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ranjeshsingh5558
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"Vibharshi" Ranjesh Singh

insta I'd :- vibharishi_05 Author of Book :- Biharinomics https://amzn.eu/d/23i5ahW

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"Vibharshi" Ranjesh Singh

White  A feeling unknown ,Taking toll in my heart 
     Not sure what to make of it,When I think on it 
Heaviness travel through my each body part

More I flee from attachments, closer it gets 
More I ponder on it, More confusing it gets  Brains says spit it out & let the clouds get clear 
Heart fears the risk of losing someone very dear

Amid the confusion, heart pays the price Heaviness, restlessness & what more to suffice

©"Vibharshi" Ranjesh Singh #Couple
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"Vibharshi" Ranjesh Singh

मैं ही हूं जो जिम्मेदार खुद मेरी हश्र का ।
तो फिर शिकवा क्या शिकायत क्या ? 
जो चाहता नहीं था हो कभी, फिर हो गया ।
अब इस बात से परहेज़ क्या, इनायत क्या ? 

फिलहाल थोड़ी देर ठहरना ही मुनासिब है ।
इस महरूम दिल की खैरियत के लिए ।
जो किया कराया है वो मेरा ही कसूर है । 
फूल से चेहरे से रुस्वाईयत क्या, शिकायत क्या ?

©"Vibharshi" Ranjesh Singh heartbreak

heartbreak #hunarbaaz

12 Love

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"Vibharshi" Ranjesh Singh

When you ask me, am I a Spiritual Person ? I would say, No.  Perhaps, because i am not the believer of Holy Spirit. 
When you ask me, Am I a religious person? I would say, No. Perhaps because i don't understand religion. Being Religious is very foreign concept to me. 
So am I a non-believer ? I would say, No. Perhaps because i don't know what I don't know so how can i believe in something & discard something.

So, Why do i believe in Lord Shiva ? Do i know Lord Shiva ? I would say No. But, still i feel some innate connection with him that I can't seem to explain. I don't have logic to exlain his Magic ✨

©"Vibharshi" Ranjesh Singh #mahashivaratri
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"Vibharshi" Ranjesh Singh

जब ना सत था , ना असत था
जब ना कोई रज था, ना व्योम
 जब ना थी कोई ध्वनि, ना ॐ। 
फिर किस तत्व ने श्रृष्टि बनाई ?
  और उस तत्व को बनाया कौन?
 उसकी जननी कौन, जनक कौन ?

जब ना मृत्यु थी, ना उसका अभाव
 जब ना था रात और दिन का प्रभाव
  था कुछ जो अनादि था, स्वयंभू था 
  स्वध्या ही होना था उसका स्वभाव

  जब अंधकार सा था पर  था उससे गहरा
 जिसका हर जगह लगा हुआ था पहरा 
  था शून्य सा शायद,हमारे समझ से परे 
 जो था सब था उस तत्व के इर्द गिर्द पड़े 
फिर उसी तत्व से जन्म हुआ महत का
 जिससे बाद में जन्म हुआ सत,असत का

 जैसे हमारे  मन के अंदर है इच्छाएं वर्तमान
  उसी प्रकार महत में इच्छाएं उत्पन्न हुई फिर 
  इच्छाओं से कालांतर में हुआ सबका निर्माण


एक विस्फोट हुआ फिर रश्मियां फैली चारो ओर
कुछ ऊपर गई, कुछ नीचे गई, पहुंच गई हर छोर
 इच्छाएं बंधने लगी फिर आपस में,जिससे कण बने 
पदार्थ बना, अंतरिक्ष बना ,गुरुत्व बना और क्षण बने
तारे बने, सितारे बने, ग्रह बने, वायु बना और जीवन बने 

पर वह तत्व कैसे बना जो था शुरू से विद्धमान
कौन जानता है शुरू से की कैसे हुई श्रृष्टि निर्माण
कौन है जो प्रवचन दे इस पर ,किसपे है इतना ज्ञान 

देवता भी बता ना पाएंगे, शुरू से थे नही वो भी वर्तमान 
देवता हो या ऋषिगण,वो बस लगा पाएंगे केवल अनुमान

©"Vibharshi" Ranjesh Singh #watchtower #ऋग्वेद #Nasadiyasukta
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"Vibharshi" Ranjesh Singh

असल में जिंदगी उजाड़ है ।
सोशल मीडिया में बहार है ।।
 सीरत भले गुलजार है ।
पर सूरत अभी भी कबाड़  है ।।
मेरे कद काठी पर करो टिप्पणियां ।
मुस्कुरा के सब दर्द सह लेंगे ।
 मेरी खुशियां रब पे अभी उधार है  ।।

