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"एहसास ज़िन्दगी हैं और ज़िन्दगी ही है एहसास ,
बिगड़ते सवारते हालातो को सिखाती एक क्लास ,,
हर रोज़ कुछ नया किस्सा , लिख जाती है जो पन्नो पे,
किताब सी है ये ज़िन्दगी ,लम्हे कराती आभास ,,
खुशियों की बारिश में , अपनो का साथ ,
गम के बादल में , उन्ही अपनो का उपहास ,,
भीड़ में खोजते रहते है हम, जाने पहचाने चेहरों को ,
जैसे पतझड़ में सब प्राणी , करते बसंत की आस ,,
जलती धूप सी परेशानियां है , कभी आग है सांसों में ,
कभी मस्ती का आनदं है , जैसे बरस रहा हो रास ,,
कितने ही राज़ लिए फिरती है , ये अनजाने राहों पर ,
कही अनजाने रिस्तो से दिलाती है , सदियों का विस्वास ,,
कभी सत्य कभी झूठ , कभी निराश कभी उल्लास ,
हर पल चलना सिखाती वो , जैसे हो एक माँ की अरदास ,,
हँसते हुए भी रुलाया इसने , कभी रोते हुए भी हँसा दिया ,
जो कभी दोस्त थे वो दुश्मन बने , कभी दुश्मन आये पास ,,
कभी छोड़ देते थे थाली में अन्न , कभी खाली रही थाली ,
ज़िन्दगी ने कभी सरताज बनाया , कभी पाई पाई को मोहताज़,,
किसी लम्हे ने ठोकर देकर तोड़ दिया, किसी लम्हे ने खुद से
नाता जोड़ दिया ,
कभी महफ़िल में तन्हा चीखे , कभी तन्हा में जिये हो के बिंदास,,
कभी हिम्मत की आहट , कभी ज़िम्मेदारी की शुरुवात है ,
हर पल जी लो ज़िन्दगी अपनी, ज़िन्दगी कुछ नही , सिर्फ है एक एहसास ,,"