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विवेक कुमार

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विवेक कुमार

चल के दो कदम साथ तेरे,ये हसीं शाम देखेंगे,
दरख्तो के साये में तेरे संग बैठ, नयनो का वो सितम देखेंगे।
फिर हम मिले या न मिले, मिल के बिछड़ने का गम देखेंगे।
ये इश्क भी बहुत अजीब है खुदा ,दिल के दर्द ए अंजाम देखेंगे।।
❤️❤️✍️ #Vivek poem

©विवेक कुमार #Aditya&Geet चल के दो कदम साथ तेरे,ये हसीं शाम देखेंगे,
दरख्तो के साये में तेरे संग बैठ, नयनो का वो सितम देखेंगे।
फिर हम मिले या न मिले, मिल के बिछड़ने का गम देखेंगे।
ये इश्क भी बहुत अजीब है खुदा ,दिल के दर्द ए अंजाम देखेंगे।।
❤️❤️✍️ #Vivek poem

#aditya&Geet चल के दो कदम साथ तेरे,ये हसीं शाम देखेंगे, दरख्तो के साये में तेरे संग बैठ, नयनो का वो सितम देखेंगे। फिर हम मिले या न मिले, मिल के बिछड़ने का गम देखेंगे। ये इश्क भी बहुत अजीब है खुदा ,दिल के दर्द ए अंजाम देखेंगे।। ❤️❤️✍️ #vivek poem #कविता

9 Love

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विवेक कुमार

मैं तो हूँ बैठा
ओ हुसना मेरी
यादों पुरानी में खोया
पल-पल को गिनता
पल-पल को चुनता
बीती कहानी में खोया
पत्ते जब झड़ते
हिन्दोस्तां में
यादें तुम्हारी ये बोलें
होता उजाला हिन्दोस्तां में
बातें तुम्हारी ये बोलें
ओ हुसना मेरी
ये तो बता दो
होता है, ऐसा क्या
उस गुलिस्तां में
रहती हो नन्हीं कबूतर सी
गुमसुम जहाँ
ओ हुसना.  ,✍️✍️.... Piyush Mishra

©विवेक कुमार #Flower
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विवेक कुमार

नये साल, नयी सुबह और शामें शितलहरी बयार।।
कोई रंज ना रहे आपकी जिंदगी में, फ़िजा में महकती रहे बहार।
गिला-शिकवा मिटाकर, ये दोस्त आओ मिलते हैं गले।  
नव वर्ष मंगलमय हो,इश्वर खुशियां दे आपको हजार।।

©विवेक कुमार नये साल, नयी सुबह और शामें शितलहरी बयार।।
कोई रंज ना रहे आपकी जिंदगी में, फ़िजा में महकती रहे बहार।
गिला-शिकवे मिटाकर, ये दोस्त आओ मिलते हैं गले।  
नव वर्ष मंगलमय हो,इश्वर खुशियां दे आपको हजार।।

#HappyNewYear

नये साल, नयी सुबह और शामें शितलहरी बयार।। कोई रंज ना रहे आपकी जिंदगी में, फ़िजा में महकती रहे बहार। गिला-शिकवे मिटाकर, ये दोस्त आओ मिलते हैं गले। नव वर्ष मंगलमय हो,इश्वर खुशियां दे आपको हजार।। #HappyNewYear #शायरी

10 Love

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विवेक कुमार

नये साल  नयी सुबह और शामें शितलहरी बयार।।
कोई रंज ना रहे आपकी जिंदगी में, फ़िजा में महकती रहे बहार।
गिला-शिकवे मिटाकर, ये दोस्त आओ मिलते हैं गले।  
नव वर्ष मंगलमय हो,इश्वर खुशियां दे आपको हजार।।

©विवेक कुमार नये साल की नई सुबह और शामें शितलहरी बयार।।
कोई रंज ना रहे आपकी जिंदगी में फ़िजा में महकती रहे बहार।
गिला-शिकवे मिटाकर, ये दोस्त आओ मिलते हैं गले।  
नव वर्ष मंगलमय हो,इश्वर खुशियां दे आपको हजार।।

