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shonaspeaks4607
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Mo k sh K an

मैं रूमी की रूह, मैं बुल्ले का इकतारा

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Mo k sh K an

तेरी प्रीत के रंग रंगा में उड़ता फिरूँ गुलाल 
महक उठा कस्तूरी बन कर थिरकूँ तेरी ताल 

सबा धूप की धानी ओढूं रंग इतर का आए 
खुद में देखूँ तुझको जैसे खड़ा ख़ुदा मुस्काए
रोम रोम में नूर थिरकता ऐसा तेरा जमाल
तेरी प्रीत के रंग रंगा में उड़ता फिरूँ गुलाल 

इश्क़ इबादत ज़रदोज़ी सा काढ़ा रुह के तार 
बूटे गुँचे खिले पश्म से कलफ़ हुआ हर बार 
करघा राँझा बन कर घूमे ऐसा तेरा कमाल 
तेरी प्रीत के रंग रंगा में उड़ता फिरूँ गुलाल 

मैं रहट का साज सुहाना धुन में तेरी चूर 
और वक़्त के बैल जुते हैं बन कर मेरा फ़ितूर
लम्हे रोज ढले सदियों से, पल में बीता साल
तेरी प्रीत के रंग रंगा में उड़ता फिरूँ गुलाल 

मैं ऱज़ ऱज़ हिज़्र मनवाँ @ गुलाल

©Mo k sh K an #mokshkan 
#mikyupikyu 
#main_raz_raz_hizr_manavaan 
#मैं_ऱज़_ऱज़_हिज़्र_मनावाँ  
#Nojoto 
#Hindi

#mokshkan #mikyupikyu #main_raz_raz_hizr_manavaan मैं_ऱज़_ऱज़_हिज़्र_मनावाँ  #Hindi #ज़िन्दगी

8 Love

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Mo k sh K an

जीना चाहता हूँ 
मगर
जिंदगी फ़ुर्सत नहीं देती 
मरना भी गवारा है 
मगर 
मौत इजाज़त नहीं देती 
बिछ गया हूँ सड़क सा 
अपने पैरों के नीचे
औऱ ख़ुद से फ़ासले 
बढ़ते ही जा रहे हैं 

मगर @ अब खमोशी को कहने दो

©Mo k sh K an #mikyupikyu 
#mokshkan 
#अब_खामोशी_को_कहने_दो 
#Nojoto 
#Hindi
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Mo k sh K an

वो रातें 
रेजगारी सी 
मेरे ख़्वाब में खनकती हैं 
और मुझे सोने नहीं देती 

सिरहाने पर 
तेरा ज़िक्र 
मैंने उँगलियों से लिखा है 
और तकिए पर कई रात है  
जो सहर नहीं होती 

वो लिहाफ तेरी ख़ुश्बू से मोगरा हुआ है 
वो सलवटें तेरी तपिश से मोम हो गई है 
और मैं गुमशुदा सा तुझको तलाशता हूँ 
ना अपना पता मिलता है
ना तेरी ख़बर आती है 

वो रातें 
रेजगारी सी 
मेरे ख़्वाब में खनकती हैं 
और मुझे सोने नहीं देती 

रातें रेज़गारी सी @ मैं ऱज़ ऱज़ हिज़्र मनावाँ

©Mo k sh K an #main_raz_raz_hizr_manavaan 
#मैं_ऱज़_ऱज़_हिज़्र_मनावाँ  
#mokshkan 
#mikyupikyu 
#Nojoto 
#Hindi

#main_raz_raz_hizr_manavaan मैं_ऱज़_ऱज़_हिज़्र_मनावाँ  #mokshkan #mikyupikyu #Hindi #ज़िन्दगी

11 Love

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Mo k sh K an

बस ख़लिश ही रह गई हैं 
मेरे वजूद में 
जब याद सरकती है 
तो दम घुटता है 

कभी सोचा नहीं था, मैंने
कि वो लोखंडवाला बैक रोड की वो चौड़ी सडक़ 
इतनी संकरी हो सकती है 
कि अकेले भी गुजरता हूँ जो जज़्बात छिल जाते हैं 

