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Anokhi
R Ojha sir के निष्क्रिय रहने वाला पोस्ट, आज जब कॉमेंट देखा तब बात समझ में आई।Ojha sir की बातों से मैं पूरी तरह सहमत हूं।हमसभी को इसका पुरजोर विरोध करना चाहिए।Nojoto team को ऐसी गतिविधियों पर एक्शन लेना जरूरी है,आज से मैं भी मौन.. धन्यवाद सर.. ©Abha Anokhi #friends # एकता में बल है।
Pradyumn awsthi
संगठन में बहुत ही ज्यादा शक्ति होती है संगठन के द्वारा बड़े से बड़े काम भी हो जाते हैं लेकिन बिना संगठन के तो कुछ बात ही नहीं बन पाती है। ©Pradyumn awsthi #बल,एकता का
Manzoor Alam Dehalvi
अगर स्वास्थ्य आपकी धन है तो शिक्षा आपकी सम्पत्ति है। अगर संघर्ष आपकी जीवन है तो चलती का नाम गाड़ी है। अगर कर्म ही आपकी पूजा है तो इंसानियत आपकी धर्म है। अगर व्यवहार आपकी सुंदरता है तो सम्मान आपकी संस्कार है। अगर एकता आपकी बल है तो हिंदू मुस्लिम करना व्यर्थ है। ©Manzoor Alam Delhi # एकता ही बल है।
Krishna Kumar
एकता का बल एकता का बल एक समय की बात हैं कि कबूतरों का एक दल आसमान में भोजन की तलाश में उडता हुआ जा रहा था। गलती से वह दल भटककर ऐसे प्रदेश के ऊपर से गुजरा, जहां भयंकर अकाल पडा था। कबूतरों का सरदार चिंतित था। कबूतरों के शरीर की शक्ति समाप्त होती जा रही थी। शीघ्र ही कुछ दाना मिलना जरुरी था। दल का युवा कबूतर सबसे नीचे उड रहा था। भोजन नजर आने पर उसे ही बाकी दल को सुचित करना था। बहुत समय उडने के बाद कहीं वह सूखाग्रस्त क्षेत्र से बाहर आया। नीचे हरियाली नजर आने लगी तो भोजन मिलने की उम्मीद बनी। युवा कबूतर और नीचे उडान भरने लगा। तभी उसे नीचे खेत में बहुत सारा अन्न बिखरा नजर आया “चाचा, नीचे एक खेत में बहुत सारा दाना बिखरा पडा हैं। हम सबका पेट भर जाएगा।’ सरदार ने सूचना पाते ही कबूतरों को नीचे उतरकर खेत में बिखरा दाना चुनने का आदेश दिया। सारा दल नीचे उतरा और दाना चुनने लगा। वास्तव में वह दाना पक्षी पकडने वाले एक बहलिए ने बिखेर रखा था। ऊपर पेड पर तना था उसका जाल। जैसे ही कबूतर दल दाना चुगने लगा, जाल उन पर आ गिरा। सारे कबूतर फंस गए। कबूतरों के सरदार ने माथा पीटा “ओह! यह तो हमें फंसाने के लिए फैलाया गया जाल था। भूख ने मेरी अक्ल पर पर्दा डाल दिया था। मुझे सोचना चाहिए था कि इतना अन्न बिखरा होने का कोई मतलब हैं। अब पछताए होत क्या, जब चिडिया चुग गई खेत?” एक कबूतर रोने लगा “हम सब मारे जाएंगे।” बाकी कबूतर तो हिम्मत हार बैठे थे, पर सरदार गहरी सोच में डूबा था। एकाएक उसने कहा “सुनो, जाल मजबूत हैं यह ठीक हैं, पर इसमें इतनी भी शक्ति नहीं कि एकता की शक्ति को हरा सके। हम अपनी सारी शक्ति को जोडे तो मौत के मुंह में जाने से बच सकते हैं।” युवा कबूतर फडफडाया “चाचा! साफ-साफ बताओ तुम क्या कहना चाहते हो। जाल ने हमें तोड रखा हैं, शक्ति कैसे जोडे?” सरदार बोला “तुम सब चोंच से जाल को पकडो, फिर जब मैं फुर्र कहूं तो एक साथ जोर लगाकर उडना।” सबने ऐसा ही किया। तभी जाल बिछाने वाला बहेलियां आता नजर आया। जाल में कबूतर को फंसा देख उसकी आंखें चमकी। हाथ में पकडा डंडा उसने मजबूती से पकडा व जाल की ओर दौडा। बहेलिया जाल से कुछ ही दूर था कि कबूतरों का सरदार बोला “फुर्रर्रर्र!” सारे कबूतर एक साथ जोर लगाकर उडे तो पूरा जाल हवा में ऊपर उठा और सारे कबूतर जाल को लेकर ही उडने लगे। कबूतरों को जाल सहित उडते देखकर बहेलिया अवाक रह गया। कुछ संभला तो जाल के पीछे दौडने लगा। कबूतर सरदार ने बहेलिए को नीचे जाल के पीछे दौडते पाया तो उसका इरादा समझ गया। सरदार भी जानता था कि अधिक देर तक कबूतर दल के लिए जाल सहित उडते रहना संभव न होगा। पर सरदार के पास इसका उपाय था। निकट ही एक पहाडी पर बिल बनाकर उसका एक चूहा मित्र रहता था। सरदार ने कबूतरों को तेजी से उस पहाडी की ओर उडने का आदेश दिया। पहाडी पर पहुंचते ही सरदार का संकेत पाकर जाल समेत कबूतर चूहे के बिल के निकट उतरे। सरदार ने मित्र चूहे को आवाज दी। सरदार ने संक्षेप में चूहे को सारी घटना बताई और जाल काटकर उन्हें आजाद करने के लिए कहा। कुछ ही देर में चूहे ने वह जाल काट दिया। सरदार ने अपने मित्र चूहे को धन्यवाद दिया और सारा कबूतर दल आकाश की ओर आजादी की उडान भरने लगा। सीखः एकजुट होकर बडी से बडी विपत्ति का सामना किया जा सकता हैं। ©Krishna Kumar #aahat एकता का बल
Shubham Bhardwaj
एकता मेंं बल है,इसको निभाकर देखो। मजहब की दीवार को,कभी हटाकर देखो।। ©Shubham Bhardwaj #GuzartiZindagi #एकता #में #बल #है #जरा #निभा #करके
talvindra_writes
अनेकता में एकता ही हैं हिंदी की पहचान । अनेकता में एकता ही हैं हिंदी की पहचान । #talvindra_writes
PUNEET KUMAR
मेरा दिल अनेकता में एकता को देख खुश हो जाता है पर समाज के ज़र्रे-ज़र्रे को बिखरा देख फिर से टूट जाता है #अनेकता में एकता