#HappyNewYear 2022

नये साल की नई सुबह और शामें शितलहरी बयार।। कोई रंज ना रहे आपकी जिंदगी में फ़िजा में महकती रहे बहार। गिला-शिकवे मिटाकर, ये दोस्त आओ मिलते हैं गले। नव वर्ष मंगलमय हो,इश्वर खुशियां दे आपको हजार।। #HappyNewYear 2022 #शायरी

11 Love

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विवेक कुमार

हिंदी है जनमानस की भाषा
हिंदी से ही होती पवित्र पूर्ण अभिलाषा ।
है हिंदी हिंदुस्तान की अभिमान की भाषा ।
है हिंदी हिंदुस्तान की स्वाभिमान की भाषा।।

©विवेक कुमार

7 Love

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विवेक कुमार

स्वच्छ चाँदनी की अम्बर ,भीगी -भीगी सी है राते।
 इस कच्ची उम्र में जिंदगी की वो मुलाकातें।
ओ सनम मुह मोड़ के जाने वाले,हो तुम किधर। 
आज फिर याद आ रही है तेरी पहली नजर।।

©विवेक कुमार #lostinthoughts स्वच्छ चाँदनी की अम्बर है,भीगी -भीगी सी है राते।
 इस कच्ची उम्र में जिंदगी की ऐ मुलाकातें 
ओ सनम मुह मोड़ के जाने वाले,हो तुम किधर। 
आज फिर याद आ रही है तेरी पहली नजर।।

#lostinthoughts स्वच्छ चाँदनी की अम्बर है,भीगी -भीगी सी है राते। इस कच्ची उम्र में जिंदगी की ऐ मुलाकातें ओ सनम मुह मोड़ के जाने वाले,हो तुम किधर। आज फिर याद आ रही है तेरी पहली नजर।।

8 Love

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विवेक कुमार

एक दुर्भागिंनी गजराज संगिनी टहल रही थी, 
केरल की मल्लपुरम की हसिन वादियों में।
शायद वह  क्षुधा (भुख) से पीड़ित थी,
क्या पता था उसे घिर जाएगी मनुष्य के अपवादों के कुचक्रो में।।
कितना बेमुरव्वत है वो इंसान जो अपनी इंसानियत खो बैठा है।
 हाय। लाचार नि:सहाय बेज़ुबान विशालकाय जीवात्मा जीव ले बैठा है।।.                          
 तुने  एक प्रेम का फल अनन्नास खिला ना सका, 
 अनायास ही तुम पर भरोसा कर गई। 
  तेरी नफरत भरी साज़िश में बारूद व पटाखे का अनन्नास समझ खा गई।
 हाय तेरी कुकर्मों का घोर कृत निंदनीय 
 अपराधों ने गर्भस्थ बच्चे की जान ले बैठा है। 
 कितना बेमुरव्वत है वो इंसान जो अपनी इंसानियत खो बैठा है।
पटाखे खाने से मुँह चोटिल थी जीभ जख्मों से मर्माहत थी। 
           मुँह में हुए ज़ख्मों वजह  से वह कुछ खा नहीं पा रही थी। 
          गर्भकाल में भुख भी अत्यधिक लगती हैं, शायद उसे 
          अपने बच्चे का ख्याल भी रखना था।
           मुँह में हुए ज़ख्मों वजह  से वह कुछ खा नहीं पा रही थी। 
             तडपती थी घायल हथिनी भुख मिटाने के लिए, 
            तड़पती थी अपने बच्चे को बचाने के लिए,। 
           तडपती थी अपनी दर्द व जलन मिटाने के लिए।
           तडपती थी अपनी प्यास बुझाने के लिए,। 
        हाय रे। इंसान तेरा हृदय निर्मम निर्दय कठोर, ये क्या कर बैठा है। 
        हाय। लाचार नि:सहाय बेज़ुबान विशालकाय जीवात्मा जीव ले बैठा है।।. #RIPHUMANITY
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विवेक कुमार

#lovebeat यूं तो हरेक खुशियां तुझसे जुड़ी है, ये नम आंखे है तुम्हें बताने के लिए।

