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Vrishali G

एक वार पंखा वरूनी फीरो तुझा हात. सुधिर फडके.. गदिमा
माझा एक प्रयत्न

एक वार पंखा वरूनी फीरो तुझा हात. सुधिर फडके.. गदिमा माझा एक प्रयत्न #मराठीशायरी

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Vrishali G

एक वार पंखा वरूनी फीरो तुझा हात. सुधिर फडके.. गदिमा
माझा एक प्रयत्न

एक वार पंखा वरूनी फीरो तुझा हात. सुधिर फडके.. गदिमा माझा एक प्रयत्न #कविता

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Vrishali G

एक वार पंखा वरूनी फीरो तुझा हात. सुधिर फडके.. गदिमा
माझा एक प्रयत्न

एक वार पंखा वरूनी फीरो तुझा हात. सुधिर फडके.. गदिमा माझा एक प्रयत्न #मराठीकविता

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Vrishali G

तुला पाहते रे तुला पाहते
चित्रपट जगाच्या पाठीवर
आशा भोसले गदिमा आणि सुधिर फडके

तुला पाहते रे तुला पाहते चित्रपट जगाच्या पाठीवर आशा भोसले गदिमा आणि सुधिर फडके #मराठीशायरी

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नितिन कुमार 'हरित'

सबकी अपनी अपनी दुनिया
सबकी अपनी अपनी सोच,
कोई रहता चुप चुप गुमसुम,
कोई करता नित उदघोष ।

कोई हंसता कोई रोता,
कोई रहता नित अतिशान्त,
सबकी अपनी अपनी बोली,
सबके अपने अपने प्रांत ।

स्वप्न अलग हैं, भाव अलग हैं,
किंतु जैसे रुधिर रंग एक ,
एक ही रखना अपनी माटी,
देश प्रेम में सब संग एक ।।

follow@aaina.nkharit

- Nitin Kr Harit सबकी अपनी अपनी दुनिया
सबकी अपनी अपनी सोच,
कोई रहता चुप चुप गुमसुम,
कोई करता नित उदघोष ।
कोई हंसता कोई रोता,
कोई रहता नित अतिशान्त,
सबकी अपनी

सबकी अपनी अपनी दुनिया सबकी अपनी अपनी सोच, कोई रहता चुप चुप गुमसुम, कोई करता नित उदघोष । कोई हंसता कोई रोता, कोई रहता नित अतिशान्त, सबकी अपनी #India #Hope #Country #UNITY #विचार #nkharit

32 Love

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Nitin Kr Harit

सबकी अपनी अपनी दुनिया
सबकी अपनी अपनी सोच,
कोई रहता चुप चुप गुमसुम,
कोई करता नित उदघोष ।
कोई हंसता कोई रोता,
कोई रहता नित अतिशान्त,
सबकी अपनी अपनी बोली,
सबके अपने अपने प्रांत ।
स्वप्न अलग हैं, भाव अलग हैं,
किंतु जैसे रुधिर रंग एक ,
एक ही रखना अपनी माटी,
देश प्रेम में सब संग एक ।।
follow@aaina.nkharit सबकी अपनी अपनी दुनिया
सबकी अपनी अपनी सोच,
कोई रहता चुप चुप गुमसुम,
कोई करता नित उदघोष ।
कोई हंसता कोई रोता,
कोई रहता नित अतिशान्त,
सबकी अपनी

सबकी अपनी अपनी दुनिया सबकी अपनी अपनी सोच, कोई रहता चुप चुप गुमसुम, कोई करता नित उदघोष । कोई हंसता कोई रोता, कोई रहता नित अतिशान्त, सबकी अपनी #yqdidi #YourQuoteAndMine

0 Love

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Saurabh Upadhyay

वो रमां रही महलों में मन को
मैं बिता रहा वन में जीवन
(शेष अनुशीर्षक में) 
मैं मरु में भटके पथिक की प्यास
वो मधु का करती हुई विलास
वो कल कल कर बहती दरिया 
मैं छुद्र थमा पानी का जरिया
मैं राख लपेटे मस्त मगन
वो मखमल

