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Art Of Penning

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Art Of Penning

मैंने तेरी बातों का मिज़ाज़ बदलते देखा है,
हा ! मैंने इस दुनिया का हर इन्सान बदलते देखा है ।।
जब देखा तोह मैंने जाना , न रंग से ना रूप से न चाहत न इश्क़ से,
इस दुनिया में दौलत से औक़ात बदलते देखा है ।।
माना तुझमे कम थी फितरत साक़ी इश्क़ निभाने की,
पर फिर भी तुझको मतलब पे हर ज़ात बदलते देखा है ।।

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Art Of Penning

हर रोज़ बेच कर आता हूं अपने सपनो को,
मानो खुद का ही दलाल बन गया हूं।।
वो हर कहानी जो लिखी थी मैंने,
मानो उनका ही गुनहगार बन गया हूं ।।
अब ना सपने है, ना कोई ख़्वाहिश,
मानो हर एक जज़्बे से कंगाल बन गया हूं ।।
मेरी हशरत को जवानी के बोझ ने दबाया है,
मानो किसी नशे का तलबगार बन गया हूं।।
और अब तो लोग छू छू कर कहते है मुझे,
के मैं तो जीता जागता कंकाल बन गया हूं।। Rudra pratap Singh  Shravani Agam Ab Bhatia Krishna Chourey Bina Babi

Rudra pratap Singh Shravani Agam Ab Bhatia Krishna Chourey Bina Babi

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Art Of Penning

तुम ना कहती थी इश्क़ बेशक़ीमती है मेरा,
आज कौड़ियों के भाव उसे नीलाम होते देखा है ।।
वो इश्क़ को इबादत सा यू बताना,
भरी महफ़िल में क़ाफ़िर सा बदनाम होते देखा है ।। तुम ना कहती थी इश्क़ बेशक़ीमती है मेरा,
आज कौड़ियों के भाव उसे नीलाम होते देखा है ।।
वो इश्क़ को इबादत सा यू बताना,
भरी महफ़िल में क़ाफ़िर सा बदनाम होते देखा है ।।

तुम ना कहती थी इश्क़ बेशक़ीमती है मेरा, आज कौड़ियों के भाव उसे नीलाम होते देखा है ।। वो इश्क़ को इबादत सा यू बताना, भरी महफ़िल में क़ाफ़िर सा बदनाम होते देखा है ।।

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Art Of Penning

मेरा अब क्या बिगाड़ोगे यूँ ही उजड़ा हुआ हूं मैं ।
ये जो रोशनी बाकी है ये तो उनका सवेरा है ।। Nojoto News Shravani Bina Babi Krishna Chourey Agam Ab Bhatia  Rudra pratap Singh

Nojoto News Shravani Bina Babi Krishna Chourey Agam Ab Bhatia Rudra pratap Singh

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Art Of Penning

वो पहले वाली बात कहाँ?

अब बारिश की इन बूंदों में,
इस सावन में, उन झूलो में,
वो बचपन वाली रात कहाँ,
वो पहले वाली बात कहाँ ?
उन बचपन वाले यारों के,
उन गलियों, चौक,चौबारों में,
वो साइकल वाली रेल कहाँ,
वो कच्ची पक्की मेल कहाँ?
अब भीगने और भिंगोने की
ख़्वाहिशें और संजोने की,
इस दिल में ज़िंदा जज़्बात कहाँ?
वो पहले वाली बात कहाँ ?
ये 9 से 5 के दफ़्तर में,
फाइलों और कंप्यूटर में,
वो मम्मा-पापा की डांट कहाँ,
वो पहले वाली बात कहाँ ?
अब किश्तों की यूँ टेंशन में,
तारीख़ें याद नहीं रहती,
अब बस दिन कट से जाते है,
क्यों रातें साथ नही रहती?
अब गर्मी-सर्दी छुट्टी क्या,
बरसातें याद नहीं रहती,
अब जीने में कोई ख़्वाब कहाँ?
वो पहले वाली बात कहाँ?
वो पहले वाली बात कहाँ! We all miss our childhood; I am missing it badly today as it is raining and this was always my favorite season. Yes it "WAS" to know why please go through my poem. #nojoto #hindipoetry #fristquote  Nojoto Nojoto Hindi rim jhim

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