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Bharamal Ram Rathore

#crimestory भारमल राम राठौड़ बाड़मेरी #शायरी

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👉 जलने वालोें को जलाएंगे
बुझाने वालों को बुझाएगे

⚔️हम राणा⚔️ है पगली
अकेले ही उठा कर लेकर जाएंगे

©Bharamal Ram Rathore #crimestory भारमल राम राठौड़ बाड़मेरी

Bharmal GaRg

भाग्य एक ऐसी किताब है जिसमें लिखा सब कुछ है लेकिन पढ़ा कुछ भी नहीं जा सकता। • पंक्तियां : भारमल गर्ग "साहित्य" 🌻 #Forest #विचार

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भाग्य एक ऐसी किताब है जिसमें लिखा सब कुछ है 
लेकिन पढ़ा कुछ भी नहीं जा सकता।

• पंक्तियां : भारमल गर्ग     "साहित्य" 🌻 भाग्य एक ऐसी किताब है जिसमें लिखा सब कुछ है 
लेकिन पढ़ा कुछ भी नहीं जा सकता।

• पंक्तियां : भारमल गर्ग "साहित्य" 🌻

#Forest

bharmalchoudhary7

#Hum अब इतनी मेहनत करूंगा कि 1 दिन रमेश भाई खुद कहें भारमल हेलीकॉप्टर निकाल चाय पीने जाना है! 💪💪💪💪 😜🤦 #लव

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अब इतनी मेहनत करूंगा 
कि 1 दिन रमेश भाई खुद कहें
 भारमल हेलीकॉप्टर निकाल चाय पीने जाना है!
💪💪💪💪
😜🤦

©bharmalchoudhary7 #Hum अब इतनी मेहनत करूंगा 
कि 1 दिन रमेश भाई खुद कहें
 भारमल हेलीकॉप्टर निकाल चाय पीने जाना है!
💪💪💪💪
😜🤦

Bharmal GaRg

#dawn एक दिन यह देश मूर्तियों का देश होगा मूर्तियाँ, जो न बोल सकती हैं न देख सकती हैं न चल सकती हैं #poem

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एक दिन यह देश
मूर्तियों का देश होगा 

मूर्तियाँ,
जो न बोल सकती हैं 

न देख सकती हैं
न चल सकती हैं

न विरोध कर सकती हैं
न्याय भी मूर्ति क़ानून भी मूर्ति |

   :- भारमल गर्ग "साहित्य" 🌻 #dawn एक दिन यह देश
मूर्तियों का देश होगा 

मूर्तियाँ,
जो न बोल सकती हैं 

न देख सकती हैं
न चल सकती हैं

Bharmal GaRg

तुम कभी थे सूर्य लेकिन अब दियों तक आ गये। थे कभी मुख्पृष्ठ पर अब हाशियों तक आ गये॥ वक्त का पहिया किसे कुचले कहाँ कब क्या पता। थे कभी रथवान

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तुम कभी थे सूर्य लेकिन अब दियों तक आ गये।
थे कभी मुख्पृष्ठ पर अब हाशियों तक आ गये॥

वक्त का पहिया किसे कुचले कहाँ कब क्या पता।
थे कभी रथवान अब बैसाखियों तक आ गये॥

देख ली सत्ता किसी वारांगना से कम नहीं।
जो कि अध्यादेश थे खुद अर्जियों तक आ गये॥

• पंक्तियां : भारमल गर्ग "साहित्य" 🌻 तुम कभी थे सूर्य लेकिन अब दियों तक आ गये।
थे कभी मुख्पृष्ठ पर अब हाशियों तक आ गये॥

वक्त का पहिया किसे कुचले कहाँ कब क्या पता।
थे कभी रथवान

Bharmal GaRg

मुश्किल था , मगर कल समंदर बँट गया। बस एक लकीर खींची और घर बँट गया।। ठीक वैसे जैसे बच्चों में रोटी का बँटवारा। माँ देखती रही सब , इधर-उधर बँ #dawn #विचार

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मुश्किल था , मगर कल समंदर बँट गया।
बस एक लकीर खींची और घर बँट गया।।

ठीक वैसे जैसे बच्चों में रोटी का बँटवारा।
माँ देखती रही सब , इधर-उधर बँट गया।।

बुज़ुर्ग बाप को अब भी ख़्वाब सा लगता है।
कि कैसे यूं देखते सब इस कदर बँट गया।।

• पंक्तियां : भारमल गर्ग "साहित्य" 🌻
WhatsApp:- +918890370911 मुश्किल था , मगर कल समंदर बँट गया।
बस एक लकीर खींची और घर बँट गया।।

ठीक वैसे जैसे बच्चों में रोटी का बँटवारा।
माँ देखती रही सब , इधर-उधर बँ
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