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✍ अमितेश निषाद

बुलाती है मगर जाने का नई किसी और का देख के फॉर्मेसी करने का नई सब दिलाते है प्लेसमेंट यहाँ वहाँ जानें कहाँ मगर हर जगह प्लेसमेंट के

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बुलाती  है  मगर  जाने  का   नई

किसी और का देख के फॉर्मेसी करने का नई


सब दिलाते है प्लेसमेंट यहाँ वहाँ जानें कहाँ

मगर हर जगह प्लेसमेंट के लिए जाने का नई

         
                      
                                   ✍️ अमितेश निषाद ( सुमित ) बुलाती  है  मगर  जाने  का   नई

किसी और का देख के फॉर्मेसी करने का नई


सब दिलाते है प्लेसमेंट यहाँ वहाँ जानें कहाँ

मगर हर जगह प्लेसमेंट के

KP EDUCATION HD

KP STUDY HD vid2017 के बाद से ही योगीराज में नागरिक उड्डयन क्षेत्र प्रगति के साथ आगे बढ़ रहा है। 3 अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों वाला यूपी बहुत #News

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KP EDUCATION HD

#आईआईटी आईएसएम धनबाद की. आईआईटीज वैसे भी अपने बेहतरीन प्लेसमेंट्स के लिए जाने जाते हैं, जहां से हर साल स्टूडेंट्स लाखों करोड़ों के पैकज पर न #न्यूज़

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Prerana Jalgaonkar

विडंबन(गारवा)(सौमित्र) कटऑफ जरा जास्त आहे...ऍडमिशनवेळी वाटतं दोस्तांचे ninty above मार्क्स बघून काळीज माझं तीळ तीळ तुटतं राहून राहून वाट

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विडंबन(गारवा)(सौमित्र)
कटऑफ  जरा जास्त आहे...ऍडमिशनवेळी  वाटतं
दोस्तांचे ninty above मार्क्स बघून काळीज माझं  तीळ तीळ तुटतं
राहून राहून वाटत अरे  मी अभ्यास का केला नाही 
शिक्षक जेव्हा समजावत होते तेव्हा मी त्यांचं  का ऐकलं नाही 

कुठं घ्यायचे ऍडमिशन ..डोकं माझं  चालत नाही
प्लेसमेंट मिळेल का त्या कॉलेजला...कुणीच मला सांगत नाही
इतक्यात मला मुंबईबाहेरच कॉलेज  allot होतं
इतक्यात मला  मुंबईबाहेरच कॉलेज allot होतं
मनातला गोंधळ काही काळ पडद्याआड होतो..
गोंधळलेला मी डिप्लोमा कॉलेजच्या चकरा मारतो 
भेटेल त्या शिक्षकाला सल मनातली बोलून दाखवतो...

allot झालेल्या कॉलेजमध्ये  मग घेतो मी ऍडमिशन 
मनातल्या मनात मी दडवतो माझं हे  फ्रस्टरेशन 
म्हणता म्हणता आयुष्य चुटकीसरशी बदलून जातं 
कधीकाळी भरकटलेलं आयुष्य कष्टानं उमलून जातं...
--प्रेरणा  
विडंबन(गारवा)(सौमित्र)
कटऑफ  जरा जास्त आहे...ऍडमिशनवेळी  वाटतं
दोस्तांचे ninty above मार्क्स बघून काळीज माझं  तीळ तीळ तुटतं
राहून राहून वाट

Prerana Jalgaonkar

विडंबन(गारवा)(सौमित्र) कटऑफ जरा जास्त आहे...ऍडमिशनवेळी वाटतं दोस्तांचे ninty above मार्क्स बघून काळीज माझं तीळ तीळ तुटतं राहून राहून वाट

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विडंबन(गारवा)(सौमित्र)
कटऑफ  जरा जास्त आहे...ऍडमिशनवेळी  वाटतं
दोस्तांचे ninty above मार्क्स बघून काळीज माझं  तीळ तीळ तुटतं
राहून राहून वाटत अरे  मी अभ्यास का केला नाही 
शिक्षक जेव्हा समजावत होते तेव्हा मी त्यांचं  का ऐकलं नाही 