मैं मरु में भटके पथिक की प्यास वो मधु का करती हुई विलास वो कल कल कर बहती दरिया मैं छुद्र थमा पानी का जरिया मैं राख लपेटे मस्त मगन वो मखमल #प्रेम #yqbaba #hindipoetry #yqdidi #lovepoem #yqhindi #aestheticthoughts

0 Love

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Pushpvritiya

कहते हैं पिता उस दानी को
समसुप समान हृदय होगा,
प्राण प्रिय सुता बिन उसका,
कैसा अरूणोदय होगा......

कि बीज दिया और लहू भी
और स्वेद भी और नीर भी,
और स्वांस भी दी होगी अवश्य 
इसमें न कोई संशय होगा......

फिर क्यूं तुमने जीवन देकर,
यूं जड़ता का मान किया,
हे पिता...यूं निज सुता का,
ऐसा कन्यादान किया........

कि धिक्कारों में सो लेगी,
वो हाहाकार में डोलेगी,
और पिता से बोलेगी.........
   
कि रूधिर भी था और स्वांस भी,
अस्थियां और मास भी.......

जीवन होकर भी प्राण विहीन,
ऐसी क्यूं मैं मानी गई,
क्यूं शास्त्रार्थ तुम्हारे में,
मैं मानुष न जानी गई......

कि अस्थियां भी टूट रही,
मास देह भी छोड़ रहा,
बहा रूधिर कईयों दशक,
और स्वांस स्वांस को जोड़ रहा.....

तुम नभ मेरा आधार भी थे,
अब मैं हूं आधार बिना,
अब आओ भी तो धन लेकर 
धन देकर ही जल पीना.............

तेरे वचनों की अस्तु थी,
क्या मैं दान की वस्तु थी...........

अवमान जीया,अपमान पीया
निज को जीवित समशान किया,
और हे पिता कहो निज सुता का 
क्यूं ऐसा कन्यादान किया..........
               @पुष्पवृतियां






.

©Pushpvritiya #दानकीवस्तु 

कहते हैं पिता उस दानी को
समसुप ही हृदय होगा,
प्राण प्रिय सुता बिन उसका,
कैसा अरूणोदय होगा......

कि बीज दिया और लहू भी

#दानकीवस्तु कहते हैं पिता उस दानी को समसुप ही हृदय होगा, प्राण प्रिय सुता बिन उसका, कैसा अरूणोदय होगा...... कि बीज दिया और लहू भी

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Kautilya

ऐंठन क्यों होती है?
 
 ऐंठन विशेष रूप से पैर, उंगलियों और पिंडलियों की मांसपेशियों में आम है।  शारीरिक रूप से, ऐंठन परिसंचरण संबंधी विकारों या शारीरिक परिश्रम के कारण होने वाली मांसपेशियों का अचानक संकुचन और ऐंठन है।
 
 ऐंठन का बार-बार होने वाला कारण गर्भपात करने वाली हरकत या नीरस दोहराव वाली हरकत हो सकता है।  ऐसी ऐंठन उन लोगों में विकसित होती है जो पीसी पर बहुत अधिक टाइप करते हैं या कंप्यूटर माउस के साथ खेलते हैं, अपने पैरों पर काम करते हैं, या गहन व्यायाम करते हैं।
 
 पैरों में ऐंठन अक्सर शरीर में कैल्शियम और पोटेशियम लवण की कमी के कारण होती है।  यह अक्सर गहन व्यायाम, मूत्रवर्धक लेने और निर्जलीकरण के साथ होता है।

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©Kautilya 
  #happykarwachauth ऐंठन क्यों होती है?
 
