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rishusingh7247
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nonpoeticpoet2.0

यूँ ही चले जाते है हम, वक़्त की गुजारिश पर...!! instagram- @nonpoeticpoet

https://youtube.com/@nonpoeticpoet

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nonpoeticpoet2.0

मचलते बदरों की शाख लिखूं, या
ढलते दिनकर की प्यास लिखूं
मनचले भौरें के ख़ाब लिखूं, या
जो फलक ने रख लिया, वो महताब लिखूं
आखिर तू ही बता,
क्या बात लिखूं, क्या जज्बात लिखूं

यूं तो लिखा कुछ खास नहीं तेरे तख्तों- ताज में,
मालूम था जो हमें बस लिख दिया अंदाज में!!

©nonpoeticpoet2.0
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nonpoeticpoet2.0

क्या कहे ऐ राधिके,
शरद चांदनी,
श्यामल स्याह रात तले
यादों के भवर किनारे
तेरी रखी, वही इक तस्वीर निहारे!!

श्यामल मन, कोमल बदन
जहां न पहुंचे ये क्षुद्र नयन
आभा, लालिमा,और ये श्रृंगार तुम्हारा
जब तस्वीर है भाते
तभी तो दर्पण बोले, 
सभी साथ- ला, क्यूं मुझे जलते!!

©nonpoeticpoet2.0 #Wochaand Satyaprem Upadhyay nayansi parmar

#Wochaand Satyaprem Upadhyay nayansi parmar #कविता

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nonpoeticpoet2.0

किसी का "शिव" होने को निकला था
घर से
अब जी होता है उसी तरह
बैरागी हो जाऊं

©nonpoeticpoet2.0 #Shajar Satyaprem Upadhyay nayansi parmar

#Shajar Satyaprem Upadhyay nayansi parmar #विचार

17 Love

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nonpoeticpoet2.0

©nonpoeticpoet
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nonpoeticpoet2.0

हिचकियां बढ़ गई है आज कल एकाएक
यार, तुम खुद को इतना सताया न करो!!

©nonpoeticpoet
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nonpoeticpoet2.0

तेरे होने से बेहतर तो तेरा न होना था
कमबख्त मन यूं, खोने से डरता तो न था!!

©nonpoeticpoet
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nonpoeticpoet2.0

हाय! की 
निगाहें तरस जाती है दीदार को तेरे
पलते है कुछ ख़ाब इंतजार में तेरे
वक्त का क्या है "मोहब्बत", कमबख्त गुजार जाता है
अब तो कुछ नज़ाकत लाओ, इख्तियार में तेरे!!

©nonpoeticpoet #nonpoeticpoet #lines #nojoto
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nonpoeticpoet2.0

हाय की,
रूठ जाते है मौसम सारे, जब समेटे हम यादें तुम्हारे
ओझल हो स्वपनित पलकों से, चमकते जाने कितने सितारे
कुछ पीर हुई, कुछ दीद हुई, न जाने ये कैसी रीत हुई
कुछ मास हुए है मिले हुए, न जाने कैसे अजीज हुई
इक शख्स समय की बेला से ही खड़ा हुआ है साथ तुम्हारे
सोचूं जाने कैसे आखिर, खड़ा रहूं अब "मैं" साथ तुम्हारे!!

©nonpoeticpoet
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nonpoeticpoet2.0

हाय की,
रूठ जाते है मौसम सारे, जब समेटे हम यादें तुम्हारे
ओझल हो स्वपनित पलकों से, चमकते जाने कितने सितारे
कुछ पीर हुई, कुछ दीद हुई, न जाने ये कैसी रीत हुई
कुछ मास हुए है मिले हुए, न जाने कैसे अजीज हुई
इक शख्स समय की बेला से ही खड़ा हुआ है साथ तुम्हारे
सोचूं जाने कैसे आखिर, खड़ा रहूं अब "मैं" साथ तुम्हारे!!

©nonpoeticpoet
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nonpoeticpoet2.0

हाय की,
रूठ जाते है मौसम सारे, जब समेटे हम यादें तुम्हारे
ओझल हो स्वपनित पलकों से, चमकते जाने कितने सितारे
कुछ पीर हुई, कुछ दीद हुई, न जाने ये कैसी रीत हुई
कुछ मास हुए है मिले हुए, न जाने कैसे अजीज हुई
इक शख्स समय की बेला से ही खड़ा हुआ है साथ तुम्हारे
सोचूं जाने कैसे आखिर, खड़ा रहूं अब "मैं" साथ तुम्हारे!!

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