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atulkumar3840
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ᗩTᑌᒪ

A Would Be Writer...Maybe

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ᗩTᑌᒪ

ना निकलो तुम आशियाने से, जद में रहो
बिगड़ने वालें हैं और भी हालात, हद में रहो
बना बैठा था रब उसने भी हार मान लिया
तुम हो अदना सा नादाँ, बैठे अपने घर में रहो
बंद हो नहीं रुख़सत कर जाओगे दुनियाँ से
बनो एक सामाजिक इंसान अपने शहर में रहो
वैसे तो ख़ूब बहाते हो खूँ-पसीना इनके लिए
अपने ना सही, इनके ख़ातिर इनके नज़र में रहो
वक़्त का तकाज़ा है, सभी बंद हैं अपने घरों में
बरतो तुम भी एहतियात अभी बस तन्हाई में रहो
है क़ातिल मर्ज़ नयी, दवा भी तो नयी ही बनेगी
रखो उस ख़ुदा पर आसरा, बस थोड़ा सबर में रहो
जब थमेगी बीमारी तो फ़िर मिल बैठेंगें सब भाई
मानो अतुल की बात, तुम अभी अपने शज़र में रहो
- अतुल ना निकलो तुम आशियाने से, जद में रहो
बिगड़ने वालें हैं और भी हालात, हद में रहो
बना बैठा था रब उसने भी हार मान लिया
तुम हो अदना सा नादाँ, बैठे अपने घर में रहो
बंद हो नहीं रुख़सत कर जाओगे दुनियाँ से
बनो एक सामाजिक इंसान अपने शहर में रहो
वैसे तो ख़ूब बहाते हो खूँ-पसीना इनके लिए
अपने ना सही, इनके ख़ातिर इनके नज़र में रहो

ना निकलो तुम आशियाने से, जद में रहो बिगड़ने वालें हैं और भी हालात, हद में रहो बना बैठा था रब उसने भी हार मान लिया तुम हो अदना सा नादाँ, बैठे अपने घर में रहो बंद हो नहीं रुख़सत कर जाओगे दुनियाँ से बनो एक सामाजिक इंसान अपने शहर में रहो वैसे तो ख़ूब बहाते हो खूँ-पसीना इनके लिए अपने ना सही, इनके ख़ातिर इनके नज़र में रहो

9 Love

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ᗩTᑌᒪ

कोई साज़िश हुई है खिलाफ़ हमारे
हमें राख करने की भारी तैयारी हुई है
घुल गयी ज़हर जो इन फ़िज़ाओं में
तब हुक्मरानों की फ़रमान जारी हुई है
वतन जल रहा मज़हबी आग में औ
मेहमानों का इस्तक़बाल सरकारी हुई है
शहीद हो गया रतन दावँ पेंच में इनके
कहीं मासूम के खून से भी इफ्तारी हुई है
दिखी हथियार सरे राह खुले हाँथो में
हमारे सिपाही का बदन लहु से तारी हुई है
जला है परिन्दों का सारा जहान इसमें
ख़ुदा के घर भी अगजनी औ बमबारी हुई है
खूब चला धंधा ख़बर में खून परोसने का
शहादत यहाँ अमन चैन औ सुंकूँ हमारी हुई है
कोई गहरी साज़िश हुई है खिलाफ हमारे
 भाईचारे को खाख करने की भारी तैयारी हुई है

✍️Atul Kumar कोई साज़िश हुई है खिलाफ़ हमारे
हमें राख करने की भारी तैयारी हुई है
घुल गयी ज़हर जो इन फ़िज़ाओं में
तब हुक्मरानों की फ़रमान जारी हुई है
वतन जल रहा मज़हबी आग में औ
मेहमानों का इस्तक़बाल सरकारी हुई है
शहीद हो गया रतन दावँ पेंच में इनके
कहीं मासूम के खून से भी इफ्तारी हुई है

कोई साज़िश हुई है खिलाफ़ हमारे हमें राख करने की भारी तैयारी हुई है घुल गयी ज़हर जो इन फ़िज़ाओं में तब हुक्मरानों की फ़रमान जारी हुई है वतन जल रहा मज़हबी आग में औ मेहमानों का इस्तक़बाल सरकारी हुई है शहीद हो गया रतन दावँ पेंच में इनके कहीं मासूम के खून से भी इफ्तारी हुई है