वो समंदर, वो सहील, वो उफनती लहरें 
कभी तकाज़ा भी नहीं करते
और छोड़ जाते हैं मेरे सीने पर 
वो रेत 
जो तेरे पैरों में चस्पा हुआ करती थी 

सब कुछ बदल गया है 
भाटे के क़ुतुब जैसा
बस ख़लिश ही रह गई हैं 
मेरे वजूद में 
जब याद सरकती है 
तो दम घुटता है 

मैं ऱज़ ऱज़ हिज़्र मनवाँ @ जब याद सरकती है

©Mo k sh K an #mokshkan 
#mikyupikyu 
#main_raz_raz_hizr_manavaan 
#मैं_ऱज़_ऱज़_हिज़्र_मनावाँ  
#Nojoto 
#Hindi

#mokshkan #mikyupikyu #main_raz_raz_hizr_manavaan मैं_ऱज़_ऱज़_हिज़्र_मनावाँ  #Hindi #ज़िन्दगी

10 Love

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Mo k sh K an

तुझ से वाबस्ता है मेरा वज़ूद
कुछ इस तरह जैसे
गंगाजी के पानी में फूल मिला करते हैं 

पूजा के फूल
जिन्हें
थाल में सजा कर लहर कर दिया हो 
मन्नत की डाक ले कर 
मालिक के पते पर जैसे 

तुझ से वाबस्ता है मेरा वज़ूद
कुछ इस तरह जैसे
गंगाजी के पानी में फूल मिला करते

@वाबस्ता

©Mo k sh K an
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Mo k sh K an

चेहरे पर उतर आए हैं
वक़्त के आबशार
बालों की सफेदी कहती है
कि शाम ढल रही है 

ना रंग, ना रोगन,ना इत्र की ख़ुश्बू 
ना ज़रदोज़ी कोई
ना मलमली लिहाफ 
सिकुड़ गई है 
हसरतें सारी 
बारिशों में भीग कर 
कलफ़ पर ठहरी पशेमानी कहती है
कि शाम ढल रही है 

रात की रसीद 
ले कर के फिर रहा हूँ
ना जाने कब आँखों को अब सूद चुकाना हो 
नींदों की सुलह हो अब ख़्वाबों से कुछ ऎसी
कि रात ना छूटे
फिर ना सहर हो.... 

अब खमोशी को कहने दो @ उम्र ..दराज़

©Mo k sh K an #mokshkan 
#mikyupikyu 
#ab_khamoshi_ko_kehne_do 
#अब_खामोशी_को_कहने_दो 
#Nojoto 
#Hindi
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Mo k sh K an

सुबह सवेरे जाग के जब भी आँख ये मैंने खोली है
अज़ानों की सरगम बन कर तू ही मुझ से बोली है 

भक्ति तू, ममता तू मेरी, तू मुर्शीद ,तू पीर है 
तू ही नदिया, तू ही सागर ,तू सहील, तू तीर है 
दिया भी तू, बाती भी तू, तू चंदन, तू रोली है 
सुबह सवेरे जाग के जब भी आँख ये मैंने खोली है 

तू रहबर है, राह भी तू है, तुझ तक चल कर जाना हैं 
खो कर शायद खुद को तुझ में ख़ुदा को मैंने पाना है 
खुली हथेली मन्नत की तू, भरे दुआ जो झोली है 
सुबह सवेरे जाग के जब भी आँख ये मैंने खोली है 

सब फ़ानी है पानी है, बहना है बह जाना है 
राख़ हुआ जब मैं मुझमें बस तू ही रह जाना है 
ना जाने किसने यूँ मुझ में तू साँसों सी घोली है 
सुबह सवेरे जाग के जब भी आँख ये मैंने खोली है 

सुबह सवेरे जाग के जब भी आँख ये मैंने खोली है
अज़ानों की सरगम बन कर तू ही मुझ से बोली है