 ऐंठन विशेष रूप से पैर, उंगलियों और पिंडलियों की मांसपेशियों में आम है।  शारीरिक रूप से, ऐंठन परिसंच

#happykarwachauth ऐंठन क्यों होती है? ऐंठन विशेष रूप से पैर, उंगलियों और पिंडलियों की मांसपेशियों में आम है। शारीरिक रूप से, ऐंठन परिसंच #जानकारी

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संवेदिता "सायबा"

कविता
मन विमोहन नगर की ये संवेदिता।
गुनगुनाती है जीवन की गोपन कथा।
चंद शब्दों व छंदों का आश्रय लिए।
भाव अविरल है उन्मुक्त सी "कविता"।

एक सा

कविता मन विमोहन नगर की ये संवेदिता। गुनगुनाती है जीवन की गोपन कथा। चंद शब्दों व छंदों का आश्रय लिए। भाव अविरल है उन्मुक्त सी "कविता"। एक सा #Poetry #WorldPoetryDay #nojotohindi #hindipoetry #worldpoetryDay2023

287 Views

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vasundhara pandey


 यूँ तो लिखते हैं न कितने,
शिज़िर और साज़ पर,
लिख गये कुछ कर गये नाम,
अमर भारत मात पर।
मिट गये कितने न जाने,
कुर्बां हुये वंदे मातरम् के नाम पर।
 
वंदे मातरम् । 🇮🇳 यूँ तो लिखते हैं न कितने,
शिज़िर और साज़ पर,
लिख गये कुछ कर गये नाम,
अमर भारत मात पर।
मिट गये कितने न जाने,
कुर्बां हुये वंदे मातरम् के नाम

यूँ तो लिखते हैं न कितने, शिज़िर और साज़ पर, लिख गये कुछ कर गये नाम, अमर भारत मात पर। मिट गये कितने न जाने, कुर्बां हुये वंदे मातरम् के नाम #yqdidi #VandeMatram #yqquotes #yqpoetry #bankimchandrachattopadhyay

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Ankit Srivastava

ओये ....
मेरी Lifeline ❤️, गुलाबो

तुम्हारी ख़ामोशीयाँ,
सबसे ज़्यादा कोलाहल करती है मेरे मन में,
(Read in caption) ओये ...
मेरी Lifeline ❤️, गुलाबो

तुम्हारी ख़ामोशीयाँ,
सबसे ज़्यादा कोलाहल करती है मेरे मन में,

मैं ख़ाली हो जाता हूँ,
मेरी सांसे मुझमें गूं

ओये ... मेरी Lifeline ❤️, गुलाबो तुम्हारी ख़ामोशीयाँ, सबसे ज़्यादा कोलाहल करती है मेरे मन में, मैं ख़ाली हो जाता हूँ, मेरी सांसे मुझमें गूं

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Rishika Srivastava "Rishnit"

सुहावन आज राम जन्म की बेला है, घर घर में विश्वास भाव का मेला है
राम रहे सदैव कर्तव्य समर्पित, कर्म पथ रहा राम का अलबेला है
बाल रूप जन जन नयन निहारे, शैशव मे ही निशाचर अति संहारे
शिव धनुष भंग कर जनक सुता से व्याहे, राजमहल ऐश्वर्य छोड़,वन गमन सिधारे
विप्र,धेनु सुर, संत हित वचन उचारे, निषाद राज शबरी का सम्मान किया,
खर दूषण मारे
स्वर्ण मृग मोह हुआ सीता को,श्रीराम ने मारीच सहित अन्य असुर उद्धारे
छद्म रूप धारण किए दशानन खड़ा हुआ था द्वारे
लक्ष्मण रेखा लाॅ॑घ शक्ति ने , किया सुनिश्चित रावण वध था
जटायु, सुग्रीव,अंगद, हनुमान, विभीषण के राम वने सहारे
सभी दुष्ट दानवों का दर्प हरा,जो थे रावण को अति प्यारे
राम हमारी मर्यादा हैं, राम सदा हमारे आदर्श रहे
श्वांस श्वांस में राम समाये, राम नाम का रुधिर बहे

