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avinashkrjha9943
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Avinash Kr. Jha (अवि)

एक तेरा भी दौर क्या ख़ूब था ग़ालिब न लिखने न बोलने पे किसी का ज़ोर था ग़ालिब, एक यह दौर भी अब देख तू ग़ालिब आवाज़-ए-कलम भी अब गुलाम है ग़ालिब। क्रांति हक़ से लिखता हूं, इश्क़ तजुर्बे से लिखता हूं, गम और शराब जाते-जाते तोफे में दिया था किसी ने Pen-name:- अवि (Avi) ये तो सही बात है 2020 चल रहा है लेकिन मै 2014 से आगे नहीं बढ़ पाया। पिछली बार मोबाईल ने दगा दिया और बहुत कुछ खो दिया अब दोस्त के सलाह पे इस आपलिकेशन को इस्तेमाल कर रहा हूं। ज्यादा कुछ होता नहीं लिखने को गम, शराब और क्रांति के सिवा, काम के बोझ से जब भी फुर्सत मिलता है थोड़ा बहुत लिख लेता हूं।

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Avinash Kr. Jha (अवि)

Alcohol जब भी ग़म ने मारा शराब पी लिया
शराब भी साहब बेहिसाब पी लिया
ग़म-ए-शराब छोड़ कर सोचा कटते हैं कुछ दिन
दिन तो कट गए रातें ख़राब कर लिया।

©Avinash Kr. Jha (अवि) #alcohol
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Avinash Kr. Jha (अवि)

तु बोल मेहंदी रची तो है
तेरी खूनी कातिल हाथों में,

तुम बोल चूड़ा जचा तो है
उन छोड़ने वाले हाथों में,

तेरे माथे पे बिंदी होगी
अरमानों के जल जाने की,

तु बोल नथिया सजी तो है
कैदी दिल पाश‌ दीवाने की,

तेरी फुलकारी लाल दुपट्टे के
जड़ी में टूटे दिल होंगें,

तेरी हाथों की मेंहदी लाल बहुत
खूनो के अंश भरें होंगें,

वो हवन कुंड में आग जलेगा
किसी के धर जल जानें की,

तेरी शहनाई भी मातम होगी
किसी खास कोई दिवाने की,

वेदियों ‌पे‌ मंत्र पढ़ें जाएंगे
और धर होंगें बर्बाद कई,

फिभी दिल दुआ निकलना है बस
तु रह सदा आवाद सही।

©Avinash Kr. Jha (अवि)
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Avinash Kr. Jha (अवि)

नसीब नहीं अपने हाथों से लिखा है हमने मुक़द्दर अपना
उन्होंने ने एक बार तोड़ था और हम हर रोज़ टुटते हैं।

©Avinash Kr. Jha (अवि) #Dark
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Avinash Kr. Jha (अवि)

ग़ुर्बत में कट गई उम्र सारी
हम मोहब्बत के मारे आशियां न बना सकें।

©Avinash Kr. Jha (अवि)
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Avinash Kr. Jha (अवि)

बेअदबी से तोड़ था गूरूर हमारा
हमें यकीं था वो आखिर तक साथ निभाएंगी।

©Avinash Kr. Jha (अवि)
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Avinash Kr. Jha (अवि)

कुछ रातें मेरी तन्हाई की
तेरी यादों की बलि सी चढ़ती है
न जल्द सवेरा होता है
न नींद की दस्तक होती है
एक अरसा बिता दूर हुए
तेरी धुंधली सी तस्वीर है बस
बिस्तर की करवट न जाने
तेरी यादों की आहट भर्ती है
कैसे में, कैसा मेरा हाल हुआ
तकिया-ए-हरम ही समझती है।

©Avinash Kr. Jha (अवि) #sleeplessnight
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Avinash Kr. Jha (अवि)

इश्क नहीं इस दुनियां में, सब यार बनाएं फिरते हैं
जो इश्क कि सूलि चढ़ जाए, जग पागल उनको कहते हैं
बुल्ला इश्क में कंजरी बन लोग कहां अब नाचेंगे
मांझी की नरम कटारों से पर्वत को भला क्या कांटेगे
वो दैर गया वो बात गई, वो इश्क नहीं वो यार नहीं
जिस्मों का सौदा होता है, वो रूहों वाला प्यार नहीं
सती-सावित्री बनना अब स्त्रियों को मंजूरी नहीं
राम सा पुरुषार्थ रखें अब पुरुषों का सौभाग्य नहीं
खेल-तमाशा बिस्तर का और कहते हैं हम टूट गए
रूहों से कब हैं एक हुएं जो संगी प्रेमी छुट गए
इश्क हैं करना इश्क करो खेल तमाशा बहुत हुआ
गुरूओं की बानी समझें बिन सिर को झुंकाना बहुत हुआ।

©Avinash Kr. Jha (अवि) #selflove
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Avinash Kr. Jha (अवि)

हमसे पूछते हो क्या हाल बना रखा है
तुम ये बताओं किसी बेवफ़ा से मोहब्बत किए हो क्या
वर्षा की बूंदों सी थी वो रिमझिम बरसती थी
कभी सूखे अकाल में खेती किए हो क्या
हंसते हुए चेहरे में छुपे ग़म का साया है हम
तुम ये बातओ आंखें भर के ग़म से मुस्कुराए हो क्या
मर्ज मेरी का इलाज अब न ढूंढ़ो यारों
दर्द का मजा भी होता है कुछ ख़ास में ले रहा हूं
तुम लिए हो क्या?

©Avinash Kr. Jha (अवि) #FindingOneself
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Avinash Kr. Jha (अवि)

मेरा ये जिस्म अब ज़्यादा दिनों का मेहमान नहीं हैं
जो कोई रूहों को चूमना चाहें तो शौक़ से आएं
जला चुकें हैं हम अपनी क़िस्मत की किताबों को
दिलासा, तसल्ली और रहम दूर ही करके आएं
मेरे शहर में उजाले की कमी सी है
जो भी आएं एक चिराग़ तो लेके आएं
सुना है मोहब्बत अब भी जिन्दा है जवाने में
हम तो काफ़िर हैं जवाने में कोई जज़्बात लेके आएं।

©Avinash Kr. Jha (अवि) #FindingOneself
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Avinash Kr. Jha (अवि)

#PoetryOnline #NojotoHindi #Myvoice #Broken_Heat #नंगे_पांव_आई_हो #Sad_Poetry
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