""
"आहट वो आहट थी तेरे इश्क़ की ,
पर हुआ नही था
बरसों रहे तेरे साथ,
इत्तेफ़ाक से भी इश्क़ ने मुझे छुआ नही था,
सोचता हूँ अब ऐसी हालत है,
तब क्या होती जब
तुम दूर होती मुझसे दिल लगाकर
शुक्र है दिल्लगी हुआ नही था,
नज़रो तक ही ठीक था सब,
अच्छा हुआ जो तेरा निवास मेरे दिल मे हुआ नही था,
अगर होती तेरी चाहत तो टूट जाते हम तेरे बगैर
शुक्र है चाहत दिल को हुआ नही था,
थोड़े बाँवले जरूर हुए थे तुझे पहली बार देखते ही
पर तेरा ज़िक्र किसी से किया नही था,
नज़रों तक ही रह गयी हमारी मोहब्बत,
शुक्र है तुमने दिल मे मेरे घर किया नही था,
आहट हुई थी इश्क़ की, पर हुआ नही था।"