Nojoto: Largest Storytelling Platform
nojotouser2427756197
  • 13Stories
  • 181Followers
  • 135Love
    0Views

आलम

कद से ऊंचा कभी आवाज़ नहीं उठाता हूं, मौके पर चुप रहा फायदा नहीं उठाता हूं, लोग बेवजह ही इल्ज़ाम लगाते रहें, आलम! आदमी अच्छा हूं पर नज़र नहीं आता हूं।

  • Popular
  • Latest
  • Video
bb52d29952143755fc21089ceb3b907f

आलम

जलते चरागा को हवा दे जाते हैं लोग
गिरते को बेसहारा छोड़ जाते हैं लोग
मजलिस की भीड़ महज भीड़ ही है
यहां कहां किसी को संग लेे जाते हैं लोग
आइने देखो कितने सरल होते हैं आखिर
क्या इतने सरल यहां मिल जाते हैं लोग
कांधे बहुत घूमते नज़र आएंगे तुम्हे दहर में
पर तन्हाइयों में तन्हां छोड़ जाते हैं लोग
हम अपने अंदर सांसे खुदा की भरते हैं
ना जाने क्यों गला मेरा घोट जाते हैं लोग
मै तो यहां अपना हक जीना चाहता था
साथ मांगो तो हक ही मार लेे जाते हैं लोग
हमने सदा दूसरों के लिए फूल की ही दुआ की
बदले में मेरी राह कांटें डाल जाते है लोग
बड़ा मुश्किल यहां पैरों पर खड़ा होना आलम
जो संभल गए तो फिर धक्का दे जाते हैं लोग
                                          ........आलम #Barrier
bb52d29952143755fc21089ceb3b907f

आलम

जिंदगी! तेरे हर एक लब्ज में यादों को देखा है
जैसे ठहरी धूप में चलते फिरते साए को देखा है
ओझल हो रहा हो सब आसमा से एक पल के लिए
ऐसे गुबार गांव में तूफान के संग चलते देखा है
आग तो आग ही होती है जो जल के ही रहती है
जो चूल्हे में ना जले सके तो पेट में जलते देखा है
सन्नाटा से राहें यू लिपट कर चीख के रोने लगी हैं
मानो किसी को उसने कतल-ए-आम होते देखा है
बिछड़ रहा था सब कुछ रात के अंधेरे में, सिवाय सांसे!
जब पैरों के हौसले को घर की तरफ बढ़ते देखा है
 आ रहे थे कुछ शब्द अनकही कहानी बनकर साहब!
पर उन्हें कहीं दूर वीराने में जाकर गूंजते देखा है
हजारों सवाल ले सूखे होठों में चल रहा था मुसाफिर
जहां आंख के दरिया में रेतीले सैलाब उठते देखा है
निज़ाम और हुकूमत सभी बेसुध थे कुछ बातों से
और लाचारी को लासों पर कफ़न खींचते देखा है
जिंदगी ने जीने की तासीर अब भी बचा रखी है
जब आलम को चारा-गर एक खुदा लिखते  देखा है
                                      .......... आलम #Hair
bb52d29952143755fc21089ceb3b907f

आलम

मां के आंचल से बड़ा कोई संसार नहीं होता

मां की दुआ से बड़ा कोई वरदान नहीं होता

सारे धाम आ के सिमट जाते है उसकी चरणों में

मां से बड़ा दुनिया में कोई अवतार नहीं होता

                               .........आलम #oldage
bb52d29952143755fc21089ceb3b907f

आलम

तुम स्वतः आए या लाए गए हो
पुराने लब्जों में दोहराए गए हो
आसान नहीं था सब का लौटना
मुश्किलों में तुम फरमाए गए हो
सब कुछ धूमिल हो चला था
जिंदगी के आकाश और आईने में
अकस्मात रंग सा बिखेरे गए हो
सहसा एक अक्श में उकेरे गए हो
दुखी मन से मुस्कुरा भी ना पाए
ऐसी दहलीज पर तुम मिलाए गए हो
आज अपना अस्तित्व बचाने में लगा
और तुम मौत को गले लगाए खड़े हो
जो तालीम तुम दे रहे हो सभी को
जितनी उल्फत यहां ढहाए पड़े हो
क्या सोचा है तुमने कभी ठहरकर
ना जाने कितनों को ठहराए पड़े हो
थमी हैं सांसें और थमी हैं चालें
जो थोड़ा सदी में दोहराए गए हो
फ़िक्र सभी के माथे पर एक सा है
कि तुम लाए गए हो या बुलाए गए हो
                 .........आलम
bb52d29952143755fc21089ceb3b907f