उदासियाँ 3 
मैं ऱज़ ऱज़ हिज़्र मनावाँ
@ वज़द

©Mo k sh K an #mokshkan 
#mikyupikyu 
#main_raz_raz_hizr_manavaan 
#उदासियाँ_the_journey 
#मैं_ऱज़_ऱज़_हिज़्र_मनावाँ  
#Nojoto 
#Hindi
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Mo k sh K an

नूर में तेरे ढल कर मुर्शिद महक रही है भोर
और वज़द की सबा शाद है मेरे चारों ओर 

अज़ानों में घोल के शर्बत चहके तेरे नाम 
अरदसों की मिश्री मीठी तुझसे मेरे राम 
आज पतंग के चाल चाश्नी बाँध के तुझ से डोर
नूर में तेरे ढल कर मुर्शिद महक रही है भोर 

इत्र धिक्र का साँसों में जो मनके बन कर चलता है 
और लहू भी रगों में मेरी तस्बीह बन कर ढलता है 
तू मिस्बाह जो मेरे दीन की ओर भी तू है छोर
नूर में तेरे ढल कर मुर्शिद महक रही है भोर 

सज़दे में तुझको पाता हूँ तुझ में ही खो जाता हूँ
तुझ से ही तो मैं चलता हूँ और तुझ तक ही जाता हूँ
ना वक़्त की ज़िद है चलती ना दुनिया का जोर
नूर में तेरे ढल कर मुर्शिद महक रही है भोर 

नूर में तेरे ढल कर मुर्शिद महक रही है भोर
और वज़द की सबा शाद है मेरे चारों ओर 

उदासियाँ ३ @  मुर्शिद मेरे

©Mo k sh K an #मैं_ऱज़_ऱज़_हिज़्र_मनावाँ  
#उदासियाँ_the_journey 
#mokshkan 
#mikyupikyu 
#Nojoto 
#Hindi

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10 Love

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Mo k sh K an

चल फ़िर से बुनते हैं,मिलकर नई सहर के रंग 
नया नवेला सूरज निकले बन कर आज मलंग 

पैरों को पतवार बना कर आसमान पर चढ़ते हैं 
मस्तूलों पर हाथ बढ़ा कर चंदा तारे जड़ते हैं 
दिन निकले तो शर्बत हो कर चढ़े इश्क़ की भंग
चल फ़िर से बुनते हैं,मिलकर नई सहर के रंग 

रात के रेशम पर ज़रदोज़ी आज नूर से करते हैं 
और अंधेरों के गलियारे जुगनू जुगनू भरते हैं 
चूम रोशनी की पलकों को झूमें आज सुरंग 
चल फ़िर से बुनते हैं,मिलकर नई सहर के रंग 

आज उन्स की बूँदें ले कर प्यार का मोती बुनते हैं 
एक बार फ़िर से हम दोनों राह इश्क़ की चुनते हैं 
ज़ीत भी तू जब हर भी तू है किस से कैसी जंग 
चल फ़िर से बुनते हैं,मिलकर नई सहर के रंग 

@ सहर के रंग

©Mo k sh K an
da291e0119e9ada9d5c9ca14cbbedbef

Mo k sh K an

तू सुबह का सूरज मेरा 
तू ही पहली धूप
रंग तेरा है सहर का सोना
नूर है तेरा रूप 

तू बंदिश, तू राग ख़याल
जो पंछी सुर में गाते हैं
तेरी सबा से इत्र महकता
गुल भी जब मुस्काते हैं 
तेरे ज़िक्र से दुआ बनी है 
साँस सुलगती धूप 
तू सुबह का सूरज मेरा 
तू ही पहली धूप 

तू फ़ाल्गुन की थाप थिरकती
पैर समंदर करती है 
और धनक के सीने में भी 
आसमान तू भरती है
तुझ से क़ामिल है ये मेरी
थी क़ायनात जो चूप
तू सुबह का सूरज मेरा 
तू ही पहली धूप

मैं ऱज़ ऱज़ हिज़्र मनावाँ @ धूप

©Mo k sh K an #मैं_ऱज़_ऱज़_हिज़्र_मनावाँ  
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