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kunwarsiddhantaw5359
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kunwar siddhant Awasthi

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kunwar siddhant Awasthi

तुम बिछुड़ तो गए थे यही पर कभी
आज फिर से मिले आमने सामने

एक दिन उसने मुझसे कहा था यही
आओ बैठे कभी आमने सामने

उस गली में मेरा घर किराये पे है
और रहते भी है आमने सामने

कैसे नजरें मिली और क्या क्या हुआ
तीर कैसे चले आमने सामने

उनकी महफ़िल में भी यूँ निज़ामत मेरी
अर्ज़ कैसे करें आमने सामने

भीगी पलको से सुनते रहे हैं गजल
और बैठे भी है आमने सामने

कुँवर

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kunwar siddhant Awasthi

बहुत कम ही रुकता है रात का पंछी ।
अपने साथ ही उड़ता है साथ का पंछी ।।

किसीके पहनावे से उसकी जांच न करो ।
अचानक ही दिखता है औकात का पंछी ।।

बात समझने की कोशिश किया करो ।
हर रोज नही आता जज्बात का पंछी ।।

आप जब भी मुह खोलो तोलकर खोलो ।
मन के फकस से न छोड़ो घात का पंछी ।।

मन मे किसी तरह का मलाल न रखो ।
सबके लिये रखा करो नात का पँछी ।।

शब्दों के कहने का सलीका सीखिए ।
बहुत जल्दी उड़ता है बात का पंछी ।।

कर्म के संग मेहनत भी करो साहब  ।
पता नही कब मिले सौगात का पंछी ।।

मैं अपनो के बीच भटकता ही रह गया
मुझे नही मिला अपनी ही जात का पंछी

कुंवर सिद्धांत बहुत कम ही रुकता है रात का पंछी ।
अपने साथ ही उड़ता है साथ का पंछी ।।

किसीके पहनावे से उसकी जांच न करो ।
अचानक ही दिखता है औकात का पंछी ।।

बात समझने की कोशिश किया करो ।
हर रोज नही आता जज्बात का पंछी ।।

बहुत कम ही रुकता है रात का पंछी । अपने साथ ही उड़ता है साथ का पंछी ।। किसीके पहनावे से उसकी जांच न करो । अचानक ही दिखता है औकात का पंछी ।। बात समझने की कोशिश किया करो । हर रोज नही आता जज्बात का पंछी ।।

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kunwar siddhant Awasthi

बे वज़ह यार अब तो है रोना नही
आंख अश्क़ों में अपनी भिगोना नही
सोंचते थे सभी टूट जाएंगे हम
टूट जाऊं मैं ऐसा खिलौना नही

जो भी पाया या खोया अधूरा रहा
ख्वाब जो भी संजोया अधूरा रहा
दर्द में मेरे तुम भी न रोये अगर
संग जहाँ भी जो रोया अधूरा रहा

आज अश्क़ों को पानी बताना पड़ा
उस समंदर को फ़ानी बताना पड़ा
जख्म की महफ़िलो में जो चर्चा हुई
उन सभी को कहानी बताना पड़ा

कुंवर सिद्धांत बे वज़ह यार अब तो है रोना नही
आंख अश्क़ों में अपनी भिगोना नही
सोंचते थे सभी टूट जाएंगे हम
टूट जाऊं मैं ऐसा खिलौना नही

जो भी पाया या खोया अधूरा रहा
ख्वाब जो भी संजोया अधूरा रहा
दर्द में मेरे तुम भी न रोये अगर

बे वज़ह यार अब तो है रोना नही आंख अश्क़ों में अपनी भिगोना नही सोंचते थे सभी टूट जाएंगे हम टूट जाऊं मैं ऐसा खिलौना नही जो भी पाया या खोया अधूरा रहा ख्वाब जो भी संजोया अधूरा रहा दर्द में मेरे तुम भी न रोये अगर

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kunwar siddhant Awasthi

बे वज़ह यार अब तो है रोना नही
आंख अश्क़ों में अपनी भिगोना नही
सोंचते थे सभी टूट जाएंगे हम
टूट जाऊं मैं ऐसा खिलौना नही