           जय जय श्री राम

©Rishnit सुहावन आज राम जन्म की बेला है

घर घर में विश्वास भाव का मेला है

राम रहे सदैव कर्तव्य समर्पित

कर्म पथ रहा राम का अलबेला है

सुहावन आज राम जन्म की बेला है घर घर में विश्वास भाव का मेला है राम रहे सदैव कर्तव्य समर्पित कर्म पथ रहा राम का अलबेला है #Poetry #nojotowriters #रामनवमी #जयश्रीराम🚩🙏🚩 #जयमातादी🙏

23 Love

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Priya Kumari Niharika

शीर्षक: लालफीताशाही से दरख्वास्त

निष्पक्ष विचारों का प्रवाह
 एकत्व रुधिर के कण-कण में
 सहयोग का ढूंढो एक वजह
 दृढ़ निश्चय हो अंतर्मन में

 बिन मौसम तुम बरसात बनो
 लाचारों के ख्यालात बनो
  हर ओर निराशा हाथ लगे
 उत्थान की तुम सौगात बनो

 जज्बातों में ना उलझो तुम
 अपने तर्कों से सहमत हो
 हाथों से तेरे मुफलिस के
 निर्मित आशाओं का छत हो

 भीषण संकट की ढाल बनो
 डंके की चोट की ताल बनो
 मानव की रक्षा हेतु तुम
 धरती मैया के लाल बनो

 समझो जन-जन की पीड़ा तुम
 समाधान करो हर संकट का
 लहरों से तुम अब डरो नहीं
 शक्ति समझो तुम कंकट का 

 ऊपरी सतह की सत्ता के
 भय से ना तू रुक पाना अब
 विकसित तू करना राष्ट्र स्वयं
 अवरुद्ध न होंगी रहे तब

 अपनी सत्ता के नीचे की,हर सतह संवारो हाथो से
 विकास नहीं आता , समझे......  नारे लगते हैं बातों से

©verma priya शीर्षक: लालफीताशाही से दरख्वास्त

निष्पक्ष विचारों का प्रवाह
 एकत्व रुधिर के कण-कण में
 सहयोग का ढूंढो एक वजह
 दृढ़ निश्चय हो अंतर्मन में

शीर्षक: लालफीताशाही से दरख्वास्त निष्पक्ष विचारों का प्रवाह एकत्व रुधिर के कण-कण में सहयोग का ढूंढो एक वजह दृढ़ निश्चय हो अंतर्मन में #Love #story #me #Shayari #कविता

42 Love

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प्रशान्त मिश्रा मन

एक गीत!

मैंने सोचा न जिसको कभी होश में,
आज वो स्वप्न बन कर चली आयी है।

मन तृषित हो उठा, कँपकँपाने लगा।
दाँत से उँगलियाँ मैं दबाने लगा।
एषणा थी न जिसकी मुझे वो मिला-
धमनियों में रुधिर लबलबाने लगा।

साँस बढ़ने लगी फिर उसे देख कर-
सज सँवर कर चली, मनचली! आयी है।
आज वो स्वप्न बन कर चली आयी है।

छू रही वो मुझे मैंने उसको छुआ।
एक होने लगा तन मचलता हुआ।
गढ़ रहीं देह पर धड़कनें राग को-
साँस से और ख़ुशियों की माँगी दुआ।

मैं बहकने लगा था भ्रमर की तरह-
जब लगा मेरे घर इक कली आई है।
आज वो स्वप्न बन कर चली आयी है।

प्यास क्या थी.? हमें यह मिलन कह रहा।
मैं धरा शुष्क; उसको गगन कह रहा।
साध कर मौन वो प्रेम बरसा गयी-
तर मुझे कर गयी यह बदन कह रहा।

चूम कर माथ को वो लिपटने लगी-
बन के कोई परी! बावली आई है।
आज वो स्वप्न बन कर चली आयी है।

प्रशांत मिश्रा मन






 #NojotoQuote एक गीत!

