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kalam

अल्फा नही दे पता #कविता

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Ajay Prakash

हर रोज़ - अल्फा #शायरी

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Inder mighty

खामोशी में कुछ कहे नहीं सका अल्फा जो को वह पड ना सका बोलू तो कैसे बोलु मै उससे कुछ कहे नहीं सका #शायरी

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Kajori Parial

260/366 *सीरियस = Sirius *अल्फा सेंटौरी = Alpha centauri are the two stars even farther than the Sun. kajori_thephoenix buddymantra your

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~~~ अपना आसमान ~~~

किसी और के कदम से 
अपने आसमान का ऊंचाई न नापो,
तुम्हारे रास्ते में शायद पकदंडिया कुछ ज्यादा हो, 
कुछ ज्यादा चढ़ाई हो।

पर क्या पता, 
तुम्हारे आसमान को रोशन करता सूरज नहीं, 
शायद सिरियस* या अल्फा सेंटौरी* हो। 260/366
*सीरियस  = Sirius
*अल्फा सेंटौरी = Alpha centauri are the two stars even farther than the Sun.
#kajori_thephoenix #buddymantra #your

Johny D souza

अल्फा जी शुक्रिया कैसे अदा करूं यह मेरे मौला तूने मुझे उस आखिरत से नवाजा है मैं यह नहीं कहता कि मुकद्दर मेरा गुलाम है लेकिन मैं गुलाम मुस्तफ #nojotophoto

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 अल्फा जी शुक्रिया कैसे अदा करूं यह मेरे मौला तूने मुझे उस आखिरत से नवाजा है मैं यह नहीं कहता कि मुकद्दर मेरा गुलाम है लेकिन मैं गुलाम मुस्तफ

सुसि ग़ाफ़िल

सैनिक रहे हैं प्रेम के पुजारी बंदूक के उठाने से पहले बंदूक के छोड़ने के बाद ठीक इसके बीच के समय में

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सैनिक रहे हैं 
प्रेम के पुजारी 

बंदूक उठाने से पहले 
बंदूक छोड़ने के बाद

ठीक 
इसके बीच के समय में
टूटने  होते  हैं  कई फूल

जिनकी सुगंध के बारे में 
बंदूकें कुछ नहीं जानती | सैनिक रहे हैं 
प्रेम के पुजारी 

बंदूक के उठाने से पहले 
बंदूक के छोड़ने के बाद

ठीक 
इसके बीच के समय में

Satish Chandra

कुछ नहीं करना कुछ है करना आपस में नहीं भिड़ना पर आपस में है लड़ना हम यूँ ही जीते या मरते रह जाएँगे पर हाँ, कुछ कहते हैं न बनने देंगे मंदिर व #yqdidi #मज़हब #SattyThoughts

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.... कुछ नहीं करना
कुछ है करना
आपस में नहीं भिड़ना
पर आपस में है लड़ना
हम यूँ ही जीते या मरते रह जाएँगे
पर हाँ, कुछ कहते हैं न बनने देंगे मंदिर व

Ravi Kumar Panchwal

चादर चढ़ाने से या गंगा नहाने से, मन साफ नहीं होगा। धर्मों कि आड़ में दानपेटियाँ बनानेवालों, दरबार जब भरेगा तुम्हारा इंसाफ नहीं होगा। ग़रीब को ल

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चादर चढ़ाने से या गंगा नहाने से,
मन साफ नहीं होगा।
धर्मों कि आड़ में दानपेटियाँ बनानेवालों,
दरबार जब भरेगा तुम्हारा इंसाफ नहीं होगा।

ग़रीब को लाचार समझते हो, समझो।
आस्था को व्यापार समझते हो, समझो।
जन्नत की आड़ में बंदूकें उगानेवालों,
उसकी लाठियां जब पड़ेगी तुम्हारा हिसाब नहीं होगा।

चादर चढ़ाने से या गंगा नहाने से, मन साफ नहीं होगा।

रविकुमार चादर चढ़ाने से या गंगा नहाने से,
मन साफ नहीं होगा।
धर्मों कि आड़ में दानपेटियाँ बनानेवालों,
दरबार जब भरेगा तुम्हारा इंसाफ नहीं होगा।
ग़रीब को ल

पण्डित राहुल पाण्डेय

🍃🌾😊 *एक बात सदा याद रखें कि आपके अच्छे और बुरे कर्मों का फल।। आपको ही भुगतना पड़ेगा। कोई आपको बचाने नहीं आयेगा।। किस की राह देख रहे हैं, कोई #विचार

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🍃🌾😊
*एक बात सदा याद रखें कि आपके अच्छे और बुरे कर्मों का फल।। आपको ही भुगतना पड़ेगा। कोई आपको बचाने नहीं आयेगा।। किस की राह देख रहे हैं, कोई नहीं आएगा। न कभी कोई आया है, न आएगा।। बंद कीजिये यह झूठी आशा। आप ही हैं, आप ही आए, आप ही गए।। और कोई नहीं आया। अच्छा और बुरा दोनों आपने ही किया। लेकिन जिम्मेवारी आत्यंतिक है।। कोई इसमें भागीदार नहीं हो सकता। परमात्मा के कंधों पर रखकर बंदूकें मत चलाओ।।*
           *!! हरि ॐ !!*
                  🙏

©पण्डित राहुल  पाण्डेय 🍃🌾😊
*एक बात सदा याद रखें कि आपके अच्छे और बुरे कर्मों का फल।। आपको ही भुगतना पड़ेगा। कोई आपको बचाने नहीं आयेगा।। किस की राह देख रहे हैं, कोई

सोमेश त्रिवेदी

*ज़हनी आंख के अंधे लोग* दौड़ पड़े हैं पत्थर लेकर ज़हनी आंख के अंधे लोग, जिनके सहारे दगती बंदूकें बने हैं वैसे कंधे लोग। #कविता #सोमेशत्रिवेदी

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दौड़ पड़े हैं पत्थर लेकर
ज़हनी आंख के अंधे लोग,
जिनके सहारे दगती बंदूकें
बने हैं वैसे कंधे लोग।
हाथों में लिये मशाल खड़े हैं
कुछ हाथों में खंजर हैं,
दीन को अपने उपजा खतरा
झूठे डर के मंजर हैं।
तन गोरा मन काला जिनका,
बनते खुदा के बंदे लोग।
सन्नाटे का शोर सुनो तुम
चाहो तो कुछ और सुनो तुम,
तुमने भी पूजा होगा बुत कोई
था ऐसा कोई दौर सुनो तुम।
ईमान की कसमें खाते जी भर
करते हैं गोरख धंधे लोग,
दौड़ पड़े हैं पत्थर लेकर
जहनी आंख के अंधे लोग।

#सोमेशत्रिवेदी *ज़हनी आंख के अंधे लोग*

दौड़ पड़े हैं पत्थर लेकर
ज़हनी आंख के अंधे लोग,

जिनके सहारे दगती बंदूकें
बने हैं वैसे कंधे लोग।
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