किसी ने मेहताब देखा है,
किसी ने किताब देखा है।
दोनों ने हीं रात-रात भर जग,
कितने ख्वाब देखा है।
मेहताब के आशिक है कई,
मंजिल के भी मुसाफिर कई।
कोई लूटने को तैयार बैठा है, #Books#Poetry#मोहब्बत
सैकड़ों किताबों से भरी अलमारी
दिवारों पर प्राचीन कला के टुकड़े
वीणावादिनी माँ का विशाल चित्र
आधुनिक वस्तुओं से सुसज्जित आलीशान कमरा
उस कवि का है, जो अकिंचनों पर लिखा करते है मार्मिक कविताएँ
आज उन्हीं कविताओं का एक पात्र भुखमरी से त्याग बैठा है प्राण
और कवि को मिल गई है अपनी अत्यंत मार्मिक कविता की पृष्ठभूमि॥