मैंने सोचा न जिसको कभी होश में,
आज वो स्वप्न बन कर चली आयी है।

मन तृषित हो उठा, कँपकँपाने लगा।
दाँत से उँगलियाँ मैं दबाने लगा।
एषण

एक गीत! मैंने सोचा न जिसको कभी होश में, आज वो स्वप्न बन कर चली आयी है। मन तृषित हो उठा, कँपकँपाने लगा। दाँत से उँगलियाँ मैं दबाने लगा। एषण

4 Love

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Vikrant Rajliwal

उदास बूंद की कहानी 💧 II NEW BAAL GEET II Hindi Baby Rhymes 

AUTHOR POET: VIKRANT RAJLIWAL

    एक छोटी सी बूंद बारिश के बाद नदी में गिरती ह

उदास बूंद की कहानी 💧 II NEW BAAL GEET II Hindi Baby Rhymes AUTHOR POET: VIKRANT RAJLIWAL एक छोटी सी बूंद बारिश के बाद नदी में गिरती ह #Motivation #Inspiration #nevergiveup #newsong #प्रेरक #chuchutoons #VikranRajliwal #UdaasBundKiKahani #उदासबुंद #JourneyOfStrength #EmbraceYourPower

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Vikrant Rajliwal

उदास बूंद की कहानी 💧 II NEW BAAL GEET II Hindi Baby Rhymes 

AUTHOR POET: VIKRANT RAJLIWAL

    एक छोटी सी बूंद बारिश के बाद नदी में गिरती ह

उदास बूंद की कहानी 💧 II NEW BAAL GEET II Hindi Baby Rhymes AUTHOR POET: VIKRANT RAJLIWAL एक छोटी सी बूंद बारिश के बाद नदी में गिरती ह #nevergiveup #newsong #SelfDiscovery #प्रेरक #InnerStrength #chuchutoons #VikranRajliwal #UdaasBundKiKahani #उदासबुंद #JourneyOfStrength #EmbraceYourPower

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Writer1

प्यार भरे,
इस रुचिर पलों में,
आओ हम तुम,
 यूँ खो जाएं,
तुम रहो ना तुम,
हम तुम हो जाए। ♥️हिन्दी एरोटिका (age:21+ only).
Dear writer ..upload erotica / romantical quote on Instagram and tag tanharaatein09 for worldwide appreciat

♥️हिन्दी एरोटिका (age:21+ only). Dear writer ..upload erotica / romantical quote on Instagram and tag tanharaatein09 for worldwide appreciat #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #collabwithतन्हा_रातें #एक_गुलनार #tanharaatein_erotica #ekgulnaar_lovequotes #रुचिर

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Neha Pathak

ऐसे तो तू बिन श्रृंगार के भी जचती है! 
रुचिर तेरे सादगी में झलकती है! 
उसपर ये झुकी पलकों के नीचे चमकती बिंदिया "वाह' क्या शोर मचाती है! 
तेरी कानों की बालियां झूमती मुस्काती है जब तू शर्माते हुए नज़रे झुकाती है! 
सच कहूँ, जब तू ऐसे सज सवर कर निकलती है, 
सुबह-ओ-शाम में चार चांद लगाए, एक ख़ुदा सी दिखती है!  ♥️हिन्दी एरोटिका (age:21+ only).
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♥️हिन्दी एरोटिका (age:21+ only). Dear writer ..upload erotica / romantical quote on Instagram and tag tanharaatein09 for worldwide appreciat #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #collabwithतन्हा_रातें #एक_गुलनार #tanharaatein_erotica #ekgulnaar_lovequotes #रुचिर

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Vikas Sharma Shivaaya'

