अकेला पढ़ा हूँ
ढेर! फ़र्श पर
कपड़े की गठरी सा
न मान, न सम्मान
निर्जीव, निष्प्राण
बेडौल निराकार
शो खत्म होने के बाद
क्यों ऐसा तिरस्कार? #Poetry
अकेला पढ़ा हूँ
ढेर! फ़र्श पर
कपड़े की गठरी सा
न मान, न सम्मान
निर्जीव, निष्प्राण
बेडौल निराकार
शो खत्म होने के बाद
क्यों ऐसा तिरस्कार? #Poetry
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Chandra Pokhriyal
गरीब की मुहोब्बत!
जब भी पहुंचे तेरे कूचे में, दौड़ा दिए कुत्ते हम पर
न रहा शरीफों का ज़माना, हुई इंसानियत ख़ाक
तेरे बाप ने लेकर पुलिस, पैसे और कुत्तों का सहारा
हम गरीबों की मुहोब्बत का उड़ाया है मज़ाक
#Poetry
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Chandra Pokhriyal
मश्के सुखन...
दो बजे थे रात के,
हर सम्त था गहरा सुकून,
और मैं फरमा रहा था
शौक से मश्के सुखन,
जाग उठी बेगम अचानक, #Poetry#हिंदी#चन्द्रमोहन
2 Love
Chandra Pokhriyal
बेचारा रावण...
एक बार अपराध किया तो,
सज़ा मिले एक बार
सीता हरण इक बार हुआ,
क्यों जले रावण बारम्बार
नैतिकता की बात रहने दो, #Poetry
बेचारा रावण...
एक बार अपराध किया तो,
सज़ा मिले एक बार
सीता हरण इक बार हुआ,
क्यों जले रावण बारम्बार
नैतिकता की बात रहने दो, #Poetry