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SBR Patil NDN
SBR Patil NDN
🇮🇳always_smile11_15
Vikas Sharma Shivaaya'
ॐ शब्द तीन ध्वनियों से बना हुआ है- अ, उ, म...। इन तीनों ध्वनियों का अर्थ उपनिषद में भी आता है। अ मतलब अकार, उ मतलब ऊंकार और म मतलब मकार। 'अ' ब्रह्मा का वाचक है जिसका उच्चारण द्वारा हृदय में उसका त्याग होता है। 'उ' विष्णु का वाचक हैं जिसाक त्याग कंठ में होता है तथा 'म' रुद्र का वाचक है और जिसका त्याग तालुमध्य में होता है। 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' ॐ शब्द तीन ध्वनियों से बना हुआ है- अ, उ, म...। इन तीनों ध्वनियों का अर्थ उपनिषद में भी आता है। अ मतलब अकार, उ मतलब ऊंकार और म मतलब मकार। 'अ'
हर्ष चौधरी
बातों बातों में हम दोनो ग़ैर हो गए हम दोनों के आपस मे बैर हो गए, तुमने हमें जब से भीड़ कह दिया हम भीड़ बन कर तुमसे दूर हो गए, वाकिफ़ न था इस दुनियादारी से हम चंद लफ्ज़ो से मजबूर हो गए, इस जमीं से हमें क्या हासिल होगा जिस जमीं से दोनों भाई दूर हो गए, चंद सिक्कों ने हमें मकारी सीखा दी आज हम खुद के गुनहगार हो गए, आज भी बेटियां महफ़ूज क्यो नहीं देख हश्र उनका बाप मजबूर हो गए, सिस्टम को सुधारा जाए यह सोचते इलेक्शन के आते ही मगरूर हो गए, ©khyalon ka Safar बातों बातों में हम दोनो ग़ैर हो गए हम दोनों के आपस मे बैर हो गए, तुमने हमें जब से भीड़ कह दिया हम भीड़ बन कर तुमसे दूर हो गए, वाकिफ़ न था
Harish Chander
बातों बातों में हम दोनो ग़ैर हो गए हम दोनों के आपस मे बैर हो गए, तुमने हमें जब से भीड़ कह दिया हम भीड़ बन कर तुमसे दूर हो गए, वाकिफ़ न था इस दुनियादारी से हम चंद लफ्ज़ो से मजबूर हो गए, इस जमीं से हमें क्या हासिल होगा जिस जमीं से दोनों भाई दूर हो गए, चंद सिक्कों ने हमें मकारी सीखा दी आज हम खुद के गुनहगार हो गए, आज भी बेटियां महफ़ूज क्यो नहीं देख हश्र उनका बाप मजबूर हो गए, सिस्टम को सुधारा जाए यह सोचते इलेक्शन के आते ही मगरूर हो गए, ©Harish Chander बातों बातों में हम दोनो ग़ैर हो गए हम दोनों के आपस मे बैर हो गए, तुमने हमें जब से भीड़ कह दिया हम भीड़ बन कर तुमसे दूर हो गए, वाकिफ़ न था
Tera Sukhi
सुविधाओं का त्याग करना ज़रूरी हो जाता है समंदर गहरा हो फिर तैरना मुश्किल हो जाता है कौन मापे गा इसकी गहरी को सुना है मैंने जो सुना है सच है सुनामी में सब तभाह हो जाता है FULL READ IN CAPTION 👇👇 * इंतज़ार * सुविधाओं का त्याग करना ज़रूरी हो जाता है समंदर गहरा हो फिर तैरना मुश्किल हो जाता है कौन मापे गा इसकी गहरी को सुना है मैं
Aditya Fogat
जब तू बच्चा था सब कुछ लगता सच्चा था सारा जहान अपना था ना आती कोई राजनीति ना चाणक्य नीति का ज्ञान था पिता के कंधे सबसे ऊँचे माँ की गोद सबसे
Aditya Fogat
जब तू बच्चा था सब कुछ लगता सच्चा था सारा जहान अपना था ना आती कोई राजनीति ना चाणक्य नीति का ज्ञान था पिता के कंधे सबसे ऊँचे माँ की गोद सबसे