ॐ नमो नीलकण्ठाय।


“मुख दधि लेप किए सोभित कर नवनीत लिए-घुटुरुनि चलत रेनु तन मंडित मुख दधि लेप किए।

चारु कपोल लोल लोचन गोरोचन तिलक दिए-लट लटकनि मनु मत्त मधुप गन मादक मधुहिं पिए।

कठुला कंठ वज्र केहरि नख राजत रुचिर हिए-धन्य सूर एकौ पल इहिं सुख का सत कल्प जिए। “


कृष्ण के बचपन के बारे में बताया गया है कि जब वह छोटे थे, तब वे अपने घुटनों के बल चल रहे थे। उसने हाथों में ताजा मक्खन लिया और उसका पूरा शरीर कीचड़ से ढक हुआ है। उनके चेहरे पर दही हैं। उसके उभरे हुए गाल बहुत प्यारे लगते हैं और उसकी आँखें चंचल हैं। कान्हा के माथे पर गोरोचन का तिलक है। उसके बाल घुंघराले और लंबे हैं जो चलते समय उसके गाल पर आ जाते हैं और ऐसा लग रहा है कि भावरा रस पीने के लिए इधर-उधर भटक रही है। कान्हा के गले में पड़ा हार और शेर का नाखून उनकी सुंदरता में इजाफा करता है। अगर किसी को कृष्ण के इस सुंदर रूप के दर्शन हो जाएं, तो उसका जीवन सफल हो जाता है। अन्यथा, सौ दोषियों के लिए भी जीवन व्यर्थ है।


🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' ॐ नमो नीलकण्ठाय।


“मुख दधि लेप किए सोभित कर नवनीत लिए-घुटुरुनि चलत रेनु तन मंडित मुख दधि लेप किए।

चारु कपोल लोल लोचन गोरोचन तिलक दिए-लट लट

ॐ नमो नीलकण्ठाय। “मुख दधि लेप किए सोभित कर नवनीत लिए-घुटुरुनि चलत रेनु तन मंडित मुख दधि लेप किए। चारु कपोल लोल लोचन गोरोचन तिलक दिए-लट लट #समाज

7 Love

db1c61b6e04f194b06b4c7a97d5ea114

atrisheartfeelings

मसक समान रूप कपि धरी। लंकहि चलेउ सुमिरि नरहरी॥
नाम लंकिनी एक निसिचरी। सो कह चलेसि मोहि निंदरी॥
जानेहि नहीं मरमु सठ मोरा। मोर अहार जहाँ लगि चोरा॥
मुठिका एक महा कपि हनी। रुधिर बमत धरनीं ढनमनी॥
पुनि संभारि उठी सो लंका। जोरि पानि कर बिनय ससंका॥
जब रावनहि ब्रह्म बर दीन्हा। चलत बिरंच कहा मोहि चीन्हा॥
बिकल होसि तैं कपि कें मारे। तब जानेसु निसिचर संघारे॥
तात मोर अति पुन्य बहूता। देखेउँ नयन राम कर दूता॥

तात स्वर्ग अपबर्ग सुख धरिअ तुला एक अंग।
तूल न ताहि सकल मिलि जो सुख लव सतसंग॥ #sundarkand #sunderkand #ananttripathi #atrisheartfeelings #devotional #goodmorning 

मसक समान रूप कपि धरी। लंकहि चलेउ सुमिरि नरहरी॥
नाम लंक

#Sundarkand #Sunderkand #ananttripathi #atrisheartfeelings #Devotional #GoodMorning मसक समान रूप कपि धरी। लंकहि चलेउ सुमिरि नरहरी॥ नाम लंक

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Vikas Sharma Shivaaya'

🙏सुन्दरकांड🙏
दोहा – 3
हनुमानजी छोटा सा रूप धरकर लंका में प्रवेश करने का सोचते है
पुर रखवारे देखि बहु कपि मन कीन्ह बिचार।
अति लघु रूप धरों निसि नगर करौं पइसार ॥3॥
हनुमानजी ने बहुत से रखवालो को देखकर मन में विचार किया की मै छोटा रूप धारण करके नगर में प्रवेश करूँ ॥3॥
श्री राम, जय राम, जय जय राम

