चलो हम उनसे दरकिनारी की,
नई तरक़ीब सीखते हैं
आपनो को भूलने की कोई नई
“तेहज़ीब"
सीखते है.....
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Sayed Fitzroy
देहलीज़
कंहा नसीब है किसी अज़ीज़ की देहलीज़
मुझे।
खुद ही में क़ैद हूँ खुद की वजह से।।
arz-ए-sayed Indeevar Joshi @j_$tyle Mukesh Poonia Bina Babi Aahna Verma
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Sayed Fitzroy
ये खानाबदोशी की मदहोशी है
जो सफ़र पर ले जाती है,
ख़ुद बे रुख़ रहती है
और
सबका रुख़ दिखलाती है।
ARZ-ए-SAYED
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Sayed Fitzroy
फासला भी है फ़रियाद भी
कभी चुप है तू कभी आवाज़ भी....
ये मौसम भी उसकी बे-परवाह फ़ितरत सा हो चला है
दिन को बे-रुख़ सा बहता है, रात को नए मौसम सा चला आता है।।
Arz-ए-SAYE(D)
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Sayed Fitzroy
अब ख़याल है कि कोई
“ख़याल”
न करें मेरा
लोग सवाल ज़्यादा रखते है
ख़याल रखने पर.....
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Sayed Fitzroy
हर शाख़ के पत्तों को उजड़ते देखा है मैंने।
अब किस किस को समेटूँ आपने जांनिब
हर रिश्ते को बिखरते देखा है मैंने।।
ARZ-ए-SAYED
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Sayed Fitzroy
वो नराज़ है मुझसे
उनको हम'राज़ करदूँ क्या......
कानों तक जाके उनके
आपने मरने की बात करदूँ क्या।
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Sayed Fitzroy
और कितना समेटूँ ख़ुद को मैं अपने अन्दर
हर कोई पूछ कर हाल मेरा
फ़िर से बखैर कर चला जाता है......
ARZ-ए-SAYED
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Sayed Fitzroy
कई राह चुनता है
राही
कई छोड़ देता है.....
ये आवारा दिल ही तो है
जो हमे कहीं का कहीं
मोड़ देता है..............
ARZ-ए-SAYED
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Sayed Fitzroy
एक गहरे क़श सी,मोह्ब्बत मेरी आप से।
फ़िर इश्क़ धुआं धुआं सा हर तरफ....
Arz-ए-SAYE(D)