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पुष्पेंद्र(भुदेव)

हे नारायण 🌹🙏🙏

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पुष्पेंद्र(भुदेव)

दौर शिकायतों का चल रहा है।
सुना है नाम मेरा भी उछल रहा है।

मुझे गिला नही तुम्हारी इन ओछी हरकतों से।
चलो दिया तुम्हे भी आजादी,करलो चाहे जीतनी मेरी बुराई।

सुनो गौर से मैं पुष्पेंद्र हु कहि भी खिल जाऊंगा।
बिखर के खुशबू मेरे किरदार,मेरे स्वाभिमान की लोगों के दिलो को छू जाएगी।


पुष्पेंद्र राय(भुदेव) #सम्मान किरदार का ...

#सम्मान किरदार का ... #अनुभव

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पुष्पेंद्र(भुदेव)

कहा ढूढ़ रहे हैं?वो यथार्त है।

उसे दुसरो के नही,खुद के किरदार में ढूंढिये।।

        पुष्पेंद्र राय(भुदेव)🖋️🖋️ # यथार्थ की राह...

# यथार्थ की राह...

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पुष्पेंद्र(भुदेव)

गुमान किस बात का,ये जो मिट्टी है एकदिन इसमे मिल जाएगी जिंदगी।।

जितने कदम चल सको उतनी है जिंदगी,जो रुक जाये ये कदम समझो थम गई जिंदगी।

सजते-सवरते,टूटते-बिखरते सपनो की डोर है जिंदगी।

रिस्ते-नातो की कभी सुलझती,कभी उलझती डोर है जिंदगी।

जन्म से लेकर मरघट तक संघर्षो का वृत्तांत है जिंदगी।

वेदनाओं के समंदर को हँसते हुए पार कर जाने का नाम है जिंदगी।

दुसरो के खातिर चलने का,किसी और के खातिर खप जाने का नाम है जिंदगी।


            






 पुष्पेंद्र राय(भूदेव)🚩🖋️ #सफ़र जिंदगी का...

#life_lesson

#सफ़र जिंदगी का... #life_lesson

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पुष्पेंद्र(भुदेव)

उम्र गुजर जाती है,किरदार निभाते निभाते।

लोग कथानक का रूप दे पन्नो में समेट देते है।


             
   Pushpendra Rai(भुदेव) #जिंदगी...

#peace
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पुष्पेंद्र(भुदेव)

मैंने देखा है...

संतान स्नेह में एक पिता को इच्छाओं को मारते देखा है।

दहेज के बोझ तले दबे,एक निरवलंब पिता की पगड़ी उछलते देखा है।

स्वार्थ,फरेब और मिथ्या के आगे, यथार्त को झुकते देखा है।

वैमनस्यता की आग में,नशे के आंच में,उत्कर्ष उज्ज्वल तारुण्य को झुलसते देखा है।

जेठ की दोपहरी में,खेत खलिहानों में,अतृप्त क्षुधा के कारण,भटकते बिलखते बचपन को देखा है।

जग के पालनहार अन्नदाता को,उपेक्षाओं के कारण रोते-बिलखते देखा है।

धनबल के बल पर न्याय मन्दिर के चौखट पर सत्य का दम घुटते देखा है।

काम,लोभ के लिप्सा में,मर्यादाओं को विखंडित होते देखा है।

 
               Pushpendra Rai(भूदेव)🖋️🖋️ #जज्बातों की कलम से

#InspireThroughWriting

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पुष्पेंद्र(भुदेव)

तिनके तिनके की खातिर,तिनके तिनके में हम बिखरते गये।
समृद्धि की लत ऐसी लगी ,हवेलिया कमरो में बदलती गयी।

विचारों से बटना शुरू हुए थे हम,आज घर,आंगन,बर्तन बटने लगे।
जमाने केे कन्धे से कंधा मिलाने में,हम अपने आदर्शो को ही कुचलने लगे।

श्रेष्ठ बनने की राह पर ऐसे चल पड़े,घर,गाँव,खेत खलिहान सब छूटते गये।
क्या कभी सोचा?कि बटते बटते कहा पहुँचे,देखो मरघट तक पहुँच गए,लेकिन यहां भी बटते गये।

सवाल भी उचित है,जीवन भर बटते रहे,आखिर में लेकर क्या गये?
जब कुछ लेकर गये नही, फिर सबसे बटते क्यों गये?


           पुष्पेंद्र राय(भुदेव) #जज़्बात

#DawnSun
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पुष्पेंद्र(भुदेव)

नही बदलते मेरे हालात....


बदल रही रंग प्रकृति हर पल,बदल रहा मौसम पल-पल।

पल-पल बदलती है कलियों की मुस्कान, हर पल बदलते है फूलों के रंग।

बदलती है सूरज की किरणें हर पल,बदलती है चाँदनी कुछ पल।

बदलती है नदियां भी रंग,बदलते है झरनों के रंग।

बदल रहे पल-पल लोग यहां,बदल रही है निष्ठाएँ हर पल।

बदल रहा हर-पल सबकुछ,बस नही बदल रहे मेरे हालात।।



पुष्पेंद्र राय(भुदेव) #हालात

#InspireThroughWriting  आशीष रॉय 🇮🇳 Gopi Radha Mishra FᎪᎡᎻᎪN ∶ ᏚᎻᎪᏆKᎻ ✔️ Khushboo Gola Draupriye Dutta

#हालात #InspireThroughWriting आशीष रॉय 🇮🇳 Gopi Radha Mishra FᎪᎡᎻᎪN ∶ ᏚᎻᎪᏆKᎻ ✔️ Khushboo Gola Draupriye Dutta #कविता

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पुष्पेंद्र(भुदेव)

प्रयासरत हु मैं...