लंकिनी का प्रसंग और ब्रह्माजी का वरदान
हनुमानजी राम नामका स्मरण करते हुए लंका में प्रवेश करते है
मसक समान रूप कपि धरी।
लंकहि चलेउ सुमिरि नरहरी॥
नाम लंकिनी एक निसिचरी।
सो कह चलेसि मोहि निंदरी॥1
हनुमानजी मच्छर के समान छोटा-सा रूप धारण कर,प्रभु श्री रामचन्द्रजी के नाम का सुमिरन करते हुए लंका में प्रवेश करते है॥लंकिनी, हनुमानजी का रास्ता रोकती हैलंका के द्वार पर लंकिनी नाम की एक राक्षसी रहती थी।हनुमानजी की भेंट, उस लंकिनी राक्षसी से होती है।वह पूछती है कि,
मेरा निरादर करके (बिना मुझसे पूछे) कहा जा रहे हो?

हनुमानजी लंकिनी को घूँसा मारते है
जानेहि नहीं मरमु सठ मोरा।
मोर अहार जहाँ लगि चोरा॥
मुठिका एक महा कपि हनी।
रुधिर बमत धरनीं ढनमनी॥2॥
तूने मेरा भेद नहीं जाना?
जहाँ तक चोर हैं, वे सब मेरे आहार हैं॥
महाकपि हनुमानजी उसे एक घूँसा मारते है,जिससे वह पृथ्वी पर लुढक पड़ती है।

लंकिनी हनुमानजी को प्रणाम करती है
पुनि संभारि उठी सो लंका।
जोरि पानि कर बिनय ससंका॥
जब रावनहि ब्रह्म बर दीन्हा।
चलत बिरंच कहा मोहि चीन्हा॥3॥
वह राक्षसी लंकिनी, अपने को सँभाल कर फिर उठती है और डर के मारे हाथ जोड़ कर हनुमानजी से कहती है॥

लंकिनी, हनुमानजी को, ब्रह्माजी के वरदान के बारे में बताती है
जब ब्रह्मा ने रावण को वर दिया था,
तब चलते समय उन्होंने राक्षसों के विनाश की यह पहचान मुझे बता दी थी कि॥

ब्रह्माजी के वरदान में राक्षसों के संहार का संकेत
बिकल होसि तैं कपि कें मारे।
तब जानेसु निसिचर संघारे॥
तात मोर अति पुन्य बहूता।
देखेउँ नयन राम कर दूता॥4॥
जब तू बंदर के मारने से व्याकुल हो जाए,तब तू राक्षसों का संहार हुआ जान लेना।

हनुमानजी के दर्शन होने के कारण, लंकिनी खुदको भाग्यशाली समझती है
हे तात! मेरे बड़े पुण्य हैं,
जो मैं श्री रामजी के दूत को अपनी आँखों से देख पाई।

विष्णु सहस्रनाम (एक हजार नाम) आज 133 से 143 नाम 
133 लोकाध्यक्षः समस्त लोकों का निरीक्षण करने वाले
134 सुराध्यक्षः सुरों (देवताओं) के अध्यक्ष
135 धर्माध्यक्षः धर्म और अधर्म को साक्षात देखने वाले
136 कृताकृतः कार्य रूप से कृत और कारणरूप से अकृत
137 चतुरात्मा चार पृथक विभूतियों वाले
138 चतुर्व्यूहः चार व्यूहों वाले
139 चतुर्दंष्ट्रः चार दाढ़ों या सींगों वाले
140 चतुर्भुजः चार भुजाओं वाले
141 भ्राजिष्णुः एकरस प्रकाशस्वरूप
142 भोजनम् प्रकृति रूप भोज्य माया
143 भोक्ता पुरुष रूप से प्रकृति को भोगने वाले

