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प्रियदर्शन कुमार

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प्रियदर्शन कुमार

मेरी चुप्पी को
मेरी बेवकूफी समझते हैं लोग,
मेरी बेबसी को
मेरी कमजोरी समझते हैं लोग,
मुझे खबर है दुनिया की
मुझे भले ही नादान समझते हों लोग,
समय के थपेड़ों ने इस कदर झकझोर दिया मुझे
वरना मैं भी हाजिरजवाबी था कभी,
सब जानते हैं लोग मुझे।
मुझे इंतज़ार है
समय बदलेंगे मेरे भी,
कब बदलेंगे समय
इसी इंतजार हूँ मैं भी?

©प्रियदर्शन कुमार

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प्रियदर्शन कुमार

#टूटते_पत्ते
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प्रियदर्शन कुमार

#मैं_और_मेरी_कविता
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प्रियदर्शन कुमार

अपनी ईमान को मत गिरने देना कभी,
ये खुशियाँ भले न दे, लेकिन स्वाभिमान को नहीं गिरने देगा कभी।
प्रियदर्शन कुमार

©प्रियदर्शन कुमार #guru
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प्रियदर्शन कुमार

"मैं किसी जड़ हठधर्मिता से बंधा हुआ नहीं हूं और हमेशा अपनी गलतियों को स्वीकारने और उन्हें सुधारने के लिए तैयार रहता हूं। मुझे लगता है कि यह दृष्टिकोण उस नजरिए के करीब है जिसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण कहा जाता है और इस तरह से देखें तो मुझे लगता है कि मैं वैज्ञानिक होने का दावा तो नहीं कर सकता लेकिन मेरा मिज़ाज ज़रूर वैज्ञानिक है।"
पंडित जवाहरलाल नेहरू
साभार : 'कौन हैं भारत माता?'

©प्रियदर्शन कुमार #AWritersStory
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प्रियदर्शन कुमार

प्रिय चाचा नेहरू साभार : कौन हैं भारत माता
"मेरी समझ से प्रेस की स्वतंत्रता, एक व्यापक नजरिए से, केवल एक नारा भर नहीं है, बल्कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया का बुनियादी गुण है। मुझे इसमें कोई शक नहीं कि भले सरकार प्रेस द्वारा ली गई छूट को नापसंद करे और उसे खतरनाक समझे, तब भी प्रेस की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करना ग़लत है। उस पर रोक लगाने से आप कुछ बदल नहीं पाएंगे; आप लोगों के दिमाग में जो घुमड़ रहा है उसे केवल दबा भर सकते हैं, और इससे वह विचार और भी ज्यादा फैलेगा। इसलिए मैं उस स्वतंत्रता को कुचलने या एक नियंत्रित प्रेस बनाने की अपेक्षा एक पूरी तरह से स्वतंत्र प्रेस देखना चाहूंगा, भले ही उसमें उस स्वतंत्रता के दुरूपयोग के सारे ख़तरे मौजूद रहें।...... मैं वैधानिक रूप से, या किसी तरह से, सरकारी नीतियों की व्यापक आलोचना अथवा उनकी के भी आड़े नहीं आना चाहता हूं।"
पंडित जवाहरलाल नेहरू

©प्रियदर्शन कुमार #JWAHARLALNEHRU
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प्रियदर्शन कुमार

अधिकार अपने आप में तब तक अधूरा है और हम उसे लम्बे समय तक उपभोग नहीं कर सकते, जब तक कि उसके साथ जो कर्तव्य जुड़ा है उसको अगर कोई राष्ट्र या बड़ा हिस्सा याद न रखे। चाहे कोई व्यक्ति हो या नागरिक हों या संगठन हों, हम अधिकारों और अपने विशेषाधिकारों के बारे में ही सोचते रहते हैं और अपने कर्तव्य के बारे में गौर नहीं करते। यह देश को कमजोर बनाता है और हम केवल आलोचना या शिकायत करने वाले बन जाते हैं जिनके पास कुछ भी रचनात्मक योगदान के लिए नहीं होता है। प्रेस के लिए बात और ज्यादा
सही है।
'पंडित जवाहरलाल नेहरू 
साभार : कौन हैं भारत माता ?

©प्रियदर्शन कुमार #WallPot

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प्रियदर्शन कुमार

Alone  नफ़रत को भी मैं देखूंगा, मोहब्बत की नज़रों से। कोई हर्ज नहीं मुझे झुकने में, अगर नफ़रत मोहब्बत में बदल जाए।
प्रियदर्शन कुमार

©प्रियदर्शन कुमार #alone

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प्रियदर्शन कुमार

जो कभी मुझे मारने का ख्वाब देखते थे, आज़ मैं उनकी जिंदगी की दुआं मांगता हूं।
प्रियदर्शन कुमार

©प्रियदर्शन कुमार #RAMADAAN

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प्रियदर्शन कुमार

काव्य संख्या-231
=========================
हमसे हमारी जिंदगी छीन ली तुमने
=========================
तुमसे दो पल की खुशी क्या मांग ली हमने, 
चंद वोटों की खातिर हमसे हमारी जिंदगी छीन ली तुमने। 
एक उम्मीद दिखी थी तुम में, 
उन उम्मीदों को अवसर में भुना लिया तुमने। 
इतने नीचे गिर जाओगे, 
कल्पना नहीं की थी तुमसे।  
सत्ता का आना जाना लगा रहेगा, 
पर देश बचाना जरूरी नहीं समझा तुमने। 
देश बनता है जनता से, 
पर जनता से हमदर्दी नहीं तुम्हें।
श्मशान में ऐसे लाश जल रही है,
मानो दीवाली मन रहा हो जैसे।
खुद का घर अंधेरे में डूबा हो,
दुनिया को दीपक दिखाने तुम निकले।
पल-पल सांसे छोड़ रहीं हैं जीवन को,
इसकी तनिक भी परवाह नहीं तुम्हें।
तन-मन-धन बाहुबल से लगे रहे तुम,
सत्ता को हथियाने में।
दुनिया लड़ती रही महामारी को हराने में,
उनमें एक तुम भी थे,
जो लाउ-लश्कर के साथ लगे थे,
एक नारी को हराने में।
अरे जनता ही न रही तो,
राज करोगे तुम किसपे।
बेशर्मी की तब और हद हो गई,
जन का जन की मदद करने पर,
एफआईआर कर दिया तुमने।
एक के बाद एक फरमान जारी किए तुमने,
ताकि जनता आवाज न उठाए।
ये कैसा फरमान है तुम्हारा,
मारो भी, और रोने भी न दो।
तुमसे दो पल की खुशी क्या मांग ली हमने, 
चंद वोटों की खातिर हमसे हमारी जिंदगी छीन ली तुमने।
                                                   "प्रियदर्शन कुमार"

©प्रियदर्शन कुमार #Nodiscrimination
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