14 Love

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ᗩTᑌᒪ

खड़ा किया मज़हब का बैर
परिन्दों का घर जला दिया तुमने
सब रहते थे भाई से उनके ही
दिल में नफ़रत घर कर दिया तुमने
बरसों पहले बीज जो बोया था
उसको ताज़ा ख़बर कर दिया तुमने
था कभी जो रहनुमाओं का काम
हर वह काम ख़ुशी से कर दिया तुमने
जो बसदनसीब मासूमों के खून से
आज अपना रोज़नामा भर दिया तुमने
वो था हम सा एक अदना सा नौकर
जिसका सारा हस्ती ही मिटा दिया तुमने
अफज़ल-कसाब भी जो कर न सकें
उसका सारा अधूरा काम कर दिया तुमने
तारीफ़ करती थी सारी दुनियाँ जिसकी
उसके ही हवाओं में दशहत भर दिया तुमने
जिसके रहमतों से आबाद होती है जहां
आज उस खुदा को भी बेघर कर दिया तुमने
वो शहर जिसे कहते है हिंदुस्तान का दिल
उसके खुली फ़िज़ाओं में ज़हर भर दिया तुमने
भाईचारे का पौधा सींचा जो अपने पुरखों ने
आज सब के अरमानों पर पानी फेर दिया तुमने
✍🏼Atul Kumar खड़ा किया मज़हब का बैर
परिन्दों का घर जला दिया तुमने
सब रहते थे भाई से उनके ही
दिल में नफ़रत घर कर दिया तुमने
बरसों पहले बीज जो बोया था
उसको ताज़ा ख़बर कर दिया तुमने
था कभी जो रहनुमाओं का काम
हर वह काम ख़ुशी से कर दिया तुमने

खड़ा किया मज़हब का बैर परिन्दों का घर जला दिया तुमने सब रहते थे भाई से उनके ही दिल में नफ़रत घर कर दिया तुमने बरसों पहले बीज जो बोया था उसको ताज़ा ख़बर कर दिया तुमने था कभी जो रहनुमाओं का काम हर वह काम ख़ुशी से कर दिया तुमने

6 Love

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ᗩTᑌᒪ

दुनियाँ को सुनाना भी है हमें
उसी जहान से जीत जाना है तुमको
बेरंग सी दुनियाँ के रंगों से दूर
अपनी दिलों ज़द में लाना है तुमको
एक तेरे बिना क्या हाल है मेरा
आँखों की नमी दिखलाना है तुमको
अपनी हर किस्सा बिन छिपाए
बिन कहे हर बात बतलाना है तुमको
तुम्हारे साथ था तो मुकम्मल था
फ़रेब नहीं सच था समझाना है तुमको
तुमनें ही तो बोला था मुझे अपना
फ़िर क्यों मुझसे ही दूर जाना है तुमको
तुम आओ औ इतने करीब आओ
अपने धड़कन की धुन सुनाना है तुमको
चाहो अब भी पूरे हो जाए हम दोनो
बस एक थोड़ा सा जोर लगाना है तुमको
क्या खोया क्या पा लिया दूर होकर
उसी ग़लती का एहसास कराना है तुमको
नज़रें उठाऊँ तो बस तू ही दिखाई दे
मुझको फ़िरसे इतने क़रीब लाना है तुमको
तू इम्तेहान न ले, इस ऐतबार की मिरी
मुझको सिर्फ़ अपना परवर बनाना है तुमको
मुदत्तों तक लोग बदलें नहीं यहाँ रहबर
ज़िन्दगी का यह भी सच दिखलाना है तुमको
जिस दुनियाँ की रीति ने जुदा किया था
फ़िर आज उसी जहान से जीत जाना है तुमको
✍🏼 अतुल दुनियाँ को सुनाना भी है हमें
उसी जहान से जीत जाना है तुमको
बेरंग सी दुनियाँ के रंगों से दूर
अपनी दिलों ज़द में लाना है तुमको
एक तेरे बिना क्या हाल है मेरा
आँखों की नमी दिखलाना है तुमको
अपनी हर किस्सा बिन छिपाए
बिन कहे हर बात बतलाना है तुमको

दुनियाँ को सुनाना भी है हमें उसी जहान से जीत जाना है तुमको बेरंग सी दुनियाँ के रंगों से दूर अपनी दिलों ज़द में लाना है तुमको एक तेरे बिना क्या हाल है मेरा आँखों की नमी दिखलाना है तुमको अपनी हर किस्सा बिन छिपाए बिन कहे हर बात बतलाना है तुमको

