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अबोध_मन//फरीदा
अदब में जो मक़ाम "राहत" को मिला हर किसी को मिलना ये आसान थोड़ी है।। यूं तो दुनिया में बहुत से अदबी हैं लेकिन मेरी नज़र में कोई भी उसके शायाने शान थोड़ी है।। राहत इंदौरी (1जनवरी1950-11 अगस्त 2020) श्रद्धांजलि 🌼🙏🏼 ©अबोध_मन//फरीदा #अबोध_मन #राहतइंदौरी #श्रद्धांजलि #शायरी #अदबी
Krity_cism
जब तलक हुस्न हु, हुस्न रहने दीजिए। जब तलक इश्क़ हु, इश्क़ रहने दीजिए। मदहोश हो आप, गिर जाये ज़मी पर.. उसे शबाब समझिए, उसे जाम रहने दीजिए। हो गयी लबो से, बेलब अगर.. हुस्न इश्क़ से आगे बढ़ गयी.. सर ऊपर आसमान, पैर तलक धरती, दोनों से धो बैठोगे हाथ। हुस्न हु जब तलक, जनाब हुस्न रहने दीजिए। अदबी हुस्न #nojotohindi #poetry #thought #society
Ajay Bishwas
पिता! तुम ज़िन्दगी की किताब हो मुश्किल है तुझे देखना लफ़्ज़-लफ़्ज़ में, हर्फ़-हर्फ़ में मेरी यादों के पट्टे पर नक़्श हैं क़िस्से तेरे इशारों के तेरे अल्फ़ाज़ में टटोलता हूँ हुनर-ए-परवाज़ पिता # पिता! यादों में महफ़ूज़ है तेरा अदबी रंग
VEER NIRVEL
सिर्फ़ एक शख्स को ही इजाज़त है बे-अदबी की, वरना सख़्त नफ़रत है "तुम" कह कर बात करने वालो से.. #𝙲𝚑𝚊𝚒_𝙻𝚘𝚟𝚎𝚛 ©VEER NIRVEL सिर्फ़ एक शख्स को ही इजाज़त है बे-अदबी की, वरना सख़्त नफ़रत है "तुम" कह कर बात करने वालो से.. #𝙲𝚑𝚊𝚒_𝙻𝚘𝚟𝚎𝚛
Megi Asnnani
Tomorrow at jabalpur ©Megi Asnnani संस्कारधानी जबलपुर की अदबी तंज़ीम और Youtube चैनल 'हम सब' के ज़ेरे एहतमाम डॉ राहत इन्दौरी साहब की याद में कल शाम 6 बजे.. Tomorrow at Jabalpu
Dr. Shakuntala Sarupariya
अरफ़ान भोपाली
#दर्द दिल तो कागज़ों का भी दहल जाता होगा जिनसे अख़बार बनता होगा जब उन पर किसी बेबस बच्ची या औरत का दर्द लिखा जाता होगा हर सुबह पढ़कर अख़बार दिल दहल जाता है जब देखता हूँ बच्चों के साथ बे-अदबी तो गुस्से में उबल जाता हूँ #सुबह #अखबार #बच्चे #गुस्सा #दिल #newspepa
Archita Singh
सोचती हूँ कभी कभी , तेरे नाम की स्याही भर कर, उतार दूँ तुझे कागज पर।। At caption👇 सोचती हूँ कभी कभी , तेरे नाम की स्याही भर कर, उतार दूँ तुझे कागज पर।। ऐसा लिखो तेरे नाम से, तेरी तारीफ मे कुछ ऐसा कह जाओ, तुझे न जानने वाले
Aprasil mishra
मिलता नहीं है मांगने से हक़ जहान में, आकर न लड़े ख़ुद के लिए क्या करेंगे लोग. हर बार दग़ा देती रही कौम-ए-सियासत, बदलेंगे नहीं इसको अगर क्या करेंगे लोग. इतिहास बताती हैं इदारों की हक़ीक़त, पर्दे हटायेंगे नहीं क्या करेंगे लोग. चल पड़े हैं लोग जो तक़दीर बदलने, साथ नहीं पाये अगर क्या करेंगे लोग. वक़्त पे जो बदली नहीं तख़्त-ए-सियासत, फिर क़ब्र खुदायेंगे नहीं क्या करेंगे लोग. शोलों को हवा देनी नहीं चाहिए थी कल, आग लगायेंगे नहीं क्या करेंगे लोग. मिलता नहीं है मांगने से हक़ जहान में, आकर न लड़े ख़ुद के लिए क्या करेंगे लोग. हर बार दग़ा देती रही कौम-ए-सियासत, बदलेंगे नहीं इ