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुन्दरकांड🙏
दोहा – 3
हनुमानजी छोटा सा रूप धरकर लंका में प्रवेश करने का सोचते है
पुर रखवारे देखि बहु कपि मन कीन्ह बिचार।
अति लघु रूप धरों नि

🙏सुन्दरकांड🙏 दोहा – 3 हनुमानजी छोटा सा रूप धरकर लंका में प्रवेश करने का सोचते है पुर रखवारे देखि बहु कपि मन कीन्ह बिचार। अति लघु रूप धरों नि #समाज

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Vicky Anand (Captain)

'मेरा मानना है, अमृत कुछ नही बस देवताओं के प्याली की चाय है। और इंसानी दुनियाँ में चाय ही प्रेम का संवाद कर सकती है।'
""मैं चाय प्रेमी हूँ, यक़ीनन आप भी होंगे,
अन्यथा तो आप इस जीवन के महानतम सुख को भोगे बग़ैर ही परलोक सिधार जाएंगे!"
आप सभी को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस की प्याली भर शुभकामनाएं।☕☕...

चाय के साथ-चाय पर विशेष लेख अनुशीर्षक में पढ़े :- - चाय की प्याली उठाते ही अनहद सुकूँ तारी हो जाता है,
शुरुआत आँखों से ही होती है, हर प्यार की तरह।
आज हमारी चुस्की की गुफ़्तगू के इतर होठों ने ब

चाय की प्याली उठाते ही अनहद सुकूँ तारी हो जाता है, शुरुआत आँखों से ही होती है, हर प्यार की तरह। आज हमारी चुस्की की गुफ़्तगू के इतर होठों ने ब #Tea #yqbaba #yqdidi #yqhindi #InternationalTeaDay #yqrestzone #commonwithtea

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Raj Yadav

फैली खेतों में दूर तलक मख़मल की कोमल हरियाली, लिपटीं जिससे रवि की किरणें चाँदी की सी उजली जाली ! तिनकों के हरे हरे तन पर हिल हरित रुधिर ह #Music

फैली खेतों में दूर तलक मख़मल की कोमल हरियाली, लिपटीं जिससे रवि की किरणें चाँदी की सी उजली जाली ! तिनकों के हरे हरे तन पर हिल हरित रुधिर ह #Music

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🇮🇳always_smile11_15

"आखिर क्यूँ "
part-1
(read in caption).... ✍️✍️

©🇮🇳always_smile11_15 कब समझदारी का बोझ हम पे थोपा गया,हमे पता ही नही चला, हर बात पे एक ही जबाब हुआ करता था, अरे कब स्मझोगे तुम अब बच्चे नही रहे।
 इस वाक्य से जीव

कब समझदारी का बोझ हम पे थोपा गया,हमे पता ही नही चला, हर बात पे एक ही जबाब हुआ करता था, अरे कब स्मझोगे तुम अब बच्चे नही रहे। इस वाक्य से जीव

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AB

" विजयदशमी "   #cinemagraph


दशहरा (विजयादशमी या आयुध-पूजा) हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। अश्विन (क्वार) मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन

#cinemagraph दशहरा (विजयादशमी या आयुध-पूजा) हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। अश्विन (क्वार) मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन

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Alok Vishwakarma "आर्ष"

जन्मदिन के शुभ अवसर पर
भेंट स्वरूप
108 पंक्तियों की
यह अनिर्वचनीय व अनुपम कविता "Happy Birthday Dear Vanila"

प्रखर जगती के हित अवकाश में,
तिमिर अज के निमित आकाश में ।
पहर प्रगति के ऋत्य प्रकाश में,
उदय रश्मि सवित निशि न

"Happy Birthday Dear Vanila" प्रखर जगती के हित अवकाश में, तिमिर अज के निमित आकाश में । पहर प्रगति के ऋत्य प्रकाश में, उदय रश्मि सवित निशि न #testimonial

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