिकायत।
वो वादे जो कभी थे आसमान से ऊंचे,
धीरे-धीरे बन गए धुएं से बूझे।

जो हाथ थामा था तुमने कभी,
वो हाथ छूटा क्यों, पूछो अब भी।
राहें जो चलती थीं साथ में हमेशा,
क्यों बदल गईं वो वक्त की ये रेशा?

हर बात में अब क्यों ठंडी सी खामोशी है,
जहाँ हंसी थी पहले, अब क्यों उदासी है?
नज़रें जो मिलती थीं चुपचाप कहने को,
अब क्यों झुकती हैं दर्द सहने को?

वजह है यही कि भरोसा जो टूटा,
दिल ने फिर उस राह से मुंह को फेरा।
चाहत ने भी अब सीख ली ये बात,
जहाँ ना हो सच्चाई, वहाँ ना हो साथ।

©Balwant Mehta #Night
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Balwant Mehta

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset  मोबाइल को छोड़ कभी मिलों तो,
नज़रें उठेंगी, दिल खिलेंगे,
बातें होंगी, हंसी बिखरेंगे,
यादें नई-पुरानी सब जी लेंगे।

वो स्पर्श जो स्क्रीन नहीं दे सकती,
वो एहसास जो शब्दों में नहीं आता,
वो पल जो झलकियों में नहीं समाता,
उसे जियो, जो वाकई में दिल छू जाता।

मोबाइल को छोड़ कभी मिलों तो,
रिश्तों की गर्माहट फिर से मिलेगी,
ज़िंदगी की सच्ची धड़कन सुनाई देगी,
और दोस्ती की गहराई महसूस होगी।

©Balwant Mehta #SunSet
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Balwant Mehta

फूलों के बाग में बने हम तितली,
रंग-बिरंगे ख्वाबों में खो जाएं।
हर कली की खुशबू से लिपटकर,
अपनी ज़िन्दगी को महकाएं।

उड़ते रहें हम आसमानों में,
मुक्त हो हर बंधन से।
हर फूल की पंखुड़ी पर बिखेरें,
अपने इश्क़ की कहानी धीरे-धीरे।

कभी सूरज की किरणों से बातें करें,
कभी चाँदनी रातों में झूल जाएं।
फूलों के बाग में बने हम तितली,
हर लम्हे को प्यार से अपनाएं।

©Balwant Mehta
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Balwant Mehta

नींव मज़बूत बनाए रखिए,
हर मंज़िल की राह बनेगी,
जो पत्थर आज राह में आए,
वही कल इबादतगाह बनेगी।

तूफ़ान कितना भी आए तेज़,
हौसला ना डिगा पाएगा,
जड़ों की ताकत से फिर
हर पेड़ आसमान छू पाएगा।

हर गिरती दीवार कहेगी यही,
खुद को संभालना है ज़रूरी,
नींव मज़बूत बनाए रखिए,
सपनों की ऊँचाई होगी पूरी।

©Balwant Mehta
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Balwant Mehta

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset  बता दो ना कब तक आओगे,ये राहें अब थकने लगी हैं।
तेरी आहट की उम्मीद में,मेरी धड़कनें सिमटने लगी हैं।
सितारे भी अब पूछते हैं,चाँदनी से तेरी बातें।
रात की खामोशी में,तेरी ही गूंजती यादें।

बता दो ना कब तक आओगे,हर पल तेरा इंतजार है।
हवा भी अब चुप रहने लगी है,तेरी खुशबू का इंतजार है।
कदमों की आहट जब सुनाई देगी,मेरे आंगन में बहार होगी।
तू आएगा जब मेरी ओर,हर कली में उमंग होगी।

बता दो ना कब तक आओगे,दिल में अब सुकून चाहिए।
तेरी बाहों में जो चैन मिले,वो हसीन ख्वाब सच चाहिए।

©Balwant Mehta #SunSet
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Balwant Mehta

तन्हाई क्यों है धड़कनों के शहर में,
हर दिल क्यों बसा है ग़म के पहर में।
रौनक तो है, मगर चेहरे बुझे से हैं,
मुस्कानें भी गुम हैं अपने ही सफ़र में।

महफ़िलें सजती हैं, पर दिल नहीं मिलते,
आँखें तो मिलती हैं, पर जज़्बात नहीं खिलते।
इस भीड़ में भी, हर कोई अकेला है,
ख़ुशियाँ तो हैं मगर, दर्द का मेला है।

कहने को यहाँ सब अपने हैं,
पर अपनेपन की कमी हर पल सताती है।
इस धड़कनों के शहर में,
तन्हाई क्यों हर कोना पाती है?

©Balwant Mehta
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Balwant Mehta

गर्म चाय से भरी ग्लास,
पारले जी संग मस्ती का खास।
सर्द हवाओं में दिल को रास,
बचपन की यादों का होता अहसास।

©Balwant Mehta
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