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Gudiya Gupta (kavyatri).....
मिक्सर ने सिलबट्टे से बड़े गुरुर से कहा:- प्रचलन में हम हैं क्योंकि हम समय की बचत करते हैं। सिलवटें ने बड़े प्रेम से कहा:- तुम प्रचलन में इसलिए नहीं क्योंकि समय की बचत करते हो बल्कि इसलिए हो क्योंकि तुम श्रम की बचत करते हो यह दौर भी कुछ ऐसा ही है लोग श्रम से बचना चाहते हैं। शॉर्टकट का जमाना है मिल तो सब कुछ जाएगा पर कमी अनुभव की रहेगी अनुभव के बिना सब अधूरा। और यह अनुभव की चटनी पत्थर से जिंदगी पर श्रम करने के बाद ही सोंधी महक देगी... वरना रेडीमेड तो बहुत कुछ मिल जाएगा ©Gudiya Gupta (kavyatri)..... #अनुभव की सौंधी चटनी
Rahul Nirbhay
तेरी यादों का कोहरा #कम्बख़त मौसम के कोहरे से, ज़्यादा जानलेवा हैं..😞 #iRD🤘 तेरी यादों का कोहरा "कम्बख़त" मौसम के कोहरे से, ज़्यादा जानलेवा हैं..😞 #iRD🤘@nojotonews #nojotonews #कोहरा
manju sharma
कोहरे में तुझे तलाश करते हैं कहां चला गया तू हम तुझे ढूढा करते हैं पर तू नजर आता है ना तेरी परछाई हर दिन तुझे याद करते हैं कोहरे
Shashank
सुबह हो चुकी थी..... सामने की सड़क कोहरे से भरी थी.... मैंने सोचा इन कदमों को थोड़ा टहला के आता हूं, अपने इस बुझे बुझे से मन को थोड़ा बहला के आता हूं.... सो निकल पड़ा कुछ मोटे मोटे गर्म कपड़े पहन कर... थोड़ी- बाडी ठंड अपने इन कानों पर सहन कर... चलने लगा तभी देखा सड़क किनारे खेत पर कोई मुझसे पहले से जाग रहा था.... पतली सी कमीज में उसका शरीर ठंड से कांप रहा था.... मैंने बरबस पूछ ही लिया तुम्हें ठंड नहीं लगती क्या? वो बोल पड़ा लगती तो है... लेकिन पेट भरने के लिए कुछ तो करना ही पड़ेगा.. ठंड ही सही मगर इसे सहन करना ही पड़ेगा.... अपनी साल भर की मेहनत यूं खुले आसमान के नीचे कैसे छोड़ दू?...... बच्चे मेरे पढ़ना चाहते हैं उनका ये सपना मैं कैसे तोड़ दूं?..... मैं इस फसल को अकेला छोड़ दूंगा तो इसे नीलगाय खा जाएगी.... घर में मेरी एक बीमार मां भी है फिर उसकी दवाई कैसे आएगी?..... मैंने बोला बिना कंबल के पूरी रात ठंड में कैसे काट लेते हो?... इतनी मेहनत से पैदा किया अन्न सबको कैसे बांट देते हो?.... वो बोला खुद भूखे रहकर यह अन्न बेचना ही पड़ेगा.... घर में एक बहन भी है जिसकी शादी में दहेज भेजना ही पड़ेगा... मैंने कहा अच्छा ये बात है... कम से कम एक कंबल तो खरीद लेते इतनी ठंडी रात है.... वो बोला बेशक एक कंबल मैं खरीद लाता.... मगर फिर अपने बच्चों की फीस कहां से भर पाता?.... मैं अब और आगे कुछ नहीं बोल पाया उसकी मजबूरी के पुलिंदे का वजन सवालों से नहीं तौल पाया.... उसकी जिम्मेदारियों में लिपटी मजबूरी बेहद कड़क थी... अब मेरे सामने वहीं कोहरे से ढकी सड़क थी..... —शशांक पटेल सामने की सड़क कोहरे से भरी थी.....
DR. LAVKESH GANDHI
मोहरा वक्त बड़ा बलवान होता है जनाब कभी कोई तो कभी कोई मोहरा बन जाता है यहांँ कभी राजा तो कभी वजीर बन जाता है कोई जिसकी जैसी चाल होती है जीतता है वही ©DR. LAVKESH GANDHI #Chess# # मोहरे की चाल #
PRACHI SHARMA