भोर
साम हो चली ज़िन्दगी खो चली
देख आसमा को कल फिर भोर की एक किरण धीमे धीमे सी हो चली
भोर
साम हो चली ज़िन्दगी खो चली
देख आसमा को कल फिर भोर की एक किरण धीमे धीमे सी हो चली
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Sanjeev Nema
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Sanjeev Nema
तब राख राख हो गया
जब सपना सपना सो गया जब भीड़ भीड़ में तू खो गया तब
राख राख होगया तब खाक खाक होगय
जब अपने में ही खो गया जब मोह मोह में तू हो गया तब
राख राख हो गया तब खाक खाक हो गया
होसलो को जंजीरो में पिरो गया अपनों को ही कही सुनसान सुनी गलियो में खो गया
तब राख राख हो गया तब खाक खाक हो गया
जीने की जिद से जब अलग होगया अधेरे अधेरे में अंधेरा बन कही गुम हो गया
तब राख राख हो गया
जब सपना सपना सो गया जब भीड़ भीड़ में तू खो गया तब
राख राख होगया तब खाक खाक होगय
जब अपने में ही खो गया जब मोह मोह में तू हो गया तब
राख राख हो गया तब खाक खाक हो गया
होसलो को जंजीरो में पिरो गया अपनों को ही कही सुनसान सुनी गलियो में खो गया
तब राख राख हो गया तब खाक खाक हो गया
जीने की जिद से जब अलग होगया अधेरे अधेरे में अंधेरा बन कही गुम हो गया