कुठं घ्यायचे ऍडमिशन ..डोकं माझं  चालत नाही
प्लेसमेंट मिळेल का त्या कॉलेजला...कुणीच मला सांगत नाही
इतक्यात मला मुंबईबाहेरच कॉलेज  allot होतं
इतक्यात मला  मुंबईबाहेरच कॉलेज allot होतं
मनातला गोंधळ काही काळ पडद्याआड होतो..
गोंधळलेला मी डिप्लोमा कॉलेजच्या चकरा मारतो 
भेटेल त्या शिक्षकाला सल मनातली बोलून दाखवतो...

allot झालेल्या कॉलेजमध्ये  मग घेतो मी ऍडमिशन 
मनातल्या मनात मी दडवतो माझं हे  फ्रस्टरेशन 
म्हणता म्हणता आयुष्य चुटकीसरशी बदलून जातं 
कधीकाळी भरकटलेलं आयुष्य कष्टानं उमलून जातं...
--प्रेरणा  
विडंबन(गारवा)(सौमित्र)
कटऑफ  जरा जास्त आहे...ऍडमिशनवेळी  वाटतं
दोस्तांचे ninty above मार्क्स बघून काळीज माझं  तीळ तीळ तुटतं
राहून राहून वाट

JALAJ KUMAR RATHOUR

प्लेसमेंट-एक सफल असफलता पार्ट-1 3 rd ईयर में आते आते हमें ये तो पता चल गया था हम हर क्षेत्र मे अपना सर्वोत्तम दे सकते है परंतु इस अभियांत् #जलज

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प्लेसमेंट-एक सफल असफलता
पार्ट-1
3 rd  ईयर में आते आते हमें ये तो पता चल गया था हम हर क्षेत्र मे  अपना सर्वोत्तम दे सकते है परंतु इस अभियांत्रिकी(Engineering) में शायद कभी नही पर फिर भी हॉस्टल का हर लेखक, शायर ,गायक, क्रिकेटर, फुटबालर, कॉमेडियन, ना जाने क्यों पकड़ लेता था इंजीनियरिंग की उन किताबो को बस इतना कहकर की "यार शायद ये किताबो का बोझ ही कम कर सकेगा हमारी जिम्मेदारियों के बोझ को" और फिर सब की आँखे नंम हो जाती और हम फिर से खुद को समझाते,तभी "ले ना यार " कि एक आवाज के कुछ समय बाद हम उड़ा देते थे सभी परेशानियो को धुए में, पर एक खौफ रहता था अगर प्लेसमेंट ना हुआ तो, इस खौफ मे ना जाने कितनी रातों को जगाया था हमारे साथ, हॉस्टल की छत हमारे लिए माँ की गोद सी थी। जहाँ लेट कर हम खोल देते थे बेफ़िक् होकर अपने सारे राज,जिंदगी ने अपनी जद्दोहद को चालू रखा और हमने कभी उनको किताबो का नशा करके उड़ाया कभी धुए में, पर कोई  और था जिसे करीब  छत सा सुकूँ महसूस होता था जो मुझे अपने सपने बताती थी हम दोनो को पता था की हम शायद ही कभी मिल पाएंगे कॉलेज के बाद पर वो एक बात कहती थी "यार हम अभी अपने माँ पापा के सपने है और हमें उनके सपनो को सफल करना होगा " 
......... #जलज राठौर प्लेसमेंट-एक सफल असफलता
पार्ट-1
3 rd  ईयर में आते आते हमें ये तो पता चल गया था हम हर क्षेत्र मे  अपना सर्वोत्तम दे सकते है परंतु इस अभियांत्

JALAJ KUMAR RATHOUR

ये तो हमें पता होता है कि एक दिन हम बिछड़ जायेंगे।लेकिन फिर भी हम जीतें है हॉस्टल और कॉलेज के उन दिनों को जिन दिनों में हम यादों का एक नया अ #जलज