6 Love

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ᗩTᑌᒪ

मैं कतरा था 
सो तुझतक आकर रुक गया मैं
तू दरिया है
जा तुझको बहता पानी मुबारक
हसीं सूरत देख
तू जो कर गयी है बेवफ़ाई मुझसे
तू खुश रह
तुझे चमकता हुआ चेहरा मुबारक
मैं अश्क़ हूँ
मुझे तो बरसते रहने की आदत है
तू फूल है
तुझे महकता हुआ गुलिस्ताँ मुबारक
तुझसे बिछड़ कर
मैं एक अरसे अंधेरे में कैद हूँ जानिब
तुम बस मुस्कुराओ
तुमको हँसता हुआ ये ज़माना मुबारक
मैं मन्नतें सितारा
ना जाने कब का टूट कर बिखर गया हूँ
तू पूरा आसमाँ है
तुझको सितारों का सारा ज़मात मुबारक
मैं ना बदला कभी
मेरे लफ्ज़ आज भी तेरे खुशी के पाबंद है
तू बदगुमान है
तुझे कुछ भी बोलने की आज़ादी मुबारक
मैं फिज़ूल हूँ
तेरे ज़िन्दगी के किस्सों में आ निकल गया
तू किस्मत है
तुझे हर क़दम क़दम तेरी क़ामयाबी मुबारक
मैं बेज़ार हूँ
महफ़िलों में बैठ कर भी जो गुमनामियों में हूँ
तू मेज़बान है
तुझको वस्ल की सारी हसीं मुलाक़ात मुबारक
तुझे खोकर भी
मैं अब तक कभी गमज़दा नहीं हुआ हूँ साहिब
जिसने तुझे पाया
उसको मेरे खुशियों से भरा सारा जहान मुबारक
✍️ अतुल मैं कतरा था 
सो तुझतक आकर रुक गया मैं
तू दरिया है
जा तुझको बहता पानी मुबारक
हसीं सूरत देख
तू जो कर गयी है बेवफ़ाई मुझसे
तू खुश रह
तुझे चमकता हुआ चेहरा मुबारक

मैं कतरा था सो तुझतक आकर रुक गया मैं तू दरिया है जा तुझको बहता पानी मुबारक हसीं सूरत देख तू जो कर गयी है बेवफ़ाई मुझसे तू खुश रह तुझे चमकता हुआ चेहरा मुबारक

12 Love

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ᗩTᑌᒪ

बरसात हुई थी धूप में उस दिन
हिन्द का हर बच्चा-बूढ़ा रोया था
जब सफ़र में सोता हुआ जवान
बारुद से उठे अंगारों में समाया था
इंतेज़ार था बूढ़े बाप को उसका
बचपन मे चलना जिसे सिखाया था
नजाने कितने टूकड़े हुए थे उसके
बोटी बोटी उनको घर अपने लाया था
बिन ब्याहे विधवा हुई थी इक बच्ची
हाँथो मेहंदी जो वीर के नाम पिरोया था
किसी एक माँ ने नहीं खोया था बेटा
हर हिन्दुस्तानी ने अपना लाल गवांया था
धर्म जाति कोई भेद नहीं था उस दिन
उसका सारा शहर उसे सलामी देने आया था
बरसात हुई थी यहाँ धूप में उस इक दिन
हिन्द का बच्चा-बूढ़ा वीरों के शहादत पर रोया था बरसात हुई थी धूप में उस दिन
हिन्द का हर बच्चा-बूढ़ा रोया था
जब सफ़र में सोता हुआ जवान
बारुद से उठे अंगारों में समाया था
इंतेज़ार था बूढ़े बाप को उसका
बचपन मे चलना जिसे सिखाया था
नजाने कितने टूकड़े हुए थे उसके
बोटी बोटी उनको घर अपने लाया था

बरसात हुई थी धूप में उस दिन हिन्द का हर बच्चा-बूढ़ा रोया था जब सफ़र में सोता हुआ जवान बारुद से उठे अंगारों में समाया था इंतेज़ार था बूढ़े बाप को उसका बचपन मे चलना जिसे सिखाया था नजाने कितने टूकड़े हुए थे उसके बोटी बोटी उनको घर अपने लाया था