©"Vibharshi" Ranjesh Singh #SunSet
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"Vibharshi" Ranjesh Singh

Bihari and Hypocrisy 

राजनीतिक समझ पर ज्ञान ऐसे देंगे जैसे इनसे बड़ा कोई ज्ञानी नहीं हो पर फिर वोट किसी अपराधी को दे आयेंगे। 
खाने को आटा नहीं बात बिरला और टाटा की करेंगें । 
गोतिया के सामने अंबानी दिखने की कोशिश करेंगे फिर बाहर राज्य में जा कर मजदूरी करेंगे। गांव समाज में अगर कोई व्यक्ति मेहनत कर के आगे बढ़ना चाह रहा हो तो उसकी लिए अड़चन पैदा करेंगे, और फिर बाद में बिहारी एकता पर ज्ञान देंगे। गांव में रहेंगे तो एक गाली पर मर्डर कर देंगे वहीं बाहर राज्य में हर दिन गाली खायेंगे और निर्लज्ज की तरह बने रहेंगे। बाल बच्चा का मुंह देखे महीना हो जाए भले ही, अपना सुख चैन बेच आयेंगे पर वोट किसी ना किसी अपराधी को दे आएंगे। अजीब से नशा में चूर हैं सब, गलती करेंगे खुद और कहेंगे मजबूर हैं सब। मेहनत से चार पैसा कमाने वाला व्यापारी इनको चोर , दो  नंबर का काम करने वाला लगेगा और बेटी का रिश्ता उस सरकारी बाबू से करवाएंगे जिसका आउटी आमदनी हो यानी घुस लेता हो l

©"Vibharshi" Ranjesh Singh मैं भी एक बिहारी हूं

मैं भी एक बिहारी हूं #hunarbaaz

14 Love

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"Vibharshi" Ranjesh Singh

सब देखता हूं , जिंदा हूं कोई मूर्त नहीं ।
मूर्ख हो सकता हूं, पर मैं धूर्त नहीं ।।

©"Vibharshi" Ranjesh Singh #thepredator
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"Vibharshi" Ranjesh Singh

मैं हूं बस एक केवल इस आस में 
 बैठूंगा एक दिन कभी तेरे साथ में 
 कोई 11- 12 बजे  किसी रात में 
     किसी एक छत पर ,कही एकांत में  
  किसी शहर में, किसी एक प्रांत में 

जब चांदनी अपनी चमक छलका रही होगी 
  तेरे  कानों की बाली से लग बलखा रही होगी 
      ठंडी हवाएं तेरे कोमल गालों को सहला रही होगी
        कुछ बहकी फिजाएं तेरे मन को बहला रही होगी 

        पास जा बैठूंगा तुम्हारे पास और तुम्हें टक टक निहारूंगा      तुम्हारे लटकते हुई जुल्फों को बड़े प्रेम से संवारूंगा
 थाम हाथ तेरा, तेरे हाथों में कुछ चूड़ियां पहनाऊंगा 
     नजरें मिला तुमसे तुम्हें कुछ अपनी पंक्तियां सुनाऊंगा 
           हाल ए दिल समझ लेना तुम, इससे ज्यादा ना कह पाऊंगा 
         तेरे गोद में फिर सिर रख कर फिर टूट जाऊंगा बिखर जाऊंगा

©"Vibharshi" Ranjesh Singh #moonlight
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"Vibharshi" Ranjesh Singh

#mothernature
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"Vibharshi" Ranjesh Singh

ऐ कलम बता मैं क्या लिखूं ? 
उनकी जीत लिखूं या अपनी हार लिखूं ? 
जिम्मेदारी लिखूं या खोया प्यार लिखूं ? 
हारा मर्द लिखूं या मतलबी संसार लिखूं ? 
मां की कुर्बानी लिखूं या परिवार लिखूं ? 
बटर चिकन लिखूं या रोटी आचार लिखूं ? 
ऐ कलम बता मैं क्या लिखूं ? 
____________
लिख सकूं सब कुछ मैं इतनी हिम्मत कहां मुझमें  ?
कर सके बयां दर्द सबका, इतनी स्याही कहां तुझमें  ?
बेईमानी होगी जो किसी एक का दर्द लिखूं बस मैं ।
नाइंसाफी होगी बड़ी जो किसी का हो जाऊं बस मैं ।।
चलो दर्द सबका समझ लेते हैं और मौन हो जाते हैं । 
सबकी गलती होने पर भी थोड़ा गौण हो जाते हैं ।।
दर्द अगर वो मुझे देंगे भी तो हम बोलेंगे कुछ नहीं ।
लांछन भी दे तो मुस्कुराएंगे और बोलेंगे कुछ नही।

©"Vibharshi" Ranjesh Singh #MountainPeak #Life
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