#lovebeat यूं तो हरेक खुशियां तुझसे जुड़ी है, ये नम आंखे है तुम्हें बताने के लिए।

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विवेक कुमार

परियों का समवेत गान

फूलों की नाव बहाओ री,यह रात रुपहली आई ।
फूटी सुधा-सलिल की धारा
डूबा नभ का कूल किनारा
सजल चान्दनी की सुमन्द लहरों में तैर नहाओ री !
यह रात रुपहली आई ।
मही सुप्त, निश्चेत गगन है,
आलिंगन में मौन मगन है ।
ऐसे में नभ से अशंक अवनी पर आओ-आओ री !
यह रात रुपहली आई ।
मुदित चाँद की अलकें चूमो,
तारों की गलियों में घूमो,
झूलो गगन-हिन्डोले पर, किरणों के तार बढ़ाओ री !
यह रात रुपहली आई ।
उर्वशी रामधारी सिंह दिनकर #chai परियों का समवेत गान

फूलों की नाव बहाओ री,यह रात रुपहली आई ।
फूटी सुधा-सलिल की धारा
डूबा नभ का कूल किनारा
सजल चान्दनी की सुमन्द लहरों में तैर नहाओ री !
यह रात रुपहली आई ।
मही सुप्त, निश्चेत गगन है,

#chai परियों का समवेत गान फूलों की नाव बहाओ री,यह रात रुपहली आई । फूटी सुधा-सलिल की धारा डूबा नभ का कूल किनारा सजल चान्दनी की सुमन्द लहरों में तैर नहाओ री ! यह रात रुपहली आई । मही सुप्त, निश्चेत गगन है,

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विवेक कुमार

#LOCKDOWN #घर #में #रहें  #सुरक्षित #रहें! 
जीवन आज कैद है वक्त की जंजीरों में, 
मगर तेरे साथ बिताया चंद घडीयांँ यही है जो अजाद है।
अब जहां भी देखु ऐ हसिन नजारा हमारे साथ है।
अब उम्र भर मेरे साथ है मेरी जाने- जां हाथ की लकीरों में।
आज  सज- सँवर कर आई हो मेरे लिए यूं वक्त न जया करो।
आ जा मेरी बाहों में, आज जाने कि जिद्दी ना करो
..आज जाने कि जिद्दी ना करो।।
तेरे बीना अब एक पल न गुजरा कर पाउंगा, यूं  नजरें न हमसे फेरा करो।
आज जाने कि जिद्दी ना करो.. आज जाने कि जिद्दी ना करो।।
हाय हम तो मर जाएंगे हम तो लुट जाएंगे ऐसी बातें ना किया करो
आज जाने कि जिद्दी ना करो, आज जाने कि जिद्दी ना करो।।✍️✍️by vivek kumar #weather #LOCKDOWN #घर #में #रहें  #सुरक्षित #रहें! 
जीवन आज कैद है वक्त की जंजीरों में, 
मगर तेरे साथ बिताया चंद घडीयांँ यही है जो अजाद है।
अब जहां भी देखु ऐ हसिन नजारा हमारे साथ है।
अब उम्र भर मेरे साथ है मेरी जाने- जां हाथ की लकीरों में।
आज  सज- सँवर कर आई हो मेरे लिए यूं वक्त न जया करो।
आ जा मेरी बाहों में, आज जाने कि जिद्दी ना करो
..आज जाने कि जिद्दी ना करो।।

#weather #lockdown #घर #में #रहें #सुरक्षित #रहें! जीवन आज कैद है वक्त की जंजीरों में, मगर तेरे साथ बिताया चंद घडीयांँ यही है जो अजाद है। अब जहां भी देखु ऐ हसिन नजारा हमारे साथ है। अब उम्र भर मेरे साथ है मेरी जाने- जां हाथ की लकीरों में। आज सज- सँवर कर आई हो मेरे लिए यूं वक्त न जया करो। आ जा मेरी बाहों में, आज जाने कि जिद्दी ना करो ..आज जाने कि जिद्दी ना करो।।

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