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Dinesh Rajpoot Romeo@123
Monu Tyagi
Sunil itawadiya
यही फर्क है धन में और मन में🙏🏼 एक बात पूरा कैप्शन जरूर पढ़ें 🍫🍫💐🙏🏼👍 कैप्शन 👉दो बुजुर्ग रास्ते से जा रहे थे एक ने कहा यार पीछे से कुछ आवाज आई क्या अगले ने कहा नहीं पहले वाले ने पीछे मुड़कर देखा तो किसी की जेब
Darshan Blon
परिंदे घर से निकले हैं नजाने लौट के कब आएंगे जो भटक गए वो राह में कहीं तो घोंसलों में बच्चे भूखे रह जाएंगे l उड़ने दो परिंदो को नीले गगन में उन्मुक्त पंखों को फड़फड़ाने दो बिगाड़ा क्या है किसी का बेगुनाहों ने सुकून से उनको तुम जीने दो l ना मारो गुलेल से मेरे दोस्त परिंदो को लौट के वापस उन्हें घर जाना है ना करो कैद उन्हें तुम पिंजरे में घोंसलों में बच्चे इंतज़ार करते रह जाएंगे l परिंदे घर से निकले हैं नजाने लौट के कब आएंगे जो भटक गए वो राह में कहीं तो घोंसलों में बच्चे भूखे रह जाएंगे l उड़ने दो परिंदो को नीले गगन मे
KUNAL MAHESHWARI
।।।हुआ है बहुत कुछ पर सुनाने को कुछ नहीं लता, रफी, किशोर याद है पर गुनगुनाने को कुछ नहीं आग लगी है जिंदगी के कई मोड़ पर पर बुझाने को कुछ नहीं किससे बहुत है पर सब गम से भरे हमारे पास खिलखिलाने को कुछ नहीं चारों तरफ रोशनी होने के बावजूद हम हारे क्या करें जुगनू है जगमगाने को कुछ नहीं तुम्हारी उलझनें हम कैसे दूर करें अब वह बात कहां अब समझाने को कुछ नहीं मौत का सैलाब इतना तेजी से आया और सब बहा कर ले गया जलाने को कुछ नहीं दफनाने को कुछ नहीं अब तो जंग इतनी के करे तो क्या करें जीतने को कुछ नहीं हारने को कुछ नहीं तुम जो करते हो उसे तुम्हें ही फर्क, खुशी, नुकसान, शोहरत, दुख है मत देखो उधर जमाने को कुछ नहीं लोगों ने इतना गिराया तड़पाया कि अब कैसे उड़े हमारे पास तो अब फड़फड़ाने को कुछ नहीं हमारा जमाना गया अब हम उसमें खौफ कैसे भरें हमारे पास तो अब डराने को कुछ नहीं सब को हमारा सब पता था खूब खुले थे हम अब कान में क्या बोलना छुपाने को कुछ नहीं जितना था सब चला गया अब तो यह कि गवाने को कुछ नहीं सावन भी चला गया दिल खाली ही था बदनसीबी देखो मुरझाने को कुछ नहीं हुआ है बहुत कुछ पर सुनाने को कुछ नहीं।।। ।।।हुआ है बहुत कुछ पर सुनाने को कुछ नहीं लता, रफी, किशोर याद है पर गुनगुनाने को कुछ नहीं आग लगी है जिंदगी के कई मोड़ पर पर बुझाने को कुछ न
यशवंत कुमार
बूढ़ा तोता घोसले में बैठा बूढ़ा तोता, आज था जोर से भूखा। जमाने बाद इस बरस क्यूँ, ऐसा पड़ रहा था सूखा? न खाने को एक भी दाना था, न पीने को पानी। न दिखता था कोई आस-पास में, कर्ण -सा ही दानी। Read Full Poem in Caption #lifepoetry #itislife #respectoldpeople बूढ़ा तोता घोसले में बैठा बूढ़ा तोता, आज था जोर से भूखा। जमाने बाद इस बरस क्यूँ, ऐसा पड़ रह
Ek villain
बीते सप्ताह श्रीलंका में हजारों की भीड़ ने राष्ट्रपति के सचिव वाले को घेर लिया था कर्ज में डूबे इस देश में महंगाई और दैनिक प्रयोग की वस्तुओं की भारी कमी से परेशान लोग राष्ट्रपति का इस्तीफा चाहते थे आखिर श्रीलंकाई नेतृत्व से कुछ समय में ही विश्वास खत्म कैसे हो गया कुछ साल पहले तक आर्थिक प्रगति ठीक रास्ते पर चल रही थी श्रीलंका में एसएससी कैसे पैदा हो गई इसके पीछे ड्रैगन की राजनीति का जलवा ही वायरस का मुख्य योगदान है इसने एक फलते फूलते देश को ऐसे झगड़ कर की है अब श्रीलंका के लोग भूख से तड़प रहे हैं देश ड्रैगन के पंजे से छूटने के लिए फड़फड़ा रहा है पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को चेतावनी के बावजूद चीन योजनाओं के हालात में सुधार दिखाई ना देने की वजह से पासपोर्ट ऑफिस में ही है जो रोजी-रोटी के लिए छोड़ना चाहते हैं कि डॉलर की तुलना में ©Ek villain #ड्रैगन के पंजे में फड़फड़ाता श्रीलंका #WorldPoetryDay
Shashank Rastogi
मेरे दिल का परिंदा आज बहुत फड़फड़ा रहा है ना जाने आज की ये बारिश देख कर इसे क्या हो गया है शायद ये आज, तुम्हारे साथ प्यार की इस बारिश में भीगना चाहता है शायद आज ये तुम्हारे लिए अदरक वाली चाय बनाना चाह रहा है शायद आज ये एक छाते के नीचे खड़े होके तुम्हारे साथ पकोड़े खाना चाह रहा है शायद इसे ही बावरा मन कहते है #परिंदा #फड़फड़ाना #प्यार #इश्क़ #चाय #पकोड़े #छाता #बारिश बारिश का मौसम
Sunita Sharma
यह रचना आपके लिए ©Sunita Sharma #बिजली # हाथ# फड़फड़ाए # अंजलि #किताब #सहमे #लिपट #तुम