8 Love

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ᗩTᑌᒪ

तुझको आदतों में अपने शुमार कर
नहीं थी ख़बर कि ऐसे बिख़र जाऊँगा मैं
लोग कहते हैं प्यार को ख़ुदा की मूरत
क्या पता इश्क़ कर पत्थर बन जाऊँगा मैं
मोहब्बत में तुझे अपना रक़ीब बनाकर
सिसायत से दूर खलबत में चला जाऊँगा मैं
तुझको देख कर इस जहां भर के भीड़ में
तुझतक आ तुझमें ही कहीं सिमट जाऊँगा मैं
ढूँढा करोगे हमारा अश्क़ फ़िर फ़िज़ाओं में
तुम्हें क़रीब से छूकर कुछ ऐसे गुज़र जाऊँगा मैं
बस एक तुझको महसूस करने की चाहत में
धुँआ धुँआ हो कर इन हवाओं में घुल जाऊँगा मैं
मेरे बर्बादियों पर जो यूँ मुस्कुरा रहे हो ज़ानिब
तुझसे रुख़सत हो शहर को वीरान कर जाऊँगा मैं
मेरा साथ पाकर जो ख़ुश नहीं ज़रा सा भी तुम
तुझसे जुदा हो तेरे हँसने का फरमान हो जाऊँगा मैं
करुँगा ऐलान मैं मोहब्बत-ए-जंग में इख़्तताँ का
किसी मुझ जैसे ही शख्शियत से तुम्हें हार जाऊँगा मैं
शामिल कर नग़में बेवफ़ाई के किस्से ग़ज़लों में
तेरे वादों-वफ़ाओं पर खुद तेरा ही सवाल हो जाऊँगा मैं
कभी रह-ए-उल्फ़त में उलझो तो याद करना मुझे
शायद तेरे खुशियों के ख़ातिर फ़िर नीलाम हो जाऊँगा मैं
जलकर तो अक़्सर ख़ाक हो जाते है लोग यहाँ मग़र
तुम छूना मत मेरे राख को वर्ना फ़िरसे ज़िंदा हो जाऊँगा मैं

- अतुल #SAD

10 Love

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ᗩTᑌᒪ

वो बातों-बातों में प्यार जताने वाले
कहाँ गए वो दिलों में आग लगाने वाले
मोहब्बत में हिज़्र का तोहफ़ा अता करके
कहाँ गए वो इश्क़ में हमको ख़ुदा बताने वाले

- अतुल

7 Love

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ᗩTᑌᒪ

सनम तुम्हारा मेरा ना होना एक क़यामत
कि तेरे हिज़्र में कबका मैं मर गया हूँ
म्हारे नामुकम्मल ख्यालों की गूँज हो तुम
तुम्हारे ख़ातिर मैं सबसे बदल गया हूँ
सफ़र में आखिरी न तुम मुझको सँभालो
रेत सा मैं तुम से अब फ़िसल गया हूँ
जुदा करो मेरी जान कर हँस कर मुझको
कि ज़िंदगी ये तुमपे बसर कर गया हूँ
क़समें मोहब्बत दे तुम यूँ न रोको मुझको
वह तुम ही तुम हो जहाँ मैं मर गया हूँ
कर गुनाहों को माफ़ मुझे बख्श मेरे मौला
कि तेरे तस्सबुर में मैं अब आ गया हूँ
जो लगाकर तुम मिटा सको वो रंग नहीं मैं
जहां के सारे रंगों में अब मिल गया हूँ
बिछड़ कर मुझसे से अब तू क्यूँ रो रही है
क्या तेरे दिलों घर मैं अब कर गया हूँ
तुम्हारे ख़्वाब-ए-हसरत में थें उगते सितारे
मैं सूखे दरख़त सा अब मुरझ गया हूँ
ना पलटकर देखूँ तुझे अब ओ मेरी ज़ानिब
तुम्हारे हसरतों सा अब बदल गया हूँ
ना हाफ़िज़ा कर मुझे मेरे ही वफ़ा के क़समें
मेरे हीं वादों से अब मैं मुकर गया हूँ
सनम तुम्हारा मेरा ना होना है एक क़यामत
 कि तेरे हिज़्र में कबका मैं मर गया हूँ

1 Love

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ᗩTᑌᒪ

नए साल का ज़श्न हमें
एक नए अंदाज़ में मनाना है
ग़म की हर परछायी को
अतीत में ही छोड़ आना है
शून्य पर था जो थम गया
उसे शिखर पर पहुंचाना है
इस नए साल में कुछ नया
हमें बदलाव ख़ुद में लाना है
ज़िन्दगी के जंग से परेशां
हर रूठे शख्स को मनाना है
हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई
हर किसी को अपना बताना है
बाँटना है लोगों में खुशियाँ
संग उनके हमें भी मुस्कुराना है
इस नए साल का ज़श्न हमें
 अब एक नए अंदाज़ में मनाना है Happy New Year

Happy New Year #कविता

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