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ये तो हमें पता होता है कि एक दिन हम बिछड़ जायेंगे।लेकिन फिर भी हम जीतें है हॉस्टल और कॉलेज के उन दिनों को जिन दिनों में हम यादों का एक नया अध्याय लिखते हैं। चाहें दोस्तों के द्वारा थमाई गई पहली सिगरेट हो या बीयर की बोतल, सब वैसा एहसास कराती हैं जैसे किसी लड़की का हमारे हाथों को छू जाना।पहली नौकरी और पहली सैलरी के सपने जो हम हॉस्टल की दीवारों के बीच देखते हैं वो CTC और In hand के बीच के अंतर की भेंट चढ़ जाते हैं।सच बताऊं तो साथ नौकरी लगने के सपने से लेकर अपने अपने प्लेसमेंट तक ना जाने कितनी दोस्ती टूट जाती हैं। हॉस्टल के छोटे कमरों में बड़े स्टार्टअप का सपना देखने वाले ना जाने कितने हॉस्टलर जंग हारकर जंक खा जाते हैं। रियूनियन के नाम से खुद को बहलाने वाले ये लोग ,जानते हैं कि उम्मीदों पर ही जीवन है।
...#जलज कुमार

©JALAJ KUMAR RATHOUR ये तो हमें पता होता है कि एक दिन हम बिछड़ जायेंगे।लेकिन फिर भी हम जीतें है हॉस्टल और कॉलेज के उन दिनों को जिन दिनों में हम यादों का एक नया अ

falendra kumar

मेरी पहली कहानी पहली मर्तबा फेसबुक पर. पढ़े और शेयर नहीं करें। प्लेसमेंट प्वाईंट "कितने दिन हुए रजिस्ट्रेशन किए ? " सामने ब #कविता

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MANJEET SINGH THAKRAL

ग्रामीण अर्थव्यवस्था ये कहती है आपके ये बैंकों के ATM तो आज आये हैं आढ़ती उस किसान का पारंपरिक ATM है। किसान को बेटी की शादी करनी हो, भुआ का #farmersprotest #kisanandolan #IndiaWithFarmers #KisanNahiToDeshNahi

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JALAJ KUMAR RATHOUR

प्लेसमेंट-एक सफल असफलता पार्ट-9 यही कारण है इंजिनीयरिंग के आखरी सेमेस्टर में लगभग 75 प्रतिशत बालको को बाबागीरी में उज्ज्वल भविष्य नजर आता ह #जलज

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प्लेसमेंट-एक सफल असफलता
पार्ट-9
 यही कारण है इंजिनीयरिंग के आखरी सेमेस्टर में लगभग 75 प्रतिशत बालको को बाबागीरी में उज्ज्वल भविष्य नजर आता है। और हो भी क्यों ना अब तो बाबा स्टार्टअप भी कर रहे है। विश्वास नही तो  कपालभासी वाले बाबा को ही देख लो। इस महफ़िल में रेगुलर सदस्यता देने वाले सदस्यों का एक पैनल था जो नये सदस्य को पहले बकरे की तरह खिलाता था और फिर काटता था पर यह काटना किसी बन्दी द्वारा काटे जाने वाले काटने से अच्छा था क्युकी यहाँ पर सबका कटता था समय और जेब, बहुत कोशिशो के बाद भी पैनल मुझे सदस्यता देने में असमर्थ था। क्युकी मे  सिर्फ उनके चखने में व्यस्त था। हरी मटर और हल्दी राम की आलू की भूजिया को कौन मना कर सकता है  क्युकी मैं घर से इनके लिए हर बार नमकींन लाता था जो इनकी आपात कालीन परिस्थिती में मदद करती थी इस लिए मुझे इनमे से भी कोई मना नही कर सकता था।" चलो भाई का वार्डेंन आयेगा सुबह जल्दी जगाने कल 26 जनवरी के लिए" मुख्य कार्यकर्ता ने कहा, भले ही 26 जनवरी को देश को गणतंत्र के सूत्र में बाँधा गया था। पर ये दिन हम होस्टलर को सिर्फ अलग अलग करता था वो भी कॉलेज के मैदान की सफाई के लिए,अत:   हम सभी बिना विलंब किये अपनी अपनी लुगाई अरे भाई लुगाई नही रजाई की और चल दिये। 2 बज चुके थे और सुबह 5 बजे उठना था इस लिए मैं जल्दी से अपने बिस्तर पर लेट गया और मेरी रजाई ने मुझे आलिंगन कर लिया। 
.. #जलज प्लेसमेंट-एक सफल असफलता
पार्ट-9
 यही कारण है इंजिनीयरिंग के आखरी सेमेस्टर में लगभग 75 प्रतिशत बालको को बाबागीरी में उज्ज्वल भविष्य नजर आता ह
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