आलम

जिंदगी में तुम्हें काम बहुत मिलेंगें

लोगो के दुआ सलाम बहुत मिलेंगें

कुछ तो पल बिता लो घरों में दोस्तों

ऐसे मौके नहीं हर बार बहुत मिलेंगें
.......आलम
bb52d29952143755fc21089ceb3b907f

आलम

तेरी छुअन को अनछुआ रखा है
तेरे लगाए रंग को बदरंग रखा है
कभी मुनासिफ था तुझे देखना भर
तुझसे छुई कमीज़ को बचा रखा है
होठो से होठो का टकराना भले भूल जाएं
उनके एहसासों को जिंदा कर रखा है
चुपके से ली हुई तिरी तस्वीर धूमिल भले
आंखों में तिरी इक तस्वीर बचा रखा है
बातों बातों में बहुत कुछ कह जाना तेरा
कुछ अनकही बातों को लबों से लगा रखा है
अचानक तेरा घर के आंगन में आ जाना
आंगन से तेरी उस आहट को चुरा रखा है
मन उलझनों में लगे ना लगे कहीं भले
जो तुझ तक आ जाए तो उसे लगा रखा है
भाभी को तेरा बनाना सीखाना गुड़ का मुरब्बा
उसके स्वाद को हर स्वाद से बचा रखा है
जो कुछ तुमने छुआ वो सब अनछुआ रखा है
तेरे बाहों के आंगन में मन का दीपक जला रखा है
                             ........आलम
bb52d29952143755fc21089ceb3b907f

आलम

तेरी छुअन को अनछुआ रखा है
तेरे लगाए रंग को बदरंग रखा है
कभी मुनासिफ था तुझे देखना भर
तुझसे छुई कमीज़ को बचा रखा है
.....आलम
bb52d29952143755fc21089ceb3b907f

आलम

होली के रंग और हुड़दंग आज भी याद है
मन में उठते उमंग को आज भी विश्वास है
दोस्त रंग के संग ही मिला करते थे
घरों में गुजिया की महक आज भी बरकरार है
ढोल की थाप और करतल की ताल अब कहां
पर भांग की धुन लोगों पर आज भी सवार है
भौजाई से भाभी और देवरुआ से देवर हो गया
फिर भी प्रेम संबंधों में रंगों की आज भी मिठास है
धर्म और जाति से ऊपर उठते रंग के फुआर
राम और रहीम का यह आज भी त्योहार है
......आलम
bb52d29952143755fc21089ceb3b907f

आलम

शब्द से पहले मन में शब्द का भाव आता है
व्यक्ति की परख में उसका स्वभाव आता है
स्वच्छंद बहती नदी आकाश भी नाप ले
चट्टान से टकराए तो उसमे ठहराव आता है
बनते बनते कोई बात बिगड़ ही जाती है
जहाले जिंदगी में एक ऐसा पड़ाव आता है
चोट से ज्यादा चोट देने वाला याद रहता है
अपनों से हक में जब गहरा घाव आता है
खुली आंखों से मन के एहसास बहते है
जब प्रेम सम्बन्धों में गहरा जुड़ाव आता है
पगडंडियों पर थकें पांवो में विश्वास आता है
उड़ती धूल और तपिश में जब छांव आता है
उनके गेशुओं की खुशबू मुझ तक आती है
जब कभी हवाओं में हल्का बहाव आता है
रिश्तों की डोर जीवन भर अटूट रह जाती है
आलम! जहां रिश्तों में थोड़ा झुकाव आता है
                              .......आलम #leaf
bb52d29952143755fc21089ceb3b907f

आलम

आज चलो तुम्हे अपना घर दिखाता हूं
आइने में करता सफ़र महल दिखाता हूं
रोज आने की करोगे जिद एक बार देखकर
आंखों को दे जाए चैन वो जहर दिखाता हूं
सपनों की दीवार अरमानों की छत लिए
सुनहरे यादों की एक झलक दिखाता हूं
रिश्तों की शहनाई अपनों का ढोल
गुंजायमान होता बड़ा आंगन दिखाता हूं
चार बूढ़े दस जवानों से भरी कोठरी
फिर भी बहनों से खाली घर दिखाता हूं
वर्षो की गौरैया जन्मों का घोसला
छज्जे पर फैला माँ का आंचल दिखाता हूं
घर घर घूमती पकवानों से भरी थालियां
गैरों के बीच बटता प्यार दुलार दिखाता हूं
पतझड़ से दुवार पर पटी पीली पत्तियां
गलियों में बहता हर मौसम दिखाता हूं
खुश्ख से सब्ज़ हो जाती फ़जाएं
हरिल से पटा गांव का आलम दिखता हूं
                        ...... आलम
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile