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poetryforzindagi8202
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poetryforzindagi

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poetryforzindagi

कोई       चाँद         रख
मेरी          शाम         पर...
मेरा        दिल         जले
तेरे         नाम          पर.... #koi_chand_rakh_drama
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poetryforzindagi

#urdughazal #rekhta #urdupoetry
#poetryforzindagi
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poetryforzindagi

#poetryforzindagi #nidafazli
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poetryforzindagi

जलाकर आग में खुद को बुझाना ही पड़ा होगा
मुसीबत में गले फिर से लगाना ही पड़ा होगा

मरासिम थे सभी से पर मगर मुझको बता दो ये
कभी हमराज़ दुश्मन को बनाना ही पड़ा होगा


शबे बीती बहाते अश्क़ पागल थे मुहब्बत में
तुम्हे महबूब को फिर से मनाना हीय पड़ा होगा

सुनी जब थी खबर तुमने मिलूंगा उस जहां तुमको
चुभा है आंख में तिनका बताना ही पड़ा होगा

भला रुकती कहां से ज़िन्दगी मेरे गुज़रने से
मुझे मालूम है तुमको चलाना ही पड़ा होगा #shamesukhan #RDV19
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poetryforzindagi

पता होता अगर मुझको कहां में फिर सफर करता
पढ़ाई जल्द पूरी कर ट्यूशन मुख्तसर करता

शहर छोडा गली छोडी वहाँ से था चला आया
नगर की रोनको से में भला कैसे गुज़र करता

जलाई जब कभी सिगरेट बना साया उसी का ही
उसी के नाम पे ही ज़िन्दगी पूरी ज़हर करता

ख़यालो ने डुबाया फिर कभी ना तैर पाया में
पलट आऊं बता कैसे समंदर को लहर करता

कभी भी बोलती जब वो नरम लहजा नही रखती
फ़क़त तेरे लिये में भी ज़ुबा अपनी शकर रखता #shamesukhan
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poetryforzindagi

शहर भर की उदासी का
सबब जो हमसे पूछें हो
तुम्हे मालूम क्या होगा
अपनी धुन में जो रहते हो
इक जादूगर है नया आया
सुना जादू कोई नया लाया #shamesukhan #RDV19
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तुम्हे मालूम हो ना हो
मुझे बस ये ही लगता है
इस दुनिया मे सभी कुछ है
यहाँ पर सिर्फ और सिर्फ
कमी बस ज़िन्दगी की है
कमी कुछ रतजगों की भी
कमी बस उलफ़्तों की है

यहाँ ये भी सुना हमने
फ़क़त हैं चार दिन जीते
आते फिर चले जाते
यहाँ हर चीज़ को मिटना
यहां पल पल उलझना है
किसी को कोई डर ना है
इरादा कर लिया है अब
में तुमसे हूँ कहे देता
चलो जाओ अभी छोड़ो
यहां इज़हार क्या करना
यहां फिर प्यार क्या करना

मगर मेने सुना ये भी
यहां से दूर इक है दुनिया
जहां हम सबको जाना है
सो मेरा तुम से वादा है
वहीं इक बार मिलना है
वहीं इज़हार करना है 
वहीं फिर प्यार करना है #shamesukhan #RDV19
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poetryforzindagi

जो चली गई थी रुत अब इधर नही आती
तितलियां चमन को यूँ छोड़ घर नही आती

बस मुझे चले जाने की अजीब सी धुन है
ये नही हुआ की यादे सफर नही आती

जागता रहूँ में क्यूं रातभर सितारों संग
नींद दूर है आंखों को मगर नही आती

हम गुज़ार दिए कितने आफताब ऊपर से
धूंप है मिरे घर मे जो नज़र नही आती

यह शहर अजब से माहौल में कहीँ गुम है
क्यूं यहाँ किसी मरने की खबर नही आती #RDV19 #Shamesukhan
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poetryforzindagi

कभी भूले कभी भटके हमारा दिल कहां समझे
ज़रूरी काम से हटके हमारा दिल कहां समझे

कदम थम से गयें है अब मिलन की रुत नही आई
फ़क़त इक आस है चमके हमारा दिल कहां समझे

बरसते बादलो के बीच केफे में मिली मुझसे
नरम रुखसार पे अटके हमारा दिल कहां समझे

यकीं जानो अगर रूठे कभी तुम तो मना लेंगें
तिरे ही नाम पर धड़के हमारा दिल कहां समझे

गुज़ारिश है यही तुमसे कि फिर से ख्वाब में आना
लबो से फिर छुएँ पलके हमारा दिल कहां समझे #RDV19 #shamesukhan
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poetryforzindagi

अंधेरी रात में जब भी सितारे मिल नही पाते
नदी के साथ चलते है किनारे मिल नही पाते

गुलाबी शाम में इक दिन उसी ने राज ये खोला
बदन जब साथ जलते है शरारे मिल नही पाते

हमी पागल नही है बस अभी कुछ और है बाकी
भटकते है बयाबां में सहारे मिल नही पाते 

चमकते है सितारे भी फलक पर आस ले कर के
मगर तेरी निगाहों से सितारे बच नही पाते

कंवल खिलते नही है अब गुलाबी रुख नही होता
नज़र हर बार मिलती है नज़ारे मिल नही पाते #shamesukhan #RDV19 #urdupoetry #poetryforzindagi
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