प्रयासरत हु अपनी अस्मिता बचा सकूँ,

प्रयासरत हु अपनी खोई साख पुनः पा सकूँ,

प्रयासरत हु अपने सोये अंतर्मन को पुनः जगा सकूँ,

प्रयासरत हु कहि खो चुके खुद के यशस्व को पहचान सकूँ,

प्रयासरत हु फिर से जीवन मे नव चेतना का संचार कर सकूँ,

प्रयासरत हु भटके मन को पुनः लक्ष्य से जोड़ सकूँ,

प्रयासरत हु इस जीवन मे पुनः पुरुषार्थ स्थापित कर सकूँ,

प्रयासरत हु लक्ष्य पथ का पुनः सृजन कर सकूँ,

प्रयासरत हु भेद हर लक्ष्य को शिर्ष पटल पर खुद को स्थापित कर सकूँ,

प्रयासरत हु हर उम्मीदों पर खरा उतर सकूँ,

प्रयासरत हु हर रिश्ते को उसकी मर्यादा तक बिना डिगे निभा सकूँ,

प्रयासरत हु मैं...

    
        

Pushpendra Rai(भुदेव) #आत्मसम्मान 

#InspireThroughWriting  आशीष रॉय 🇮🇳 Khushboo Gola Suman Zaniyan jeevesh yadav Gopi Radha Mishra

#आत्मसम्मान #InspireThroughWriting आशीष रॉय 🇮🇳 Khushboo Gola Suman Zaniyan jeevesh yadav Gopi Radha Mishra #कविता

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पुष्पेंद्र(भुदेव)

नारी तुमने जुल्मों को सहना सीख लिया.....

चुप रहना तुमने सीख लिया,
जुल्मों को सहना सीख लिया।
जगमगाती इस दुनियां में,
अंधेरे में रहना सीख लिया।
नारी तुमने जुल्मों को सहना सीख लिया।।

दर्द भरी सिसकियों को तुमने,दिल मे छुपाना सीख लिया।
आंखों के समंदर में तुमने, रक्तरंजित अश्को को सुखाना सीख लिया ।
नारी तुमने जुल्मों को सहना सीख लिया।।

औरो की ख़ुशी के खातिर तुमने,
अपनी खुशी छुपाना सीख लिया।
कठिनाइयों से भरे जीवन मे तुमने, दर्द छुपाना सीख लिया।
नारी तुमने जुल्मों को सहना सीख लिया।।

अपने सपनों को जीने से पहले,
उन्हें जलाना सीख लिया।
नभ को छूने की इच्छा थी तुम में,
खुद के पर कतर के रेंगना तुमने सीख लिया।।
नारी तुमने जुल्मों को सहना सीख लिया।।


   *मेरी कलम से*
    _Pushpendra Rai_(भुदेव) # नारी सम्मान 🌹🙏🙏

# नारी सम्मान 🌹🙏🙏 #कविता

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पुष्पेंद्र(भुदेव)

तुम तो नारी हो....

तुम तो नारी हो,जग जननी,जग पालक हो,
फिरभी तुम अबला हो,बेचारी हो।।

कोई न पूछे तुम्हारी इच्छा,
बंधनो में बंधी, सहन में सधी,
कर्तव्यों के दलदली में जीवन भर धंसी।।

माना तुम हो अपनो से हारी,
नित्य अपनो के अत्याचारों को सहती,
लोकलाज के भय के कारण, खुद पर हुए जुल्मों को सहती।।

हर रिश्ते की है गरिमा तुम से,
हर रिश्ते की है लाज तुम्हीं से,
फिर भी उन्हें लज्जा ना आती,
जो थोपे सारे फैसले तुम पे, 
बिना तुम्हारी इच्छा जाने।।

खुद को तुम कमज़ोर न समझो,
जननी हो सम्पूर्ण जगत की,
गौरव हो अपनी संस्कृति की।।

क्या तुम खुद को भूल गयी,
दुर्गा हो तुम, काली हो तुम,
जग को ज्ञान प्रकाशित करने वाली सरस्वती हो तुम,
सत्य मार्ग दिखलाने वाली रामायण हो गीता हो तुम।।

अगर जीना है तुमको ये जीवन, अपनी खुशी,अपनी इच्छा से,
अब तुम्हें उठ चलना होगा,
जीवन के हर मोड़ पर स्वयं के लिए,अपनों से अब लड़ना होगा।।

इन रूढ़ि विवशताओं के बंधन को, तोड़ तुम्हें आगे बढ़ना है,
सशक्त नारी का रूप तुम्हें, लोगों को अब दिखाना है।।


   __Pushpendra Rai_(भुदेव) #HopeMessage
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