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LAKSHMI KANT MUKUL
कविता ऐसा वृक्ष है, जिसमें बारहो मास हर तरह के फल लगे होते हैं। फल भी ऐसे, जो आदमी के लिए औषधि का काम करते हैं। लक्ष्मीकांत मुकुल की कविताएँ उसी वृक्ष का हिस्सा हैं यानी उनकी कविताएँ औषधीय कविताएँ हैं। तभी यह कवि जब भी बाँटता है, मुहब्बत के फूल बाँटता है, ‘मदार के उजले फूलों की तरह / तुम आई हो कूड़ेदान भरे मेरे इस जीवन में / तितलियों, भौरों जैसा उमड़ता / सूँघता रहता हूँ तुम्हारी त्वचा से उठती गंध / तुम्हारे स्पर्श से उभरती चाहतों की कोमलता / तुम्हारी आँखों में छाया पोखरे का फैलाव / तुम्हारी आवाज़ की गूँज में चूते हैं मेरे अंदर के महुए / जब भी बहती है अप्रैल की सुबह में धीमी हवा / डुलती है चाँदनी की हरी पत्तियाँ अपने धवल फूलों के साथ (‘हरेक रंगों में दिखती हो तुम’,)।’ जब आदमी का जीवन दुःख से भरा है, मुसीबत से भरा है, बीमारी से भरा है। लक्ष्मीकांत मुकुल की कविताएँ हमको दुःख से, मुसीबत से, बीमारी से निजात दिलाने का काम करती हैं। _ शहंशाह आलम,वरिष्ठ कवि ©LAKSHMI KANT MUKUL कसौटी में कविताएं पुस्तक समीक्षा #Rose
Nitesh Jawa
#पुस्तक_समीक्षा #एक_चोट_लोहार_की (भीमा कोरेगाँव युद्ध के अमर शहीद महार योद्धाओं को समर्पित एक शौर्यगाथा) दलित साहित्यकार Sajjan Kranti सज्जन क्रांति का तहे दिल से शुक्रिया जिन्होंने अपनी लेखन शैली से इस वृतांत को इस पुस्तक के जरिये जीवंत कर दिया ! ये जान कर बड़ा ताज्जुब हुआ कि लेखनी में इतनी परिपक्वता दिखाने वाले सज्जन जी की ये दूसरी पुस्तक व नाट्य शैली में लिखी उनकी पहली पुस्तक हैं ! इस बात से उनकी लेखन शैली का आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अपनी पहली पुस्तक में ही इन्होंने अपने लेखन से इतने प्रभावपूर्ण तरीके से विषय वस्तु को पाठक के सामने रखा हैं तो आगे इनकी लेखन शैली और भी कितनी निखार होता जाएगा ! शब्दों व लेखनी का जादू इस वृतांत को जीवंत कर देता हैं ! लिखे हुए दृश्य पढ़ने के बाद आपके दिलो दिमाग में लेख पढ़ने के साथ साथ अगर घटना के चलचित्र भी गुमते रहे तो लेखक अपनी कोशिश में पूर्णतयः कामयाब माना जाता हैं ! इसके लिए मैं लेखक दलित साहित्यकार श्री सज्जन क्रांति को 100 में से 100 अंक दूँगा ! पुस्तक पढ़ने के बाद मुझे ऐसा लगा कि मैंने 3 घंटे की कोई मूवी देखी हो ! कहीं कहीं ऐसा लग रहा था कि मैं खुद रणभूमि में खड़ा सब कुछ देख रहा हूँ ! पुस्तक के शुरू में उपयोग की गई व तत्कालीन ईस्ट इंडिया कंपनी के सलाहकार मि. डेव्ही जोन्स की डायरी से प्राप्त एक महार सैनिक की दुर्लभ फ़ोटो ने अध्ययन के समय बने मेरे दिलो दिमाग मे चलचित्रों में अपनी भूमिका बखूबी निभाई हैं ! पुस्तक के शुरू में ही इस फोटो को लगाना लेखक की तकनीकी दक्षता को भी दर्शाता हैं ! इस आसान सरल भाषा में अपने इतिहास को जानना मेरे लिए अदभुत हैं ! एक बार फिर लेखक, दलित साहित्यकार श्री सज्जन क्रांति का मैं इस पुस्तक को लिखने के लिए तहे दिल से धन्यवाद व आभार प्रकट करता हूँ ! #नितेश_जावा पुस्तक समीक्षा - एक चोट लोहार की
'Bharat' Sachin
#समीक्षा #समीक्षा #हिंदी_हैं_हम_हिंदी_से_हम #NojotoPhoto
Parasram Arora
जानती हो. वो मूलयवान क्षण क्यों. व्यर्थ चला गया क्योंकि तुम शिकायते करने मे व्यस्त रहीऔर r मै उन शिकायतों की समीक्षा करने मे ©Parasram Arora समीक्षा
CK JOHNY
जिसने जिंदगी की समीक्षा की उसने खुद की कड़ी परीक्षा ली। जिसने खुद की कड़ी परीक्षा ली उसको ही सतगुरू की दीक्षा मिली। जिसको सतगुरू की दीक्षा मिली उसी की जिंदगी है प्यारे खिली खिली। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ समीक्षा
Prashant Mishra
मैं अनुत्तीर्ण चाहे परीक्षा में हूँ पर निरन्तर तुम्हारी प्रतीक्षा में हूँ छोड़कर क्यों मुझे, तुमको जाना पड़ा अनवरत इस विषय की समीक्षा में हूँ --प्रशान्त मिश्रा समीक्षा में हूँ
Usha Dravid Bhatt
कभी शब्दों में तलाश न करना मेरा वजूद , मैं उतना लिख नहीं पाती , जितना महसूस करती हूँ भावों की समीक्षा