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Parasram Arora
क्यों तुम जलते रहे गलते रहे बहते रहे? क्यों तुम अपने जीवन की बलि जगत क़ो किश्तो में देते रहे? और ये भी तो सोचो उसके बदले तुम्हे मिला क्या?? अपमान के ताप.. हिंसक प्रहार.. असहनीय वेदना के अभिशाप......... जीवन की झर्जर. हो चुकी सीड़ी के अंतिम पाय दान पर बैठ कर अब तुम चिंतन कर. रहे हो और अपने बलिदानो का इतिहास लिख रहे हो पर बीता हुआ समय और खोया हुआ अवसर. कभी लौटने वाला नही ये बात शायद तुम जानते नही हो ? ©Parasram Arora बलिदान....
Alone
अब सब कुछ अपने हित के लिए करोगे तो केसे चलेगा स्वर्ग मे जगह चाहिए तो बहुत कुछ बलिदान करना होगा... अपने लिए नहीं कभी दुसरो के भले के लिए भी सोचना होगा.... बलिदान
Darshan Aacharya
टूटने ओर बिखरने का चलन मांग लिया , हमने हालात से शिशे का बदन मांग लिया , हम भी खड़े थे तकदीर के दरवाजे पर , लोग दौलत पर गिरे हमने वतन मांग लिया ! Darshil.. #बलिदान
Rajendra Kumar Ratnesh
देशभक्ति का जुनून उनमें, कूट कूट कर भरी थीं, जब अंग्रेजों की बेड़ियां, चहुंओर देश में पड़ी थी। भगत, सुखदेव और राजगुरु देश के वीर लाल थे। इन क्रांतिवीरों के रगों में बहती लहू में उबाल थे।। जब भगतसिंह ने तिलक लगाए जालियां वाला बाग में। मानो वो झुलस रहे हो, उस नरसंहार बदले की आग में। गतिविधियां उन क्रांतिकारियों की देख, अंग्रेज थर्राते थे। चोरी-चौरा जैसे कांड देख, अंग्रेज़ बेहद घबरा जाते थे। लाला लाजपतराय की बदला, स्कॉट को मार गिराने का, ठाना एक दिन असेम्बली में, साथियों संग बम गिराने का। धमाका से बहरी सरकार के खिलाफ़, नौजवान जागेंगे। बम फेक, देंगे गिरफ्तारियां हम कदापि न भागेंगे। वे जेल में भी, सैकड़ों क्रान्तिकारियों के पुस्तकें पढ़ डाले थे, वे वीर सपूतों ने, मात्र देश की आजादी दिलों में पाले थे। कहे मां से-दुल्हन मेरी आजादी होगी, ऐसे प्रण उनके निराले थे। वे जन्मे थे मात्र देश के लिए, भारत मां के सच्चे अमर लालें थे। 23 मार्च का वह काला दिन, जब तीनों को फांसी पर लटकाने वाले थे। तीनों साथियों ने मिलकर गीत गाए, इन्कलाब जिंदाबाद,इन्कलाब जिंदाबाद, वन्दे मातरम् की गूंज निराले थे। धरती गूंजी, आसमान गूंजा, गूंज उठी चारों दिशाएं उनकी हंसी से। अंग्रेज़ी हुकूमत झुका नहीं पाए, इन अमर क्रान्तिकारियों को फांसी से। - राजेन्द्र कुमार मंडल सुपौल (बिहार) ©Rajendra Kumar Ratnesh #अमर बलिदान।
madanlal
बलिदान सेना आप सभी से अपील करतीं हैं कि आप सभी हिंसा ना फेलाए बलिदान सेना
ishant singh
भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम, 1857 की क्रान्ति के महानायक महान क्रान्तिकारी बागी बलिया के निवासी अमर बलिदानी "मंगल पाण्डेय" जी के बलिदान
Rajendra Raj Yadav
जर्रा जर्रा कांप उठा है वीरों की कुर्बानी से, बाज नहीं आयेगा पापी अपनी बेइमानी से। डाल दो इतना बारूद के गोले, मिल जायेंगे ज़बाब हर एक पाकिस्तानी से।। #NojotoQuote वीरों का बलिदान