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Pragya Amrit
Mumbai Rains बारिश की बूंदे होती ना कभी अजनबी, बचपन की किलकारी से बुढ़ापे की दहलीज तक। मिलती हर बरस उसी अंदाज में , मनचली, अल्हड़ सी कोई सहेली। भिगोती नहीं सिर्फ काया को, रूह तक जज्ब हो बूंदों से। आती और यादों का कारवां बनाती, हर बरस कुछ लम्हा जीने को , नहीं ये तो संदेश लाती , तुम भी बरसो झूम के ना बनो अजनबी, बचपन से बुढ़ापे तक समभाव लाओ, मिलो उसी अंदाज में, मनचली,अल्हड़ सी तुम भी सखी, रिश्ते जोड़ो तुम सदा बस रूह से, दिल तो भर जाएगा ये तो झील हैं, रूह के रिश्ते जुड़े वहीं मील हैं। #संदेश बारिश की बूंदों का।
haryana आले
काश!! "इन बारिश की बूंदों की तरह वो याद भी मीट जाए " "जो उन हसीन पलों की याद दिलाती हैं,, ©haryana staff #Feel बारिश की बूंदों का एहसास 😌
Rajshi Raj
तेरे बिन जीने की आदत तो डाल ली हमने पर कम्बख्त तेरी यादें जीने नहीं देती तू जो बारिश की बूंदों सा बसा है मेरे रोम रोम में ये मुझे मरने भी नहीं देती। #बारिश की बूंदों सा
Abhishek Singh
बारिश की बूंदों की तरह रोना है मुझे, ज़हर जाम का पीना है मुझे, क्या करूं इतना टूट गया है , किस-किस के लिए ही रोना है मुझे। बारिश की बूंदों की तरह रोना है मुझे
Akriti Singh
कितने अजीब होते है ये बादल भी बहुत कुछ बोलते है, लेकिन हर कोई समझता नहीं न........ चाहे जितना भी पाने की कोशिश कर लो इसे .. .......: पर जितना इसके पास जाना चाहो ये उतना ही दूर नजर आता है, लेकिन ये उम्मीद भी नहीं टूटने देता की इसे हम पा नहीं सकते बस एक समान दूरी बनाए रहता है, फिर भी उन बारिशों की बूंदों को देखो कितना प्यार है उसे धरती से...... तभी तो इतनी दूरी के बाद भी अपने प्यार के पास आ ही जाती है, kisi ko samjhna यूं आसान नहीं होता है...... समझने के लिए उसी में टूटना पड़ता है जैसे बारिश की बूंदे....... vaise bura बादल भी नहीं क्युकी वो पास तो नहीं आता लेकिन ये हमेशा महसूस कराता है कि हम अकेले नहीं वो हमेशा साथ है हमारे ।। ✍️..................by ❣️Akriti Singh❣️ #barish ki boondo sa isq.... # badal ke jaise sath....... #☕ बारिश की बूंदों sa isq......by..A.S. #clouds
Tanha Shayar hu Yash
Nozoto love
बरसात वर्षा की बूंदों सी तुम मुझे लगती हो, सावन में हल्की धूप सी तुम खिलती हो, लगती हैं ऐसी मुझे तेरे होठों की हंसी, बूंदो की जैसी कोई हो फुरफुरी, वर्षा की बूंदो सी तुम मुझे लगती हो, ओढ़ के तुम रिमझिम की चादर, फुआरो की तरह तुम खिलखिलिया करोगी तुम लगता हैं मुझे हर दिन तुम बारिश में ही बुलाया करोगी बोलोगी कभी इतराके कभी खिलखिला के छतरी की मुझको क्या है पड़ी वर्षा की बूंदो सी तुम मुझे लगती हो, यह रिमझिम बारिश युही बरशती रहे यह सावन युही गूँजता रहे बारिश जैसा आनंद कहा नाले नदियों बहने लगती हैं बारिश के बाद गाँवो में हरियाली से खेत खिलने लगते हैं। आ जाहो तुम मेरी बाहों में चादर ओढ़ कर चलते बार वर्षा की बूंदो सी तुम लगती हो शंकर आँजणा नवापुरा धवेचा बागोड़ा जालोर ©Shankar Aanjna बारिश की बूंदों सी तुम मुझे लगती हो #Rose