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surbhiahirwar5875
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Surbhi goli

"कुछ नही आता है मुझकों,मन को लिखना आता हैं"

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Surbhi goli

अश्क आंखों से बरस जाने को हैं,
दर्द सीने में उतर जाने को हैं,
न कहीं जाओ हमको तन्हा कर
आज सांसों में कहर आने को हैं।
सुरभि.✍🏻

©Surbhi goli

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Surbhi goli

कैसी सुंदर काया, तज कर, चलीं गयीं
मान, प्रतिष्ठा, माया, तज कर, चलीं गयीं
एक हृदय का प्रेम नहीं मिल पाया तो
जगती से जो पाया, तज कर चलीं गयीं
धूप लगी कुछ लोगो के छल की तो तुम!
मां-बाबा की छाया, तज कर चलीं गयीं।
~सुरभि

©Surbhi goli

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Surbhi goli

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Surbhi goli

मैं उस नदी की पवित्रता को
ढूंढ रही थी।
उसने जाने कैसे जाना की 
मैं क्या ढूंढ रही हूँ।
खूब जोर से हँस कर उसने 
मुझसे कहा..
"ये तुम मनुष्यों का खेल
कितना अच्छा है न!
पहले हर संभव प्रयास 
मुझे मैला करने का करते हो,
फिर आकर खोजते हो,
मेरी निर्मलता..
और फिर जब कहीं कुछ नही
मिलता केवल गंदगी के
तब कहते हो "अपवित्र है ये,
इसका जल पीने योग्य नही।"
मैं सुन कर बस सुन कर रह गई।
और इक औरत 
अपने बिलौज के हुक लगाते हुए 
पतली सी गली से निकली और
बिल्कुल नदी की तरह हँस कर बोली
"हाँ बहुत अच्छा खेल।" 
~सुरभि

©Surbhi goli

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Surbhi goli

#maiterihrgajal
#Adore
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Surbhi goli

बुंदेली लोकगीत..✍🏻
दिन कड़ गये.."दिन निकल गया।"

बुंदेली लोकगीत..✍🏻 दिन कड़ गये.."दिन निकल गया।"

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