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Inder mighty
Kajori Parial
~~~ अपना आसमान ~~~ किसी और के कदम से अपने आसमान का ऊंचाई न नापो, तुम्हारे रास्ते में शायद पकदंडिया कुछ ज्यादा हो, कुछ ज्यादा चढ़ाई हो। पर क्या पता, तुम्हारे आसमान को रोशन करता सूरज नहीं, शायद सिरियस* या अल्फा सेंटौरी* हो। 260/366 *सीरियस = Sirius *अल्फा सेंटौरी = Alpha centauri are the two stars even farther than the Sun. #kajori_thephoenix #buddymantra #your
Johny D souza
अल्फा जी शुक्रिया कैसे अदा करूं यह मेरे मौला तूने मुझे उस आखिरत से नवाजा है मैं यह नहीं कहता कि मुकद्दर मेरा गुलाम है लेकिन मैं गुलाम मुस्तफ
सुसि ग़ाफ़िल
सैनिक रहे हैं प्रेम के पुजारी बंदूक उठाने से पहले बंदूक छोड़ने के बाद ठीक इसके बीच के समय में टूटने होते हैं कई फूल जिनकी सुगंध के बारे में बंदूकें कुछ नहीं जानती | सैनिक रहे हैं प्रेम के पुजारी बंदूक के उठाने से पहले बंदूक के छोड़ने के बाद ठीक इसके बीच के समय में
Satish Chandra
.... कुछ नहीं करना कुछ है करना आपस में नहीं भिड़ना पर आपस में है लड़ना हम यूँ ही जीते या मरते रह जाएँगे पर हाँ, कुछ कहते हैं न बनने देंगे मंदिर व
Ravi Kumar Panchwal
चादर चढ़ाने से या गंगा नहाने से, मन साफ नहीं होगा। धर्मों कि आड़ में दानपेटियाँ बनानेवालों, दरबार जब भरेगा तुम्हारा इंसाफ नहीं होगा। ग़रीब को लाचार समझते हो, समझो। आस्था को व्यापार समझते हो, समझो। जन्नत की आड़ में बंदूकें उगानेवालों, उसकी लाठियां जब पड़ेगी तुम्हारा हिसाब नहीं होगा। चादर चढ़ाने से या गंगा नहाने से, मन साफ नहीं होगा। रविकुमार चादर चढ़ाने से या गंगा नहाने से, मन साफ नहीं होगा। धर्मों कि आड़ में दानपेटियाँ बनानेवालों, दरबार जब भरेगा तुम्हारा इंसाफ नहीं होगा। ग़रीब को ल
पण्डित राहुल पाण्डेय
🍃🌾😊 *एक बात सदा याद रखें कि आपके अच्छे और बुरे कर्मों का फल।। आपको ही भुगतना पड़ेगा। कोई आपको बचाने नहीं आयेगा।। किस की राह देख रहे हैं, कोई नहीं आएगा। न कभी कोई आया है, न आएगा।। बंद कीजिये यह झूठी आशा। आप ही हैं, आप ही आए, आप ही गए।। और कोई नहीं आया। अच्छा और बुरा दोनों आपने ही किया। लेकिन जिम्मेवारी आत्यंतिक है।। कोई इसमें भागीदार नहीं हो सकता। परमात्मा के कंधों पर रखकर बंदूकें मत चलाओ।।* *!! हरि ॐ !!* 🙏 ©पण्डित राहुल पाण्डेय 🍃🌾😊 *एक बात सदा याद रखें कि आपके अच्छे और बुरे कर्मों का फल।। आपको ही भुगतना पड़ेगा। कोई आपको बचाने नहीं आयेगा।। किस की राह देख रहे हैं, कोई
सोमेश त्रिवेदी
दौड़ पड़े हैं पत्थर लेकर ज़हनी आंख के अंधे लोग, जिनके सहारे दगती बंदूकें बने हैं वैसे कंधे लोग। हाथों में लिये मशाल खड़े हैं कुछ हाथों में खंजर हैं, दीन को अपने उपजा खतरा झूठे डर के मंजर हैं। तन गोरा मन काला जिनका, बनते खुदा के बंदे लोग। सन्नाटे का शोर सुनो तुम चाहो तो कुछ और सुनो तुम, तुमने भी पूजा होगा बुत कोई था ऐसा कोई दौर सुनो तुम। ईमान की कसमें खाते जी भर करते हैं गोरख धंधे लोग, दौड़ पड़े हैं पत्थर लेकर जहनी आंख के अंधे लोग। #सोमेशत्रिवेदी *ज़हनी आंख के अंधे लोग* दौड़ पड़े हैं पत्थर लेकर ज़हनी आंख के अंधे लोग, जिनके सहारे दगती बंदूकें बने हैं वैसे कंधे लोग।