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kunwar siddhant Awasthi

मै अपने गीत को संगीत को आधार किसका दूं
विकल जब भावनाएं हो उन्हें संसार किसका दूं
मेरे शब्दो मे ताकत है किसी को हू ब हू लिख दूं
मगर मेरी विवशता है उन्हें आकार किसका दूं

कुँवर

8 Love

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kunwar siddhant Awasthi

हम अंजाम हैं करके आगाज चले जाओगे
छोड़कर के सारे सुर साज चले जाओगे
इन सच्चाई के आईनो से मिलो नर्म लहजे में
वरना महफ़िल से होकर नाराज चले जाओगे

कुंवर हम अंजाम हैं करके आगाज चले जाओगे
छोड़कर के सारे सुर साज चले जाओगे
इन सच्चाई के आईनो से मिलो नर्म लहजे में
वरना महफ़िल से होकर नाराज चले जाओगे

कुंवर

हम अंजाम हैं करके आगाज चले जाओगे छोड़कर के सारे सुर साज चले जाओगे इन सच्चाई के आईनो से मिलो नर्म लहजे में वरना महफ़िल से होकर नाराज चले जाओगे कुंवर

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kunwar siddhant Awasthi

कही पुष्पो में नव पल्लव कही पर गन्ध हो जाये
कन्हइया और राधा सा वही अनुबंध हो जाये
मैं गाऊं हर निशा हरपल कही तेरा सितम साजन
वो सारे अर्थ मिलकर के नया सा छंद हो जाये

कुंवर कही पुष्पो में नव पल्लव कही पर गन्ध हो जाये
कन्हइया और राधा सा वही अनुबंध हो जाये
मैं गाऊं हर निशा हरपल कही तेरा सितम साजन
वो सारे अर्थ मिलकर के नया सा छंद हो जाये

कुंवर

कही पुष्पो में नव पल्लव कही पर गन्ध हो जाये कन्हइया और राधा सा वही अनुबंध हो जाये मैं गाऊं हर निशा हरपल कही तेरा सितम साजन वो सारे अर्थ मिलकर के नया सा छंद हो जाये कुंवर #कविता

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kunwar siddhant Awasthi

जलाशय भी पूंछते है अब कूप की रंगत,
ये छांव पूंछ लेती है कभी धूप की रंगत,
ऐसे ही नही हम तुमको याद कर लेते है,
उस पल बढ़ जाती है मेरे रूप की रंगत,

कुँवर सिद्धांत जलाशय भी पूंछते है अब कूप की रंगत,
ये छांव पूंछ लेती है कभी धूप की रंगत,
ऐसे ही नही हम तुमको याद कर लेते है,
उस पल बढ़ जाती है मेरे रूप की रंगत,

कुँवर सिद्धांत

जलाशय भी पूंछते है अब कूप की रंगत, ये छांव पूंछ लेती है कभी धूप की रंगत, ऐसे ही नही हम तुमको याद कर लेते है, उस पल बढ़ जाती है मेरे रूप की रंगत, कुँवर सिद्धांत

5 Love

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kunwar siddhant Awasthi

दामन किसी का हाथ से छूटता रहा मगर
ये रिश्ता ऐ खयाल है जो जाता ही नही दामन किसी का हाथ से छूटता रहा मगर
ये रिश्ता ऐ खयाल है जो जाता ही नही

दामन किसी का हाथ से छूटता रहा मगर ये रिश्ता ऐ खयाल है जो जाता ही नही

5 Love

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kunwar siddhant Awasthi

यहां पर अनसुना सब है सुनाया हो नही सकता
पता सबको हकीकत है छुपाया हो नही सकता
जिसे तकलीफ होती है हमारी आह को सुनकर
पराया कह भले तुम दो पराया हो नही सकता

कुँवर सिद्धांत यहां पर अनसुना सब है सुनाया हो नही सकता
पता सबको हकीकत है छुपाया हो नही सकता
जिसे तकलीफ होती है हमारी आह को सुनकर
पराया कह भले तुम दो पराया हो नही सकता

कुँवर सिद्धांत

यहां पर अनसुना सब है सुनाया हो नही सकता पता सबको हकीकत है छुपाया हो नही सकता जिसे तकलीफ होती है हमारी आह को सुनकर पराया कह भले तुम दो पराया हो नही सकता कुँवर सिद्धांत

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