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Balram Bathra

मेरे शहर में हल्की - फुल्की, बूंदाबांदी हो रही है.,
लगता है कि, कोई अप्सरा अपने बाल धो रही है..

©Balram Bathra #बूंदाबांदी

Hari Kedia

बूंदाबांदी, नीरज पूरी #WritersMotive #कविता

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Harpinder Kaur

# सर्द हवा की बूंदाबांदी और चाय #Poetry

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आओ न..! 
 इन हसीं वादियों की सर्द बूंदाबांदी
की फिजा़ओं में
एक चाय की प्याली का लुत्फ़ उठाते हैं
कभी तुम, तो कभी हम 
अपने एहसासों की शक्कर इस चाय में मिलाते हैं
आओ, दोनों मिलकर
यादों की इलायची से इस चाय को महकाते हैं
सर्द हवा की इस बूंदाबांदी में 
कुछ प्यार की रंगत चाय में मिलाते हैं
इस चाय की चुस्की और
बारिश की बूंदों में
आओ, हम थोड़ा सा खो जाते हैं

©Harpinder Kaur # सर्द हवा की बूंदाबांदी और चाय

Pankaj Sharma

इस बूंदाबांदी में अब अकेले जीया नहीं जाता तू पास आ जा सनम की अब रहा नहीं जाता

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Tum se ek shikayat hai घूँघट उठा के देख तू पर्दा हटा के देख 
आँखें मिला के देख तू अपना बना के देख 
यह जिन्दगी हसीन हो जायेगी खुद -ब -खुद 
बस एक बार तू  मेरी बाँहों में आ के देख  #NojotoQuote इस बूंदाबांदी में अब अकेले जीया नहीं जाता 
तू पास आ जा सनम की अब रहा नहीं जाता

jeev sanjh iktarfaa

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देव कुमार

बरसात का आलम.... बरसात का आलम जरूर हैं, मगर बूंदाबांदी का नामोनिशान नही, शायद तन्हाई के बादल छठ गए हैं, शायद दिल फिर से गरज़ कर रह गया....!! #shayri

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 बरसात का आलम....

बरसात का आलम जरूर हैं,
मगर बूंदाबांदी का नामोनिशान नही,
शायद तन्हाई के बादल छठ गए हैं,
शायद दिल फिर से गरज़ कर रह गया....!!

Gourav (iamkumargourav)

ये सर्द रात और हल्की बूंदाबांदी आसमान पर लगा बादलों का जमघट घर की दीवारों पर तुम्हारी यादों-सी चढ़ आयी ये सीलन दूर कहीं पार्श्व में बजता 9 #कविता #rainfall

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ये सर्द रात और हल्की बूंदाबांदी
आसमान पर लगा 
बादलों का जमघट
घर की दीवारों पर 
तुम्हारी यादों-सी 
चढ़ आयी ये सीलन
दूर कहीं पार्श्व में बजता
90 के दशक का गीत
और मैं...
अपने सीने से लगाए 
लेटा हूँ एक किताब
जिसमें भरी हैं कई यादें...
कुछ अनकही बातें...
कुछ अधूरे ख़त...
और आँखों के कोर से
ढुलकता हुआ एक मोती
©iamkumargourav

©Gourav (iamkumargourav) ये सर्द रात और हल्की बूंदाबांदी
आसमान पर लगा 
बादलों का जमघट
घर की दीवारों पर 
तुम्हारी यादों-सी 
चढ़ आयी ये सीलन
दूर कहीं पार्श्व में बजता
9

Mohammad Arif (WordsOfArif)

आज हवाओ की तासीर कुछ कम है पता करो रहमत का दरवाजा खुला कम है जो कल तक आँधी की तरह चल रही थी आज क्या हुआ है जो कुछ खुली कम है इस तरह से दि #Love #halat #mausam #mohabbat #yqurdu #tanha #yqlove #Garmi #hawaye #Yqishaq #yqtanha

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आज हवाओ की तासीर कुछ कम है
पता करो रहमत का दरवाजा खुला कम है

जो कल तक आँधी की तरह चल रही थी 
आज क्या हुआ है जो कुछ खुली कम है

इस तरह से दिन भर गर्मी का आलम 
और उसमें थोड़ा बूंदाबांदी बहुत कम है 

क्या हुआ है जो इस तरह मौसम बदल गया 
कहीं कुछ हुआ है मगर यहाँ कुछ कम है

अपने दिल का हाल क्या बतायें जाना
आरिफ ये गर्मी अब भी बहुत कम है #NojotoQuote आज हवाओ की तासीर कुछ कम है
पता करो रहमत का दरवाजा खुला कम है

जो कल तक आँधी की तरह चल रही थी 
आज क्या हुआ है जो कुछ खुली कम है

इस तरह से दि

Vandana

बूंदों ने दस्तक दी है मेरे आंगन में झुलसती गर्मी से कुछ राहत मिली,,,,, आज भरा है आसमान बादलों से काले सफेद बादलों का डेरा है,,,,,, कभी बि #rainyday #feelawesome #feelromantic #happinessworld

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सुप्रभात बूंदों ने दस्तक दी है मेरे आंगन में 
झुलसती गर्मी से कुछ राहत मिली,,,,,

आज भरा है आसमान बादलों से
काले सफेद बादलों का डेरा है,,,,,,

कभी बि

Mohammad Arif (WordsOfArif)

नफरत की बूंदाबांदी फिर से बढ़ने लगी हैं धीरे-धीरे हम भी मुहब्बत की बरसात हमेशा करेगें धीरे-धीरे ये सियासत वाले आपस में ऐसे ही आग लगाते रह #Hindi #Shayari #urdu #Shanti #Arif

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नफरत की बूंदाबांदी फिर से बढ़ने लगी हैं धीरे-धीरे 
हम भी मुहब्बत की बरसात हमेशा करेगें धीरे-धीरे 

ये सियासत वाले आपस में ऐसे ही आग लगाते रहेंगे 
मगर कसम खाई हैं सब को साथ लेकर चलेंगे धीरे-धीरे 

उसकी फितरत हैं जो लोगों से कहता हैं सब जानता हूँ 
मगर ये उसका वहम हैं जो सदियों से बढ़ रहा हैं धीरे-धीरे 

गुलामी की ज़जीरो में वह सब को जकड़ना चाहता हैं 
लोगों को उसकी फितरत और मक्कारी बताऊंगा धीरे-धीरे 

जो हमारी एकता को तोड़ने की कोशिश में लगें रहते हैं 
हम भी मुल्क की अमनो शान्ति की दुआ करेगें धीरे-धीरे नफरत की बूंदाबांदी फिर से बढ़ने लगी हैं धीरे-धीरे 
हम भी मुहब्बत की बरसात हमेशा करेगें धीरे-धीरे 

ये सियासत वाले आपस में ऐसे ही आग लगाते रह
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