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raginisharma2162
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ragini sharma

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ragini sharma

*शुभमाल छंद*
-----------------
(जगण जगण )
(121 121 )

करें जब ध्यान 
बढ़े तब ज्ञान
हजार उपाय
मिलें फिर आय

सुभाग सराह 
अपार अथाह
सुप्रात सुहाय
सुप्रीत सुभाय

सुजान सुप्रीत
बनाय  सुरीत
बताय पुनीत
लिखाय सुगीत

हिया तड़पाय
बड़ा तरसाय 
सँवार सँवार
सुधा रस धार
✍🏻

रागिनी स्वर्णकार(शर्मा)
इंदौर

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ragini sharma

*मुक्तक*

*सरल सरिता बहे जैसे*
            *बहे है भाव की धारा*
*खिले उपवन मधुर जैसे*
      *बने फिर गीत एक न्यारा* 
*कभी कविता बने मधुरिम*
      *कभी चातक लगे प्यासी*
*ढले जो धड़कनों में तो*
         *सृजन संसार हो न्यारा*
  ✍🏻

रागिनी स्वर्णकार (शर्मा )
इंदौर

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ragini sharma

स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !!

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ragini sharma

21 21 21 21,21 21 21 21 =24
*चामर छंद*
*ज्ञान का उजास गीत , मान प्राण शान गीत* ।
*छंद का विधान गीत , बंध का वितान गीत* ।
*शब्द अर्थ भाव गीत,हाव भाव चाव गीत* ।
 *प्रार्थना प्रसून गीत,और दीप-दान गीत* ।
✍🏻
 रागिनी स्वर्णकार (शर्मा )
इंदौर

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ragini sharma

21 21 21 21,21 21 21 21 =24
*चामर छंद*


*ज्ञान का उजास गीत , मान प्राण शान गीत* ।
*छंद का विधान गीत , बंध का वितान गीत* ।
*शब्द अर्थ भाव गीत,हाव भाव चाव गीत* ।
 *प्रार्थना प्रसून गीत,और दीप-दान गीत* ।
✍🏻
 रागिनी स्वर्णकार (शर्मा )
इंदौर

4 Love

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ragini sharma

*दोहा*

*आजा ओ अनजान अब, 
गमक गया  गुलनार* 
*गुंजन सुन कर गीत की, 
किलक उठा कचनार* 

रागिनी स्वर्णकार (शर्मा )
इंदौर

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ragini sharma

कफ़स में अब तलक क़ैद रोशनी है क्यों ।
सूरज चमक रहा है ,फिर तीरगी है क्यों ।
यूँ जग में बिखरी पड़ी अथाह सम्पदा,
झोपड़ियों में पल रही ,मुफलिसी है क्यों ।

रागिनी स्वर्णकार(शर्मा )
इंदौर

4 Love

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ragini sharma

*दोहा*

* *आजा ओ अनजान अब, गमक गया  गुलनार* ।
*गुंजन सुन कर गीत की, किलक उठा कचनार* ।

रागिनी स्वर्णकार (शर्मा )
इंदौर

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ragini sharma

*दोहे*
---------
🍃🍁
ओढ़ी चूनर प्रीत की, किया साज शृंगार।
पायल पहनी नेह की ,दिया हृदय उपहार
🍁🍃
 वेणी गूँथी पीर की, रेशम -रेशम प्यार ।
तनमन सुरभित हो गया,खिली कली कचनार
🍁🍃
हुई अलंकृत रागिनी,पाया प्रीतम प्यार ।
बाहों के बंधन कसे,अधर सुर्ख गुलनार
🍁🍃
मन से मन ने नेह के ,लिखे अनगिनत छंद ।
धड़कन ने भी लिख दिये,नये गीत के बंद ।

*रागिनी स्वर्णकार(शर्मा )*
इंदौर* *दोहे*
---------
🍃🍁
ओढ़ी चूनर प्रीत की, किया साज शृंगार।
पायल पहनी नेह की ,दिया हृदय उपहार
🍁🍃
 वेणी गूँथी पीर की, रेशम -रेशम प्यार ।
तनमन सुरभित हो गया,खिली कली कचनार

*दोहे* --------- 🍃🍁 ओढ़ी चूनर प्रीत की, किया साज शृंगार। पायल पहनी नेह की ,दिया हृदय उपहार 🍁🍃 वेणी गूँथी पीर की, रेशम -रेशम प्यार । तनमन सुरभित हो गया,खिली कली कचनार

4 Love

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ragini sharma

दिनकर ने दोहे लिखे, रचती ऊषा  गीत
सावन आया झूमता, छेड़ दिया संगीत
 पवन भीगती ही रही, आँचल भीगा प्यार।
रिमझिम सावन की झड़ी,गाये जब मल्हार

रागिनी स्वर्णकार (शर्मा )
इंदौर सुप्रभात

सुप्रभात

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