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rahulmishra7749
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Rahul Mishra

जो गर चाहता है सच में मेरी हस्ती मिटाना, मेरे हरफ़, मेरी ग़ज़ल और मेरे शेर जलाना - मिज़ाज-ए-मिश्रा

mizaajemishra.com

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Rahul Mishra

किसानों को इस बार, 
उनका हक मिलेगा !!
फसल का सही दाम, 
बेशक मिलेगा !!
"वायदे" हसीन कर के,
प्रधान सेवक आगे बढ़ गया !!
हक़ीकत पता चली तब,
जब किसान फाँसी चढ़ गया !!
और अनाज खेत में सड़ गया !!

#PromiseDay

©Rahul Mishra #promiseday 

#pen
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Rahul Mishra

बस इतनी सी देशभक्ति,
इतना सा देशप्रेम जुटा लू मैं !!
छब्बीस को फेंके हुए तिरंगे,
सत्ताइस को सड़क से उठा लू मैं !!

©Rahul Mishra #RepublicDay
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Rahul Mishra

दलितों का भोजन "बैलेंस्ड डाइट" का सबसे अच्छा उदाहरण होता है | 

उसमें प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाईड्रेट के साथ साथ "वोट" भी पाए जाते हैं ! 

😜

©Rahul Mishra #Dark
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Rahul Mishra

आज खतरे में उस शख्स की भी जान है !!
जो शहर भर के कातिलों का भगवान है !!

©Rahul Mishra #Dark
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Rahul Mishra

" रूठ कर ऐसे चला जाऊँगा दूर कहीं आँखों मे अंधेरे लिए,
कि तू क्या, तेरा हरेक दिन तरस जाएगा फिर मेरे लिए "

 Last words said by 2021 to 2022 !

©Rahul Mishra #HappyNewYear
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Rahul Mishra

सलवार के नीचे उसकी जाँघ है
और जाँघ पे हैं लाठियों के निशाँ !!
कमीज़ फट गई कंधे से उसकी,
जो खींचा उसको पकड़ के गिरेबाँ !!
कसूर जानते हो उसका ? 
सरकार से किए सवाल उसने
थी गुस्ताख लड़की कर गई गुस्ताखियाँ !!

काले चश्मे के पीछे अंधी आँख उसकी,
अंधी आँख ने देखी ज़ुल्म की दास्ताँ !!
दर्दमंद और घायल उसकी नंगी पीठ,
बहती हैं जिसपे खून की नालियाँ !!
गुनाह जानते हो उसका ?
अंधी आँखों ने माँगी थी,
कलम, किताब और पढ़ने की आज़ादियाँ !!

हाकिम के पास  बेशक लाठी, लश्कर है, 
है खुली छूट, न कोई पाबंदियाँ !!
इनके पास सवाल हैं, हैं बेखौफ़ आँखें
उठते हुए सर और उठती उंगलियाँ !! 
क्या जुल्मी रुकेगा ?
या झुकेंगे इनके सर?
या चलेगी जंग यूँ ही दोनों के दरमियाँ  !!

©Rahul Mishra #DilKiAwaaz
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Rahul Mishra

पहले उसने काट कर लकड़ियाँ बेचीं,
फिर उसने सरेआम बेच दिए पेड़ !! 
इतने पे भी जब आप कुछ न बोले 
बेच दिए तब उसने गाय, बकरी-भेड़ !!

उसने तालाब बेचे, नदियाँ बेचीं,
धीरे धीरे झरने-झील बेच दिए !!
जब एक स्वर न निकला विरोध में
तब उसने बाज़, कौए चील बेच दिए !!

चिड़ियों के घोंसले, साँपों के बिल
और तो और शेरों की गुफा बेच कर !! 
आपके हाकिम ने कमाया मुनाफा
फूल पत्ते औषधि दवा बेच कर !! 

आपकी खामोशी का नतीजा देखो 
उसने पशुओं का खाना बेच दिया !!
पहले पक्षियों के घोंसले बेचे,
और फिर उनका दाना बेच दिया !! 

तंग आकर जब जुबाँ खोलीं आपने
तब तक पूरा जंगल बेच चुका था !!
बीते हुए कल आप खामोश थे इसलिए 
वह आने वाला कल बेच चुका था !!

©Rahul Mishra #MorningTea
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Rahul Mishra

मोदी में "भगवान", आदित्यनाथ में "योगी" और अमित शाह में "चाणक्य" ढूँढ़ना बंद कर दो. शायद अच्छे दिन भी आ जाएँ.

©Rahul Mishra #Night
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Rahul Mishra

किसानों को इस बार, 
हक मिलेगा !!
फसल का सही दाम, 
बेशक मिलेगा !!
वायदे हसीन हजार कर के
प्रधान सेवक आगे बढ़ गया !!
और, 
किसान फाँसी चढ़ गया !!
अनाज खेत में सड़ गया !!
जुमला था कि वह,
किसानों की दुगनी तिगुनी,
आय कर देगा !!
खुशहाली होगी, कर्जमाफी 
बिन बताय कर देगा !!
मगर है तो वह फेंकू ही
क्या पता कब झोला उठा के 
गुड-बाय कर देगा !!
तंग आकर, 
जिन किसानों ने, खिलाफत में 
आवाज़ उठाई !!
कुछ, नक्सली कहलाए,
और कुछ ने बेहिसाब 
लाठियाँ खाई !!
ग़रीब किसान जिसे 
अपना मसीहा,
माने बैठा था !!
चलवा कर गोलियाँ-लाठियाँ
वह बेशर्मी से छप्पन इंची 
सीना ताने बैठा था !! 
अक्सर किसान..
पुलिस की लाठियों से मरता है
या फिर वह मर जाता है,
पुलिस की बंदूक से !!
और जो फिर भी बच जाए 
वह मर जाता है भूख से !!

- Rahul Mishra #kisaan #kisaan #FarmersRevolution #farmer
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Rahul Mishra

किसानों को इस बार, 
हक मिलेगा !!
फसल का सही दाम, 
बेशक मिलेगा !!
वायदे हसीन हजार कर के
प्रधान सेवक आगे बढ़ गया !!
और, 
किसान फाँसी चढ़ गया !!
अनाज खेत में सड़ गया !!
जुमला था कि वह,
किसानों की दुगनी तिगुनी,
आय कर देगा !!
खुशहाली होगी, कर्जमाफी 
बिन बताय कर देगा !!
मगर है तो वह फेंकू ही
क्या पता कब झोला उठा के 
गुड-बाय कर देगा !!
तंग आकर, 
जिन किसानों ने, खिलाफत में 
आवाज़ उठाई !!
कुछ, नक्सली कहलाए,
और कुछ ने बेहिसाब 
लाठियाँ खाई !!
ग़रीब किसान जिसे 
अपना मसीहा,
माने बैठा था !!
चलवा कर गोलियाँ-लाठियाँ
वह बेशर्मी से छप्पन इंची 
सीना ताने बैठा था !! 
अक्सर किसान..
पुलिस की लाठियों से मरता है
या फिर वह मर जाता है,
पुलिस की बंदूक से !!
और जो फिर भी बच जाए 
वह मर जाता है भूख से !!

Rahul Mishra #farmer #kisaan #farmers
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